Home Loan : मूर्ख लोग घर बनाते हैं, बुद्धिमान उसमें रहते हैं, जानिए ऐसा क्यों है
Home Loan Vs Rented House अगर आप जिंदगी भर की गाढ़ी कमाई घर खरीदने में लगा देते हैं तो यह बुद्धिमानी नहीं है। इंवेस्टमेंट एक्सपर्ट की माने तो भले ही घर खरीदना भावनात्मक हो सकता है लेकिन यह फायदेमंद नहीं है। जानिए ऐसा क्यों है...
जमशेदपुर, जासं। मूर्ख लोग घर बनाते हैं और उनमें बुद्धिमान लोग रहते हैं। यह एक ब्रिटिश कहावत है, जिसका उपयोग अक्सर किराए के घर में रहने वाले द्वारा किया जाता है। हालांकि, कोई यह पूछ सकता है कि क्या किराए के आवास में रहना और होम लोन ईएमआई से बचाए गए पैसे का उपयोग करके अधिक बचत करना वास्तव में बुद्धिमानी है।
इन्वेस्टमेंट एक्सपर्ट से पूछें तो कहेंगे कि अगर कोई व्यक्ति यह तय नहीं कर सका है कि उसे किस शहर में बसना है, तो उसके लिए घर खरीदना बुद्धिमानी नहीं है। बेवजह होम लोन की मोटी ईएमआई चुकाने के बजाय किराए के घर में रहना बेहतर है। अगर कोई घर के मालिक होने के तर्क के बारे में सोचे बिना अपने सपनों का घर खरीदता है तो घर खरीदना एक भावनात्मक निर्णय हो सकता है।
कमाई से करनी होगी 20 प्रतिशत बचत
इन्वेस्टमेंट एक्सपर्ट सीए राकेश चौधरी कहते हैं कि यदि आपको लोन पर घर खरीदना है, तो अपनी कमाई का 20 प्रतिशत बचाने और उसके हिसाब से ही ईएमआई चुकाने के बारे में सोचना चाहिए। बैंक किसी भी घर या मकान की कुल लागत का 80 प्रतिशत से अधिक होम लोन नहीं देते हैं। इसलिए एक गृह ऋण आवेदक को किसी की बचत से अतिरिक्त 20 प्रतिशत संपत्ति लागत को रोकना होगा।
इसके अलावा, स्टाम्प शुल्क और कुछ अन्य विविध शुल्क हैं जो बैंक ऋण में शामिल नहीं रहते हैं, इसलिए इसके बारे में भी सोच लें। इसलिए किसी को घर खरीदने से पहले अपनी बचत देखनी चाहिए। होम लोन के लिए आवेदन करते समय जिन अन्य कारकों पर विचार करना चाहिए। यदि घर खरीदने के इच्छुक व्यक्ति को किसी शहर में कम अवधि के लिए तैनात किया गया है या उसे ऐसे शहर में तैनात किया गया है जहां उसका रहने का इरादा नहीं है, तो किराए के घर में रहना बेहतर विकल्प है।
35 लाख रुपये के मकान के लिए बैंक 28 या 30 लाख रुपये ही देंगे
विशेषज्ञ बताते हैं कि एक किराए के घर में रहने से व्यक्ति को समय बीतने के साथ धन संचय करने में मदद मिल सकती है, जिससे वह भविष्य में घर खरीदने के लिए पैसा जुटा सकता है। यदि आपने हड़बड़ी में घर खरीद लिया और वहां आपको नहीं रहना है, तो आपका वह पैसा वापस नहीं मिलेगा, जो आपने होम लोन के प्रोसेस में खर्च कर दिया है।
यदि 35 लाख रुपये के घर को खरीदने के लिए किसी को स्टांप ड्यूटी, रजिस्ट्रेशन फीस, ब्रोकरेज आदि का भुगतान किया तो आपको लगभग पांच लाख रुपये लगेंगे। इन सभी लागतों सहित घर की कुल लागत लगभग 40 लाख रुपये होगी। चूंकि बैंक 80 प्रतिशत से अधिक का वितरण नहीं करते हैं, इसलिए आपको होम लोन में लगभग 28 लाख रुपये ही बैंक देगा। कोई बैंक 85 प्रतिशत लोन देता है, तो भी आपको 30 लाख रुपये ही मिलेंगे। 20 साल की अवधि के लिए 30 लाख के होम लोन की मासिक ईएमआई लगभग 25,000 रुपये आएगी।
म्युचुअल फंड या एसआइपी बेहतर विकल्प
यदि आपको घर खरीदना ही है तो म्यूचुअल फंड या एसआइपी के माध्यम से खरीदना बेहतर विकल्प हो सकता है। 20 साल के निवेश पर कम से कम 12 प्रतिशत एनुअल रिटर्न देगा। कोई भी 35 लाख रुपये का घर खरीदना चाहता है तो किराए के रूप में सालाना 2.5 से तीन प्रतिशत संपत्ति की लागत की उम्मीद कर सकता है, जबकि कमर्शियल प्रापर्टी में किराए की आमदनी 8-12 प्रतिशत तक हो सकती है। यह स्थान पर निर्भर करता है।
रियल एस्टेट का किराया भी करीब पांच प्रतिशत सालाना की दर से बढ़ता है। इसलिए संपत्ति की लागत का तीन प्रतिशत वार्षिक किराए के रूप में मानते हुए, किसी को 35 लाख की संपत्ति के लिए लगभग 1,05,000 रुपये प्रतिवर्ष या 8,750 रुपये प्रतिमाह का भुगतान करना होगा, जबकि एक घर खरीदने के लिए 25,000 रुपये प्रतिमाह का भुगतान करना होगा।
घर खरीदने के समय 10 लाख रुपये का एकमुश्त भुगतान छोड़कर एक ही घर में रहना होगा। इसलिए अगर कोई व्यक्ति 35 लाख रुपये का घर खरीदने के बजाय किराए के घर में रहने का फैसला करता है, तो वह अपनी मासिक ईएमआई से 16,250 प्रतिमाह बचा पाएगा। अगर घर खरीदार इस 16,250 रुपये को मासिक म्यूचुअल फंड एसआइपी में 20 साल के लिए निवेश करता है, तो यह 20 वर्षों के बाद लगभग 1.50 करोड़ रुपये हो जाएगा।