EPFO Pension ALERT : 7500 से बढ़कर 25 हजार रुपये हो जाएगी पेंशन, देखें पूरा हिसाब
Employees Pension Scheme पेंशन बुढ़ापे का सहारा होती है। निजी क्षेत्र में काम करने वाले कर्मचारियों के लिए खुशखबरी आने वाली है। 60 साल के बाद पेंशन पाने वालों की राशि में 300 प्रतिशत से अधिक की बढ़ोतरी हो सकती है। जानें कैसे...
जमशेदपुर : निजी क्षेत्र के कर्मचारियों को जल्द ही राहत मिल सकती है। एक फैसले से कर्मचारी भविष्य निधि में योगदान करने वाले लाखों कर्मचारियों की पेंशन एक झटके में 300 प्रतिशत तक बढ़ सकती है। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन ने कर्मचारियों की पेंशन के लिए अधिकतम वेतन 15 हजार रुपये मूल वेतन तय किया गया है। मतलब आपकी सैलरी भले ही 15 हजार रुपये महीने से ज्यादा हो, लेकिन आपकी पेंशन की गणना अधिकतम 15 हजार रुपये सैलरी पर ही की जाएगी।
एक फैसला और पेंशन कई गुना बढ़ सकती है
ईपीएफओ की इस सैलरी-लिमिट को खत्म करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है। कर्मचारी पेंशन की गणना अंतिम वेतन यानि उच्च वेतन ब्रैकेट पर भी की जा सकती है। इस फैसले से कर्मचारियों को कई गुना ज्यादा पेंशन मिलेगी। आपको बता दें, कि पेंशन पाने के लिए कर्मचारी भविष्य निधि में 10 साल तक योगदान करना जरूरी है। वहीं 20 साल की सेवा पूरी करने पर दो साल का वेटेज दिया जाता है। अगर सुप्रीम कोर्ट लिमिट हटाने का फैसला करता है तो कितना फर्क पड़ेगा, आइए समझते हैं।
आपकी पेंशन कैसे बढ़ेगी
मौजूदा व्यवस्था के अनुसार अगर कोई कर्मचारी एक जून 2015 से नौकरी कर रहा है और 14 साल की सेवा पूरी करने के बाद पेंशन लेना चाहता है तो उसकी पेंशन की गणना 15 हजार रुपये ही की जाएगी, भले ही वह कितने साल के लिए काम कर रहा हो। 20 हजार रुपये बेसिक सैलरी ब्रैकेट में हो या 30 हजार रुपये। पुराने फार्मूले के मुताबिक 14 साल पूरे होने पर कर्मचारी को दो जून 2030 से करीब 3000 रुपये पेंशन मिलेगी। पेंशन की गणना का फॉर्मूला है। सर्विस हिस्ट्री गुणा 15000/70 लेकिन अगर सुप्रीम कोर्ट कर्मचारियों के पक्ष में फैसला करता है, तो उसी कर्मचारी की पेंशन बढ़ जाएगी।
333 प्रतिशत तक बढ़ सकती है पेंशन
जानकारी हो कि ईपीएफओ के नियमों के मुताबिक अगर कोई कर्मचारी लगातार 20 साल या इससे ज्यादा समय तक ईपीएफ में योगदान करता है तो उसकी सेवा में दो साल और जुड़ जाते हैं। इस तरह 33 साल की सेवा पूरी हुई, लेकिन 35 साल के लिए पेंशन की गणना की गई। ऐसे में उस कर्मचारी की सैलरी में
333 फीसदी का इजाफा हो सकता है।
क्या है पूरा मामला
कर्मचारी पेंशन संशोधन योजना 2014 को केंद्र सरकार द्वारा एक सितंबर 2014 से एक अधिसूचना जारी कर लागू किया गया था। इसका निजी क्षेत्र के कर्मचारियों ने विरोध किया था और 2018 में केरल उच्च न्यायालय में इस पर सुनवाई हुई थी। ये सभी कर्मचारी ईपीएफ और विविध प्रावधान अधिनियम 1952 की सुविधाओं से अच्छादित थे।
कर्मचारियों ने इपीएफओ के नियमों का विरोध करते हुए कहा कि यह उन्हें कम पेंशन सुनिश्चित करता है। क्योंकि
वेतन भले ही 15 हजार से ज्यादा हों, लेकिन पेंशन की गणना अधिकतम 15 हजार रुपये पर तय की गई है। हालांकि केंद्र सरकार द्वारा एक सितंबर 2014 को किए गए संशोधन के पहले यह राशि 6500 रुपये थी। इपीएफओ के नियमों को अनुचित मानते हुए केरल हाईकोर्ट ने कर्मचारियों की रिट को स्वीकार करते हुए फैसला दिया था। इस पर ईपीएफओ ने सुप्रीम कोर्ट में एक एसएलपी दाखिल की, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया।
फिर हुई सुनवाई
जनवरी 2021 में सुप्रीम कोर्ट ने 2019 के अपने फैसले पर पुनर्विचार किया और मामले की सुनवाई करने का फैसला किया। श्रम मंत्रालय और इपीएफओ की ओर से केरल हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ याचिका दायर की गई थी। ईपीएफओ का मानना है कि इस आदेश से पेंशन 50 गुना तक बढ़ सकती है। 25 अगस्त को न्यायमूर्ति यूयू ललित और न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी की पीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए मामले को तीन सदस्यीय बड़ी पीठ के पास भेजने का फैसला किया। मामला अभी भी लंबित है।