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World Creativity and innovation Day 2020 : इस इंजीनियर आइएएस अधिकारी ने लॉकडाउन में कर डाले छह इनोवेशन, कोरोना से जंग में आ रहे काम

झारखंड के कोल्‍हान प्रमंडल के पश्चिमी सिंहभूम जिले में कोरोना योद्धा के रूप में अपनी सेवाएं दे रहे उपविकास आयुक्‍त (DDC)आदित्य रंजन ने लॉकडाउन में छह आविष्‍कार कर डाले हैं।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Tue, 21 Apr 2020 02:04 PM (IST)Updated: Tue, 21 Apr 2020 02:57 PM (IST)
World Creativity and innovation Day 2020 : इस इंजीनियर आइएएस अधिकारी ने लॉकडाउन में कर डाले छह इनोवेशन, कोरोना से जंग में आ रहे काम
World Creativity and innovation Day 2020 : इस इंजीनियर आइएएस अधिकारी ने लॉकडाउन में कर डाले छह इनोवेशन, कोरोना से जंग में आ रहे काम

चाईबासा, सुधीर पांडेय। World Creativity and innovation Day 2020 देश के कई हिस्से में कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों की देखभाल कर रहे डॉक्टर, नर्स और अन्य फ्रंटलाइन वर्कर्स में भी कोरोना संक्रमण की खबरें आई हैं। इसके बाद से ही देश भर में ऐसे प्रयास किए जा रहे हैं कि कोरोना संक्रमित मरीजों से फ्रंटलाइन वर्कर्स का कम से कम सामना हो। कोरोना योद्धाओं को संक्रमण से बचाने के लिए कि, ग, नवाचारों (इनोवेशन) के कारण झारखंड कैडर के प्रशासनिक अधिकारी आदित्य रंजन सुर्खियों में हैं। उनके नवाचारों को देखकर लोगों के मुंह से अनायास ही निकल जाता है व्हाट एन आइडिया सर जी!

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दुनिया के 170 से ज्यादा देशों को अपनी चपेट में लेने वाली महामारी कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम जिले के उपविकास आयुक्त आदित्य रंजन ने अपनी तकनीकी विद्या से लॉकडाउन के भीतर छह ऐसे उपकरण तैयार किये हैं जिनके इस्तेमाल से न केवल हमारे चिकित्सक व स्वास्थ्यकर्मी कोरोना वायरस के संक्रमण का शिकार होने से बच रहे हैं बल्कि पीपीई किट, सैनिटाइजर व अन्य तरह के उपकरणों की व्यवस्था करने में होनेवाले आर्थिक खर्च को भी बचा रहे हैं।

2010 में आए भारतीय प्रशासनिक सेवा में

30 साल के आदित्य रंजन वर्ष 2015 बैच के आइएएस अधिकारी हैं। मूलरूप से झारखंड के बोकारो ज‍िले के रहनेवाले आदित्य वर्ष 2010 में बीआइटी मेसरा से इंजीनियरिंग करने के बाद प्रशासनिक सेवा में आए हैं। झारखंड के सबसे पिछड़े जिलों में शामिल पश्चिमी सिंहभूम जिले को 200 से ज्यादा आंगनबाड़ी केंद्रों को मॉडल केंद्र के रूप में बदलने के बाद देश भर में सुर्खियों में आए ये अधिकारी कोरोना वायरस के खिलाफ छिड़े युद्ध में योद्धा बनकर जिले का नेतृत्व कर रहे हैं। कोरोना योद्धाओं के लिए उनके द्वारा चलित फोन बूथ कोरोना सैंपल कलेक्शन सेंटर, ऑटोमेटेड सेनिटाइजेशन चैंबर, फेस शील्ड, करेंसी नोट डिसइंफेक्‍शन मशीन और को-बोट जैसे उपकरण तैयार किए गए हैं।

इस तरह आता आइडिया

आदित्य कहते हैं- मैं कोरोना से संक्रमित देशों की स्थिति और वहां उससे बचने के लिए अपनाए जा रहे तरीकों के आनलाइन वीडियो अक्सर देखता हूं। उन हालात से निपटने का क्या बेहतर समाधान हो सकता है, इस पर मंथन करता हूं। चूंकि मैं खुद इंजीनियरिंग का स्टूडेंट रहा हूं इसलिए तकनीक पर फोकस रहता है। कोई इनोवेशन दिमाग में आता है तो इंजीनियरों के साथ मिलकर उस पर काम शुरू कर देता हूं। चलित सैंपल कलेक्शन सेंटर का आइडिया दक्षिण कोरिया के एक वीडियो को देखकर आया। अब तक किसी संक्रमित मरीज की जांच के लिए एक पीपीई किट की आवश्यकता पड़ती थी लेकिन नई तकनीक से पीपीई किट के साथ समय और राजस्व की बचत हो रही है। को-बोट को मैंने रोबोटिक्स का इस्तेमाल कर इंजीनियर्स की टीम के साथ मिलकर तैयार किया है। खासियत यह है कि बिना किसी मानवीय संपर्क के यह रोबोट कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों को दवा और खाना पहुंचा सकता है।

कोरोना वायरस से बचाव को पश्चिमी सिंहभूम में तैयार किए गए उपकरण

चलित फोन बूथ कोविड-19 सैंपल कलेक्शन सेंटर 

 इस बूथ की लागत 15 से 20 हजार रुपये है। इसे आसानी से सैंपल के कलेक्शन हेतु एक जगह से दूसरी जगह तक ले जाया जा सकता है। इसके जरिए जांच करने पर स्वास्थ्य कर्मियों को पीपीई किट, मास्क व ग्लब्स नहीं पहना पड़ेगा। 

कोरोना योद्धाओं के लिए फेस शील्ड 

फ्रंटलाइन वर्कर्स-चिकित्सा कर्मियों और पुलिस बल को ये फेस शील्ड सुरक्षा मुहैया करायी गयी है। हेल्मेट नुमा यह शील्ड चेहरे और गर्दन को कवर करेगी। इसका लागत मूल्य करीब 150 रुपये है।

आटोमेटेड सैनिटाइजेशन चैंबर 

 इसमें घुसते ही व्यक्ति अपने आप सैनिटाइज हो जायेगा। इसे कोविड-19 के लिए बनाए गए चक्रधरपुर रेलवे अस्पताल कक्ष और चाईबासा जेल में लगाया गया है। 

को-बोट 

 को-बोट रिमोट से संचालित रोबोटिक्स उपकरण है। इसकी सहायता से कोरोना मरीज तक दवा, पानी, भोजन इत्यादि स्वचालित रूप से पहुंचेगी। चिकित्सक अथवा चिकित्सा कर्मियों को मरीज तक जाना नहीं पड़ेगा जिससे कि उन्हें कोरोना वायरस से संक्रमण का खतरा नहीं रहेगा। इसमें कैमरा भी लगा है। इससे दूर से ही मरीज की निगरानी संभव है।

हाईटेक इंडिविजुअल आइसोलेशन बेड 

 हाईटेक इंडिविजुअल आइसोलेशन बेड का आशय ऐसे बेड से है जिसमें प्रत्येक बेड अपने आप में एक कमरे के समान होगा। किसी चिकित्सा कर्मी को मरीज से और मरीजों को एक दूसरे से संक्रमण नहीं होगा। इसे कोविड-19 रेल अस्पताल में लगाया गया है।

करेंसी नोट डिसइंफेक्टेंट मशीन

 

 करेंसी नोट डिसइंफेक्टेंट मशीन में नोट डालते ही सेनिटैज होकर बाहर आ जाएंगे। ये मशीन रेलवे स्टेशन टिकट काउंटर में लगाने की तैयारी चल रही है। डीडीसी आदित्य रंजन ने बताया कि नोट से भी वायरस फैलने की बातें समय-समय पर कही जा रही हैं। संक्रमण की संभावना को देखते हुए हम लोग एक ऐसा उपकरण तैयार कर रहे हैं जो करेंसी नोट से वायरस के फैलने की संभावना को खत्म कर देगा। इस मशीन में अल्ट्रा वायलट किरण और करीब 200 डिग्री का तापमान निर्धारित रहेगा। मशीन में एक तरफ से करेंसी नोट डाले जायेंगे और दूसरी तरफ से संक्रमित रहित होकर ये निकलेंगे। इस उपकरण की टेस्टिंग हो गयी है। यह बनकर तैयार है। बहुत जल्द इसे सार्वजनिक किया जायेगा। इस उपकरण को विशेष तौर पर रेलवे टिकट काउंटर पर लगाने के लिए बनाया गया है क्योंकि जब ट्रेन सेवाएं चालू होंगी तो इन काउंटर पर लोगों की भीड़ उमड़ेगी। उस दौरान टिकट काउंटर पर करेंसी नोट के जरिए संक्रमण की संभावना रहेगी। इस उपकरण के जरिये उन्हें सुरक्षा मिलेगी। संभवत: देश में चाईबासा में अपनी तरह की पहली करेंसी नोट डिसइंफेक्टेंट मशीन तैयार की गई  है।


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