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Jharkhand Niyojan Niti : राज्यपाल से मिले पूर्व विधायक कुणाल षाड़ंगी, नियोजन नीति पर हस्तक्षेप का आग्रह

Jharkhand Niyojan Niti. कुणाल ने आग्रह किया कि राज्यपाल के स्तर से झारखंड सरकार को पिछली सरकार की नियोजन नीति पर पुनर्विचार करने संबंधित आदेश जारी किए जाएं। कहा कि नीति को रद करने से हजारों योग्य व चयनित अभ्यर्थियों का हित प्रभावित हो रहा है।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Fri, 12 Feb 2021 11:00 AM (IST)Updated: Fri, 12 Feb 2021 11:00 AM (IST)
Jharkhand Niyojan Niti : राज्यपाल से मिले पूर्व विधायक कुणाल षाड़ंगी, नियोजन नीति पर हस्तक्षेप का आग्रह
झारखंड की राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात करते भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता कुणाल षाड़ंगी।

जमशेदपुर, जासं। भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता कुणाल षाड़ंगी ने झारखंड की राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात की।  उन्होंने हेमंत सरकार द्वारा पिछली सरकार (रघुवर सरकार) की नियोजन नीति को रद करने के निर्णय के विरुद्ध असंतोष जाहिर करते हुए राज्यपाल से हस्तक्षेप का आग्रह किया।

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इस दौरान कुणाल षाड़ंगी ने कई बिंदुओं को राज्यपाल के संज्ञान में लाते हुए युवाओं और राज्यहित में त्वरित हस्तक्षेप का आग्रह किया। कुणाल ने आग्रह किया कि राज्यपाल के स्तर से झारखंड सरकार को पिछली सरकार की नियोजन नीति पर पुनर्विचार करने संबंधित आदेश जारी किए जाएं। कहा कि नई नीति के अभाव में पुरानी नियोजन नीति को रद करने से हजारों योग्य व चयनित अभ्यर्थियों का हित प्रभावित हो रहा है। जब पूर्व के विज्ञापन और नियोजन नीति के आधार पर सैकड़ों लोग नौकरी कर रहे हैं, तो उसी विज्ञापन से हुई उसी परीक्षा में उत्तीर्ण अभ्यर्थियों के ख़िलाफ़ यह शासकीय अन्याय क्यों। अगर नियोजन नीति गलत थी तो राज्य सरकार ने हाइकोर्ट में उसके पक्ष में बात क्यों रखी। फिर हाइकोर्ट में हारने के बाद सुप्रीम कोर्ट में चैलेंज क्यों किया।

ये उठाए सवाल

कुणाल ने कहा कि सरकार बनने के बाद से महीनों तक कोर्ट से बिना स्टे आर्डर लिए नौ महीनों तक बहाली रोकी गई। साल भर बाद पूरी सूची ख़त्म कर दी गई। यह सरासर विभेदपूर्ण और अमानवीय निर्णय है। 11 से 13 जिलों के इतिहास, संस्कृत तथा संगीत के शिक्षक, पीआरटी शिक्षक, पंचायत सचिव अभ्यर्थी, रेडियो ऑपरेटर, स्पेशल ब्रांच और उत्पाद सिपाही के हज़ारों अभ्यर्थी, जिनका डॉक्यूमेंट वेरीफिकेशन होकर बस ज्वाइनिंग बाकी थी, उनके साथ यह अन्याय हुआ है। जबकि उसी परीक्षा को पास कर कई लोग नौकरी कर रहे हैं। कैबिनेट सचिव छठी जेपीएससी का कटऑफ डेट एक अगस्त 2016 बताकर गुमराह कर रहे हैं, जबकि वास्तविक रूप से वह एक अगस्त 2010 था। सातवीं जेपीएससी का कटऑफ उस हिसाब से अगस्त 2011 होना चाहिए। उसे 2016 रखा गया है। पिछली बार सातवीं जेपीएससी का जो विज्ञापन निकला था, उसमें भी कटऑफ का वर्ष 2011 निर्धारित था।

राज्य सरकार को दिशा-निर्देश देने का आग्रह

पूर्व विधायक कुणाल षाड़ंगी ने राज्यपाल के समक्ष यह प्रश्न भी रखा कि पिछली सरकार के समय की सारी नियुक्तियां यदि गलत थीं, तो छठी जेपीएससी के परिणाम को जारी करते हुए कैसे नियुक्तियां कर दी गईं। उन्होंने राज्यपाल से अविलंब इस विषय पर राज्य सरकार को दिशा-निर्देश देने का आग्रह किया है।


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