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पश्चिमी सिंहभूम के कुमारडुंगी में हाथियों ने मचाया उत्‍पात, सैकड़ों एकड़ फसल बर्बाद Chaibasa News

ओडिशा की ओर से झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम जिले के कुमारडुंगी में आए हाथियों के झुंड ने बाईहातु व खंडकोरी पंचायत में तबाही मचा रखा है।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Sun, 20 Sep 2020 06:18 PM (IST)Updated: Mon, 21 Sep 2020 01:34 PM (IST)
पश्चिमी सिंहभूम के कुमारडुंगी में हाथियों ने मचाया उत्‍पात, सैकड़ों एकड़ फसल बर्बाद  Chaibasa News
पश्चिमी सिंहभूम के कुमारडुंगी में हाथियों ने मचाया उत्‍पात, सैकड़ों एकड़ फसल बर्बाद Chaibasa News

कुमारडुंगी (पश्चिमी सिंहभूम ), जासं।  ओडिशा की ओर से झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम जिले के कुमारडुंगी में आए हाथियों के झुंड ने बाईहातु व खंडकोरी पंचायत में तबाही मचा रखा है। सैकड़ों एकड़ फसल को रौंद दिया है। बताया जा रहा है कि बाईहातु जंगल में करीब 25 हाथियों का झुंड आया हुआ है जो अलग-अलग हिस्सों में छोटी टुकड़ी बनाकर घूम रहा है।

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हालांकि, हाथियों का झुंड दिन में किसी तरह का कोई नुकसान नहीं करता है, पर अंधेरा होते ही खेतों में लगे धान की फसलों पर धावा बोल देता है। किसानों की कड़ी मेहनत पर पानी फेर देता है। टियापोसी के ग्रामीणों ने बताया कि हाथियों का झुंड धान रोपनी के समय से बाईहातु जंगल में आया हुआ है। इसके बारे में वन विभाग को भी सूचना दे दी गई है। वन विभाग से बचाव के लिए बहुत कम उपकरण दिए गए थे जो खत्म हो चुके हैं। कुमारडुंगी के कुदाहातु, बाईहातु, बालिबंद, टियापोसी, जोजोहातु, रत्नासाई, खंडकोरी, जायरबेड़ा, पातारहातु, पतासाई, उसाम्बीर, राजाबासा गांव में हाथियों ने कई एकड़ जमीन पर लगी फसलों को बर्बाद कर दिया है।

 इसी झुंड का साथी था मंझारी का मृत हाथी 

लोगों का कहना है कि प्रत्येक वर्ष हाथियों का झुंड खेतों में धान रोपनी के पहले ही बाईहातु जंगल में आ जाता है। धान कटनी तक जंगल में डेरा डाले रहता है। जब सभी खेत में धान के फसल खत्म हो जाते हैं तो झुंड का सरदार अपने साथ झुंड को लेकर ओडिशा जंगल की ओर रुख कर लेता है। ग्रामीणों ने बताया कि प्रत्येक वर्ष झुंड में से दो हाथी इसी बाईहातु जंगल में ही रुक जाता है। रुकने के बाबजूद क्षेत्र में कोई नुकसान नहीं पहुंचाता है। एक वर्ष के बाद जब झुंड पुनः आता है तो मिलकर खेतों में लगी फसल खाने निकल जाते हैं। यह सिलसिला प्रत्येक वर्ष चलाता आ रहा है। बाईहातु, बालीबंद, टियापोसी के ग्रामीणों का कहना है कि इसी झुंड में से शुक्रवार के दिन हाथियों की एक टुकड़ी पहाड़ी के दूसरे छोर में चली गई। जहां हाथी दांत तस्करों के बिछाए जाल में फंसकर उसकी मौत हो गई ।

 फसल बचाने की विधि का फायदा उठा रहे हाथी दांत तस्कर 

हाथियों के झुंड से किसान अपनी फसल को बचाने के लिए विभिन्न प्रकार के हथकंडे अपना रहे हैं। मंझारी थाना क्षेत्र के दुबीला गांव में तीन एकड़ की जमीन को घेराबंदी के लिए नंगे तार का जाल बिछाया गया था। हाथी दांत तस्‍करों ने इसका फायदा उठा कर तार में बिजली करंट फ्लो करवा दिया। करंट की चपेट में आकर शुक्रवार की रात एक सात साल के हाथी की मौत हो गई । हाथी दांत के तस्‍करों ने उसके दांत निकाल कर झाड़ियों में छुपा दिया था। शनिवार के दिन मौके पर पहुंची वन विभाग की टीम ने सर्च अभियान के दोनों दांत बरामद कर लिए हैं। हाथी के शव को पोस्टमार्टम कर उसी स्थान में दफना दिया गया है। इधर, कुमारडुंगी प्रखंड के किसान फसल की सुरक्षा के लिए रतजगा कर रहे हैं। जगह- जगह पेड़ों पर मचान बना डेरा डाले फसलों की सुरक्षा कर रहे हैं।

 तार से घेराबंदी वाले किसान को नहीं मिलेगा कोई लाभ: डीएफओ

शुक्रवार की रात अपने झुंड से भटककर दुबीला गांव क्षेत्र में पहुंचे एक हाथी की हाथी दांत तस्‍करों ने हत्या कर दी। दांत निकाल  कर झाड़ियों में छुपा दिया गया था। वन विभाग ने उसे बरामद कर लिया है। मौके पर पहुंचे चाईबासा वन प्रमंडल पदाधिकारी सत्यम कुमार ने लोगों से अपील की फसलों की सुरक्षा के लिए नंगे तार ना लगाए। नंगे तारों से खेती की घेराबंदी करने वाले किसानों को वन विभाग किसी प्रकार से सहयोग नहीं करेगा। फसल बर्बाद होने या अन्य प्रकार के नुकसान पर मुआवजा नहीं देगा।


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