झारखंड के पूर्व मंत्री व जमशेदपुर के विधायक सरयू राय बोले, देश में एमजीएम ही मात्र एक ऐसा अस्पताल जहां एक भी ड्रेसर नियुक्त नहीं
झारखंड सरकार के पूर्व मंत्री सह जमशेदपुर पूर्वी के वर्तमान विधायक सरयू राय ने कहा कि देश में एमजीएम ही मात्र एक ऐसा अस्पताल है जहां एक भी ड्रेसर नहीं नियुक्त है। बिना ड्रेसर के कोई अप्रशिक्षित व्यक्ति यह काम करत रहता है।
जमशेदपुर, जागरण संवाददाता। झारखंड सरकार के पूर्व मंत्री सह जमशेदपुर पूर्वी के वर्तमान विधायक सरयू राय ने कहा कि देश में एमजीएम ही मात्र एक ऐसा अस्पताल है जहां एक भी ड्रेसर नहीं नियुक्त है। बिना ड्रेसर के कोई अप्रशिक्षित व्यक्ति यह काम करते रहता है। जनवरी 2019 में मेरी पहल पर एमजीएम की स्थिति सुधारने के लिए मुख्यमंत्री स्तर पर एक बैठक हुई थी।
तय हुआ था कि व्यवस्था प्रबंधन कार्य देखने के लिए एमजीएम में एक अधिकारी, मानव संसाधन प्रबंधन के लिए एक अन्य अधिकारी और लेखा-जोखा देखने के लिए एक प्रशिक्षित अधिकारी एमजीएम में बहाल किए जाएंगे। पर आज तक कोई भी ऐसा एक अधिकारी नियुक्त नहीं हुआ। सरयू राय ने कहा कि विगत डेढ़ वर्ष से इंतजार कर रहा था कि विभागीय मंत्री एमजीएम अस्पताल की स्थिति सुधारने वाला ठोस पहल करेंगे। पर उन्होंने सुधार के नाम पर अस्पताल में अपना एक स्थायी प्रतिनिधि भर तैनात कर छोड़ दिया जो नियमानुकुल नहीं है। वहीं, पूर्व स्वास्थ्य सचिव ने एमजीएम का दौरा किया था और जुस्को के साथ अस्पताल के कायाकल्प की योजना बनाया था। फिर सोमवार को स्वास्थ्य सचिव एमजीएम आए और यहां की दुर्दशा पर असंतोष एवं नाराजगी जताया। वस्तुत: 1986 तक एमजीएम एक अनुमंडलीय अस्पताल था। इसके बाद कॉलेज का अस्पताल बना। अस्पताल में बेडों की संख्या बढ़कर 600 से ऊपर हो गई। पर इमरजेंसी में विस्तार संख्या मात्र 15 रही जिसे बिना अनुमति लिए बढ़ाकर 35 किया गया है। बेडों की संख्या और इमरजेंसी सुविधा नहीं बढ़ने के कारण वहां कुर्सी पर बिठाकर और बेंच पर लेटाकर इलाज करने की नौबत आती है। क्योंकि सरकारी अस्पताल होने के कारण एमजीएम से किसी मरीज को लौटा नहीं सकते।
स्किल्ड और अनस्किल्ड कर्मियों की बहाली होनी थी
सरयू राय ने कहा कि मुख्यमंत्री स्तर पर हुई बैठक में स्किल्ड और अनस्किल्ड कर्मियों की भी बहाली होनी थी जो नहीं हुआ। सफाई कर्मियों एवं सुरक्षा कर्मियों की पर्याप्त संख्या में नियुक्ति नहीं हुई। आवश्यक उपकरण नहीं खरीदे गए। एमजीएम को सुधारने के लिए गत दो वर्ष पूर्व हुए निर्णयों के बारे में मैंने जानना चाहा को पता चला कि ये अब तक लागू नहीं हुए। 2018 में सचिव स्तर पर हुई बैठक के नतीजे भी जस के तस रह गए। कर्मियों की न्यूनतम संख्या का निर्धारण भी सही तरीका से नहीं हुआ। आउटसोर्सिंग से अनस्किल्ड नर्सों की बहाल होती है और आते जाते रहती है। स्थायित्व नहीं है। कम से कम उतने कर्मी तो बहाल करने की अनुमति तो होनी चाहिए जितने पद सृजित हैं। एमजीएम अस्पताल में घूमते सुअर और जानवर पर तो नजर पड़ जाती है। पर इसपर नजर नहीं पड़ती की एमजीएम अस्पताल की चहारदीवारी कितनी जगह और कितनी लंबाई में टूटी हुई है जो सुअर एवं अन्य जानवरों के घूसने का कारण है।
मैं रांची जाकर स्वास्थ्य सचिव के सामने रखूंगा प्रस्ताव
सरयू राय ने कहा कि मैं रांची जाकर स्वास्थ्य सचिव के सामने प्रस्ताव रखूंगा कि एमजीएम को ठीक हालत में लाने के लिए पूर्व में राज्य में उच्चतम स्तर पर हुई बैठकों के निर्णयों को लागू कराएं। सृजित मानव बल का विश्लेषण करें। अधोसंरचनाओं को सुदृढ़ कराएं। कोविड में मिल रहे अनुदान का उपयोग अधोसंरचना बढ़ाने और उपकरणों के साथ ही इनके परिचालकों की व्यवस्था करें। आवश्यक लगे तो इसपर मुख्यमंत्री स्तर की बैठक बुला कर निधि का उपबंध करें।
एमजीएम की स्थिति में सुधार की कुंजी सचिवालय में
सरयू राय ने कहा कि एमजीएम अस्पताल की स्थिति में सुधार की कुंजी वस्तुत: राज्य सरकार के सचिवालय में है। इसे ठीक किए बिना केवल जमशेदपुर में बैठकर एमजीएम को नहीं सुधारा जा सकता। मुख्यमंत्री, मंत्री, सचिव इस संबंध में लिए गए निर्णयों को सही संदर्भ में लागू करें और कर्मियों का ठीकरा अस्पताल प्रबंधन पर फोड़ने के बदले अपने गिरेबान में झांके और देखें कि सुधारों के रास्ते में सचिवालय स्तर से कितने पेंच लगाए जाते हैं। इसे ठीक करें तो छह माह के भीतर एमजीएम अस्पताल में सुधार दिखने लगेगा।