एमजीएम पहली बार बनाएगा ड्रग्स पॉलिसी, पूरे जिले में होगा लागू
एंटीबायोटिक के दुष्परिणाम से बचने के लिए उठाया गया कदम आइएमए करेगा मदद। यह न सिर्फ एमजीएम बल्कि पूरे पूर्वी सिंहभूम जिले में लागू करायी जाएगी।
जमशेदपुर [अमित तिवारी]। स्वास्थ्य सचिव डॉ. नीतिन मदन कुलकर्णी ने चिकित्सकों को सख्त निर्देश दिया है कि कोई भी डॉक्टर आंख बंद कर एंटीबायोटिक दवा न लिखे। खासकर वायरल बीमारी में। अगर किसी मरीज को एंटीबायोटिक दवा देने भी हो तो कम डोज से शुरू करने का निर्देश उन्होंने दिया है। इसे लेकर महात्मा गांधी मेमोरियल (एमजीएम) मेडिकल कॉलेज प्रबंधन पहली बार ड्रग्स पॉलिसी बनाने जा रहा है। खासबात यह होगी कि यह न सिर्फ एमजीएम बल्कि पूरे पूर्वी सिंहभूम जिले में लागू करायी जाएगी।
इसे सफल बनाने में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आइएमए) जमशेदपुर शाखा व ड्रग विभाग मदद करेगी। एंटीबायोटिक का दुरुपयोग घातक होता जा रहा है। आम लोगों की धारणा है कि एंटीबायोटिक दवाओं से कोई नुकसान नहीं है। इसीलिए जरा-सी सर्दी-जुकाम या मामूली दर्द होने पर भी एंटीबायोटिक ले लेते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार 53 फीसद भारतीय बिना डॉक्टरी सलाह के एंटीबायोटिक लेते हैं। वहीं सर्दी, जुकाम जैसी मामूली बीमारी में डॉक्टर एंटीबायोटिक नहीं लिखता है, तो 48 फीसद लोग डॉक्टर बदलने की सोचने लगते हैं।
ड्रग्स पॉलिसी से अवगत होंगे जिले के एक हजार डॉक्टर, दवा दुकानदार
ड्रग्स पॉलिसी को लागू होने से पूर्व एमजीएम सहित जिले के एक हजार डॉक्टरों को इस पॉलिसी से अवगत कराया जाएगा। इसमें वैसे सभी डॉक्टर शामिल होंगे जो क्लिनिक से लेकर छोटे-बड़े अस्पतालों में सेवा देते हैं। इसके लिए आइएमए व एमजीएम प्रबंधन अपने स्तर से कार्यशाला आयोजित कर डॉक्टरों के साथ-साथ दवा दुकानदारों को भी जागरुक करेगा। दवा दुकानदार के साथ-साथ डॉक्टर भी बिना सोचे-समझे बुखार और खांसी के लिए भी एंटीबायोटिक लिख देते हैं।
पॉलिसी के तहत कुछ इस तरह काम करेगी टीम
एक टीम गठित की जाएगी। इसमें डॉक्टर, दवा दुकानदार व समाजसेवी शामिल होंगे। ये डॉक्टरों व लोगों को जागरुक करने के साथ-साथ अपील करेंगे।
दर्द, सर्दी-जुकाम व अन्य बीमारियां होने पर किसी अच्छे चिकित्सक से परामर्श लेकर ही दवा खरीदें।
एंटीबायोटिक दवाइयां कुछ समय के लिए सिर्फ दर्द को दबाती हैं। कारण को ठीक नहीं करती। इन दवाओं से पेट में अल्सर, एनीमिया, गुर्दे खराब होने आदि परेशानियां आ सकती हैं।
कई लोग कमजोरी को लेकर विभिन्न प्रकार के टॉनिक व विटामीन का सेवन करते हैं। ज्यादा खुराक लेने से शरीर की प्राकृतिक प्रक्रिया में यह व्यवधान भी उत्पन्न कर सकता है।
एक ही एंटीबायोटिक को बार-बार लेने से उससे शरीर में रोग प्रतिरोधक शक्ति कम हो जाती है। ऐसी स्थिति में हल्की एंटीबायोटिक दवाएं असर नहीं करती है।
अधिक समय तक एंटीबायोटिक खाने से बीमारी बढ़ती रहती है और कई बार उसके साइड इफेक्ट जैसे दस्त होना, पेट खराब, मुंह में छाले आदि हो सकते हैं।
सही बीमारी की पहचान, सही दवा का चयन, सही डोज का निर्धारण करना बहुत ही जरूरी है।
ड्रग एंड कॉस्मेटिक एक्ट के तहत एक साल तक बेची गई एंटीबायोटिक दवाओं का रिकार्ड रखना अनिवार्य होगा।
एंटीबायोटिक दवाएं का मिसयूज चिंता का विषय है। इसके प्रति सभी को जागरूक होने की जरूरत है। सही जांच के बाद और जरूरी होने पर ही एंटीबायोटिक दवाएं लेनी चाहिए।
डॉ. एसी अखौरी, प्रिंसिपल, एमजीएम।
पहली बार में किसी भी मरीज को हाई पावर के एंटीबायोटिक दवाएं नहीं दिया जाना चाहिए। मरीज भी एक दवा से ही ठीक होना चाहता है। ऐसे में वह खुद भी दवा खरीद कर खा लेता है।
डॉ. मृत्युंजय सिंह, सचिव, आइएमए।
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