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प्रवर्तन निदेशालय ने इस ई-कॉमर्स कंपनियों को भेजा नोटिस, कैट ने बताया सही कदम

प्रवर्तन निदेशालय ने फ्लिपकार्ट को नोटिस भेजा है। इस पर कंफ़ेडरेशन ऑफ़ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के अधिकारियों ने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए इसे सही कदम बताया है। कहा कि ईडी द्वारा नोटिस भेजना किसी भी मायने में गलत नहीं है।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Thu, 05 Aug 2021 03:22 PM (IST)Updated: Thu, 05 Aug 2021 03:22 PM (IST)
प्रवर्तन निदेशालय ने इस ई-कॉमर्स कंपनियों को भेजा नोटिस, कैट ने बताया सही कदम
कंफ़ेडरेशन ऑफ़ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के राष्ट्रीय सचिव सुरेश सोंथालिया।

जागरण संवाददाता, जमशेदपुर। प्रवर्तन निदेशालय ने फ्लिपकार्ट को नोटिस भेजा है। इस पर कंफ़ेडरेशन ऑफ़ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के अधिकारियों ने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए इसे सही कदम बताया है। कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीण खंडेलवाल और राष्ट्रीय सचिव सुरेश सोंथालिया का कहना है कि अमेजन और फ्लिपकार्ट, दोनों अपने-अपने मार्केटप्लेस पर अपने पसंदीदा विक्रय प्रणाली का संचालन कर रहे हैं जो दोनों  एक ही नाव में सवारी कर रहे हैं।

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प्रवीण खंडेलवाल और सुरेश सोंथालिया ने ईडी के इस कदम का स्वागत करते हुए कहा है कि अमेजन और फ्लिपकार्ट द्वारा वर्ष 2016 से वर्ष 2021 के बीच सरकार के कानूनों के उल्लंघन की जांच की जानी चाहिए। कैट ने कहा कि ईडी को केवल भारी जुर्माना ही नहीं लगाना चाहिए, बल्कि सरकार को अमेज़न और फ्लिपकार्ट, दोनों के पोर्टलों पर प्रतिबंध लगाने की सिफारिश करनी चाहिए क्योंकि दोनों ही कंपनियां केंद्र सरकार की एफडीआई नीति का अनुपालन नहीं करती हैं। इसलिए जब तक ये नियमों का अक्षरस: पालन नहीं करते, इन पर प्रतिबंध लगा रहने दिया जाए।

एफडीआइ के उल्लंघन की कही बात

वहीं, सोंथालिया ने कहा है कि फ्लिपकार्ट के मामले में डब्ल्यूएस रिटेल कंपनी का स्वामित्व सचिन बंसल और बिन्नी बंसल दोनों के पास था। यही कंपनी फ्लिपकार्ट के कारोबार के एक बड़े हिस्से के द्वारा बेच रहा था जबकि अमेज़न के मामले में ज्यादातर सामान क्लाउडटेल और व्यापारियों द्वारा बेचा जा रहे हैं जहां अमेज़न की इक्विटी हिस्सेदारी है। चूंकि दोनों ही मामलों में बेचने वाली पार्टियां मार्केटप्लेस की संबंधित कंपनियां हैं, इस वजह से अमेज़न और फ्लिपकार्ट दोनों ने ई-कॉमर्स कानून में एफडीआई का उल्लंघन किया है। सोंथालिया ने कहा कि ई-कॉमर्स नीति में एफडीआई के तहत विदेशी वित्त पोषित कंपनियां केवल प्रौद्योगिकी सुविधा प्रदान करने वाले बाजार के रूप में कार्य कर सकती हैं। प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से माल नहीं बेच सकती हैं जबकि ये कंपनियां इन्वेंट्री मोड में भी काम कर रही थीं जो एफडीआई नीति के तहत प्रतिबंधित है इसलिए ईडी द्वारा नोटिस भेजना किसी भी मायने में गलत नहीं है।


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