पेट्रोल-डीजल से सस्ती हो जाएगी इलेक्ट्रिक कार, बस कर लीजिए थोड़ा इंतजार
पेट्रोल-डीजल की आसमान छूती कीमतों के कारण दुनिया भर में लोग इलेक्ट्रिक वाहन की ओर आकर्षित हो रहे हैं। टाटा मोटर्स सहित कई ऑटोमोबाइल कंपनिया इलेक्ट्रिक कार की बैटरी सस्ता करने की दिशा में काम कर रही है।
जमशेदपुर, जासं। पेट्रोल और डीजल की मूल्य वृद्धि को लेकर कांग्रेस समेत तमाम विरोधी दल हायतौबा मचा रही हैं, लेकिन आने वाले दिनों में अब शायद ही कोई इसकी बात भी करेगा। इलेक्ट्रिक कार पेट्रोल और डीजल की कार से सस्ती हो जाएगी, बस पांच साल तक इंतजार करना होगा। जमशेदपुर में इलेक्ट्रिक कार का स्वागत के लिए स्टेशन, बिष्टुपुर व सोनारी में चार्जिंग स्टेशन बनाए गए हैं।
इलेक्ट्रिक कार को सस्ता करने के लिए निरंतर शोध चल रहा है। भारत में तेजी से इलेक्ट्रिक कारों का उत्पादन हो रहा है, तो इसे सस्ता बनाने पर भी काम हो रहा है। बेल्जियम में एक संस्था इस पर शोध कर रही है, जिसके मुताबिक 2030 तक इलेक्ट्रिक कारों में लगने वाली बैटरी की कीमत मौजूदा मल्य से 58 प्रतिशत तक सस्ती हो सकती है। यदि ऐसा हो गया तो इलेक्ट्रिक कार की कीमत काफी सस्ती हो सकती है।
इलेक्ट्रिक कार पर सब्सिडी देने की योजना
इलेक्ट्रिक वाहन उत्पादन के लिए सस्ते हो जाएंगे और इससे होने वाला कार्बन उत्सर्जन भी काफी कम हो जाएगा। वैसे इलेक्ट्रिक वाहनों में लगने वाली बैटरी बनाने की लागत गिर रही है, क्योंकि कार कंपनियां भी जानती हैं कि यही एक तरीका है जो इलेक्ट्रिक कार के प्रति ग्राहकों को आकर्षित किया जा सकता है। आने वाले दिनों में सरकार इलेक्ट्रिक कार की खरीद में सब्सिडी देने की योजना बना रही है, लेकिन कंपनियां चाहती हैं कि लोग सब्सिडी के भरोसे क्यों रहें। हम खुद ही इतनी सस्ती कार बना देंगे कि लोग शौक से खरीदना शुरू कर देंगे।
यूरोप व चीन में इलेक्ट्रिक कार बाजार में तेजी
फिलहाल यूरोप और चीन में इलेक्ट्रिक कार बाजार में तेजी चल रही है। इसके पीछे इन दोनों देश की सरकारों द्वारा पर्यावरण को लेकर जारी सख्त नियम भी सहायक हो रहे हैं। प्रदूषण फैलाने वाले इंजन व ईंधन दोनों पर कड़े नियम-कानून लागू किए जा रहे हैं। ऐसे में स्वाभाविक रूप से वहां के लोग इलेक्ट्रिक कार लेना पसंद कर रहे हैं। इससे कार उत्पादक कंपनियां भी तेजी से उत्पादन कर रही हैं। ब्रिटेन में पहले से पेट्रोल-डीजल वाले वाहन की बिक्री पर प्रतिबंध लगाने की योजना वहां की सरकार बना चुकी है। यूरोपीय देशों ने तय कर लिया है कि उनके यहां 2035 तक सिर्फ इलेक्ट्रिक वाहन ही चलेंगे।