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Electric Vehicles : पेट्रोल-डीजल तो दूर, अब सीएनजी भी होने जा रहा है इतिहास

Electric Vehicles बाजार में इलेक्ट्रिक वाहन धूम मचा रहा है। इस दीपावली ऐसे वाहनों की मांग ज्यादा बढ़ गई है। अगर मांग इसी तरह बरकरार रहा तो वह दिन दूर नहीं जब सीएनजी भी इतिहास के पन्नों में सिमट जाएगा।

By Jitendra SinghEdited By: Published: Thu, 21 Oct 2021 07:45 AM (IST)Updated: Thu, 21 Oct 2021 04:56 PM (IST)
Electric Vehicles : पेट्रोल-डीजल तो दूर, अब सीएनजी भी होने जा रहा है इतिहास
Electric Vehicles : पेट्रोल-डीजल तो दूर, अब सीएनजी भी होने जा रहा है इतिहास

जमशेदपुर, जासं। जैसा कि हम जानते हैं वाहन की दुनिया में इलेक्ट्रिक व्हीकल या ईवी का ही भविष्य है। दुनिया के सभी देश इसे तेजी से अपना रहे हैं। यही कारण है कि टाटा मोटर्स जैसी बड़ी कंपनी इलेक्ट्रिक कार पर फोकस कर रही है। कंपनी ने अपना प्रीमियम ब्रांड जगुआर लैंड रोवर को अगले दो साल में पूरी तरह इलेक्ट्रिक करने की योजना बना चुका है।

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इलेक्ट्रिक कार की बाजार में मांग भी अधिक है। ऐसे में पेट्रोल-डीजल की बात तो दूर अब सीएनजी भी बहुत जल्द इतिहास के पन्ने में सिमटने वाला है। ऐसे में इस बात की चर्चा हो रही है कि इलेक्ट्रिक व्हीकल के लिए फ्यूएल सेल्स व बैट्री, दोनों का ही भविष्य समान होगा।

आइपीसीसी ने दी चेतावनी, जलवायु परिवर्तन खतरनाक स्तर पर

एक हालिया रिपोर्ट में इंटर गवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज (आइपीसीसी) ने चेतावनी जारी की है कि जलवायु परिवर्तन या क्लाइमेट चेंज के लिए खतरा उत्पन्न हो गया है। जीवाश्म इंधन या फासिल फ्यूएल मिलना भी मुश्किल होने जा रहा है। इसकी बड़ी तेजी से कमी होती जा रही है। अब भविष्य ग्रीन एनर्जी या गैर पारंपरिक ऊर्जा स्रोत का ही है, इसमें कोई संदेह नहीं रह गया है।

हाइड्रोजन फ्यूल वाली इंजन भी जल्द आएगा बाजार में

यह भी साफ हो गया है कि यही एकमात्र चीज है, तो जलवायु परिवर्तन के खतरे को कम कर सकता है। यह वाहन उद्योग के लिए भी पारंपरिक इंधन का बेहतर होगा। हालांकि बहुत से लोग सोचते या जानते हैं कि इलेक्ट्रिक व्हीकल सिर्फ बैट्री के भरोसे चल सकती है चलेगी, जबकि ऐसा नहीं है। यहां उन्हें बता दें कि फ्यूएल सेल हाइड्रोजन फ्यूल भी इलेक्ट्रिक व्हीकल में तेजी से अपनाया जा रहा है। यह भी जलवायु परिवर्तन के लिए उतना ही उपयोगी है, जितनी बैट्री।

दोनों का स्टोरेज व फिलिंग प्रोसेस अलग-अलग

इलेक्ट्रिक व्हीकल में बैट्री और हाइड्रोजन फ्यूएल दोनों समान रूप से उपयोग किए जाएंगे, लेकिन इनका उपयोग या फिलिंग प्रोसेस अलग-अलग तरीके से किया जा सकेगा।

हाइड्रोजन फ्यूएल के लिए जगह-जगह स्टोरेज टैंक स्थापित किए जाएंगे, जबकि बैट्री के लिए चार्जिंग स्टेशन होंगे। दोनों को स्टोरेज करना पड़ेगा, लेकिन इनके तरीके बिल्कुल अलग होंगे। इलेक्ट्रिक व्हीकल के लिए हाइड्रोजन फ्यूएल सेल ज्यादा लिथियम-आयन बैट्री की तुलना में ज्यादा ऊर्जा संघनित करेगा। इसका वाहन के वजन पर भी ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ेगा, जबकि बैट्री से वाहन का वजन बढ़ेगा।

शुद्ध हाइड्रोजन की उपलब्धता नगण्य

पर्यावरण के लिए बैट्री के समान गुण होने के बावजूद शुद्ध हाइड्रोजन की उपलब्धता नगण्य है। इसका मतलब यह हुआ कि शुद्ध हाइड्रोजन का उत्पादन करना होगा और यह आसान नहीं होगा। फिलहाल हाइड्रोजन प्राकृतिक गैस और कोयले से बनाया जाता है।

कोयले से हाइड्रोजन बनाना कार्बन डायक्साइड की तुलना में महंगा पड़ेगा, यह बताने की आवश्यकता नहीं है। इसी तरह बैट्री बनाना भी कम खर्चीला नहीं है। इसके अलावा इनका रखरखाव और इनकी ट्रांसपोर्टिंग आदि पर भी काफी खर्च होगा। इससे यह बात तो स्पष्ट है कि पर्यावरण के लिए यह लाभकारी है, लेकिन इन दोनों इंधन का उपयोग पेट्रोल-डीजल की तुलना में कम खर्चीला नहीं होगा।


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