बाघिन का नहीं मिला सुराग, वन विभाग अलर्ट
घाटशिला क्षेत्र में जंगल में बीते 14 दिनों से वनकर्मियों के साथ-साथ आम जनता के लिए परेशानी का सबब बनी बाघिन का बीते छह दिनों से कहीं पता नहीं चल पा रहा है। बाघिन अब तक तीन जानवरों पर हमला कर चुकी है।
जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : घाटशिला क्षेत्र में जंगल में बीते 14 दिनों से वनकर्मियों के साथ-साथ आम जनता के लिए परेशानी का सबब बनी बाघिन का बीते छह दिनों से कहीं पता नहीं चल पा रहा है। बाघिन अब तक तीन जानवरों पर हमला कर चुकी है। इसके बाद से वन विभाग की टीम दिन-रात ग्रामीणों के साथ मिलकर पहरा देने में जुटी हुई है। वन विभाग इसलिए भी परेशान है क्योंकि बीते छह दिनों से बाघिन ने कोई शिकार नहीं किया है। उसके शिकार करने की सूचना मिलती तो पता चल पाता कि बाघिन कहां है।
क्षेत्रीय मुख्य वन संरक्षक वीएन शाह ने आशंका जताई कि बाघिन अपने मूल निवास की ओर लौट गई होगी। उन्होंने बताया कि बाघिन के सिमलीपाल के जंगल में जाने की संभावना अधिक है। बता दें कि सात जनवरी को पहली बार बाघिन की सूचना जमशेदपुर वन प्रमंडल पदाधिकारी को मिली थी। बाघिन पश्चिम बंगाल के बेलपहाड़ी से होते हुए घाटशिला वनक्षेत्र के फूलझोर जंगल में पहुंची थी। बाघिन के पदचिन्ह सात जनवरी को मिले थे। इसके बाद वन विभाग में हड़कंप मच गया था। इसी बीच बाघिन ने बासाडेरा जंगल में एक मवेशी को अपना शिकार बनाया। इसके बाद से बाघिन का कहीं पता नहीं चल पाया है, हालांकि प्रतिदिन लोग अफवाह फैला रहे हैं कि बाघिन को देखा गया, लेकिन जांच में ये सभी दावे झूठे साबित हो रहे हैं।
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एनटीसीए के निर्देश पर डीएफओ ने गठित किया एसओपी
घाटशिला जंगल में बाघिन को लेकर (एनटीसीए) नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथारिटी ऑफ इंडिया के डिप्टी चेयरमेन ने जमशेदपुर के डीएफओ से बातचीत कर अद्यतन रिपोर्ट लिया। इसके अलावा एनटीसीए ने डीएफओ को (एसओपी) स्टैंडर्ड आपरेटिंग प्रोसिजर गठित करने का निर्देश दिया।
(एनटीसीए) नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथारिटी ऑफ इंडिया के आदेश के बाद डीएफओ ने (एसओपी) स्टैंडर्ड आपरेटिंग प्रोस्ट्यूर का गठन कर दिया। चेयरमैन डीएफओ, सदस्य के रूप में पीसीसीएफ वाइल्ड लाइफ का एक प्रतिनिधि, एनटीसीए का एक प्रतिनिधि, पशु चिकित्सक एक, पंचायत प्रतिनिधि एक, लोकल एनजीओ के सदस्य एक तथा संबंधित रेंज के रेंजर शामिल रहेंगे।