धालभूमगढ़ में एयरपोर्ट निर्माण में फंसा एलिफेंट कॉरिडोर का पेच Jamshedpur News
पश्चिम बंगाल से दलमा आने वाले हाथियों का कॉरिडोर होने की वजह एमओईएफसीसी ने आपत्ति जताई है। इसके बाद फाइल का गहन अध्ययन केंद्रीय नागर विमानन विभाग कर रहा है।
जमशेदपुर, जासं। धालभूमगढ़ में प्रस्तावित एयरपोर्ट पर तलवार लटक गई है। मिनिस्ट्री ऑफ एनवायरनमेंट फारेस्ट एंड क्लाइमेट चेंज (एमओईएफसीसी) यानी वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने धालभूमगढ़ में एयरपोर्ट के निर्माण को हरी झंडी देने से मना कर दिया है।
एमओईएफसीसी ने यहां एयरपोर्ट के निर्माण पर एतराज जताते हुए कहा है कि पश्चिम बंगाल से दलमा के जंगल तक आने-जाने वाले हाथी धालभूमगढ़ के इसी कॉरिडोर से होकर गुजरते हैं। अगर यहां हवाई अड्डे का निर्माण हुआ तो हाथियों का रास्ता (एलिफेंट कॉरिडोर ) प्रभावित होगा और इससे हाथी बिदक जाएंगे। एमओईएफसीसी की आपत्ति के बाद एयरपोर्ट के निर्माण में पेच फंस गया है। वन विभागों के सूत्रों की मानें तो अब धालभूमगढ़ में एयरपोर्ट बनना बेहद मुश्किल है। एमओईएफसीसी की आपत्ति के बाद केंद्रीय नागर विमानन विभाग धालभूमगढ़ में एयरपोर्ट निर्माण की फाइल पर दोबारा गहन अध्ययन कर रहा है। माना जा रहा है कि अब योजना ठंडे बस्ते में चली जाएगी। गौरतलब है कि सांसद विद्युतवरण महतो ने धालभूमगढ़ में एयरपोर्ट बनवाने का बीड़ा उठा रखा था। पिछले तीन साल में जब भी वो दिल्ली से जमशेदपुर आते थे तो प्रेस कांफ्रेंस कर एयरपोर्ट निर्माण को लेकर कोई न कोई एलान जरूर करते थे।
बनना था अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट
धालभूमगढ़ में प्रस्तावित एयरपोर्ट अंतरराष्ट्रीय स्तर का बनाने की बात कही जा रही थी। इसके लिए 220 एकड़ जमीन चिन्हित की गई थी। एयरपोर्ट निर्माण के लिए 100 करोड़ रुपये मिलने की भी बात सांसद ने लोगों को बताई थी। इसके बाद भी अब तक निर्माण कार्य शुरू नहीं होने से लोग हैरत में हैं।
एक साल पहले केंद्रीय मंत्री ने किया था शिलान्यास
एयरपोर्ट का ब्लू प्रिंट।
धालभूमगढ़ में एयरपोर्ट के लिए केंद्रीय नागर विमानन विभाग को जमीन तक हस्तांतरित नहीं हुई थी। एमओईएफसीसी की हरी झंडी नहीं मिली थी। इसके बाद भी तत्कालीन केंद्रीय नागर विमानन मंत्री जयंत सिन्हा ने पिछले साल 24 जनवरी को धालभूमगढ़ आकर प्रस्तावित एयरपोर्ट का शिलान्यास कर दिया था। लेकिन, शिलान्यास के बाद एयरपोर्ट में कोई भी निर्माण नहीं हुआ है।
इस क्षेत्र से गुजरते हाथी
पूर्वी सिंहभूम का पूरा ग्रामीण इलाका ही गज आरक्षित क्षेत्र है। इसमें धालभूमगढ़ भी आता है। इस क्षेत्र से हाथियों का गुजरना होता है। बंगाल से दलमा आने और दलमा से बंगाल जाने वाले हाथी इसी इलाके से गुजरते हैं।
- विश्वनाथ शाह, आरसीसीएफ (क्षेत्रीय मुख्य वन संरक्षक) वन विभाग