किसी सोसाइटी में भक्तों के आड़े नहीं आया पर्दा
पूजा पंडालों में मां की प्रतिमा के आगे कोरोना का परदा लगा था सोसाइटी में यह कहीं नहीं दिखा।
जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : आश्विन शुक्ल पक्ष की महाअष्टमी पर शनिवार को मां दुर्गा की विशेष आराधना हुई। अष्टमी व नवमी का सुयोग दिन में ही होने से पुष्पांजलि के साथ संधि पूजा, बली व कन्या पूजन के अनुष्ठान भी हुए। एक ओर जहां शहर के सार्वजनिक पूजा पंडालों में मां की प्रतिमा के आगे कोरोना का परदा लगा था, सोसाइटी में यह कहीं नहीं दिखा। भक्त और भगवान के आड़े कोई परदा नहीं आया।सोसाइटी-कालोनी में श्रद्धालुओं ने भोग का लुत्फ नहीं भले ही नहीं उठाया, लेकिन फल-मिठाई की कोई कमी नहीं रही।
मानगो स्थित डिमना चौक के पास आशियाना एनक्लेव ने तो मिसाल ही पेश कर दी। यहां इस बार किसी से चंदा नहीं लिया गया, इसके बावजूद पूजा-अर्चना बेमिसाल हुई। मां दुर्गा की तस्वीर रखकर पुजारी-पुरोहित ने पूजा-अर्चना की, तो सुबह-शाम कालोनी के लोग पुष्पांजलि-आरती आदि अनुष्ठान में शामिल हुए। आयोजन समिति के राखोहरि गोस्वामी ने बताया कि कालोनी में कुल 288 घर हैं, लेकिन 210 में ही लोग रहते हैं। यहां शाम को महिलाएं, बच्चे-बच्चियां आरती के लिए पंडाल के पास जुटी थीं, लेकिन कालोनी के गेट पर मंदिर में आरती चल रही थी, इसलिए पंडाल की आरती में विलंब हुआ।
इसी तरह मानगो के डिमना रोड स्थित वाटिका ग्रीन सिटी में भी कालोनी के मंदिर में लोग आरती कर रहे थे, जबकि पंडाल के पास लॉन में कुछ लोग कुर्सी पर बैठकर गप कर रहे थे। थोड़ी ही दूर पर बच्चों का झुंड छोटे से पार्क में खेलकूद में व्यस्त दिखे। इसी के पास डी चौधरी मधुसूदन काम्प्लेक्स में दुर्गापूजा का खूबसूरत पंडाल बना था। मां की प्रतिमा भी भव्य थी, जहां पुजारी आरती की तैयारी कर रहे थे। लाउडस्पीकर से आरती में शामिल होने के लिए लोगों को बुलाया जा रहा था, लेकिन यहां भी मंदिर की आरती समाप्त होने का इंतजार था। कालोनी के युवक सौरभ ने बताया कि इस बार कालोनी में भोग नहीं बंटा। चंदा भी 151 से 251 रुपया ही लिया गया, जबकि पिछली बार 1100 से 2100 रुपये तक लिया गया था। सप्तमी से नवमी तक दिन व रात को एक-एक आदमी को भोग खिलाया गया था। इस बार कोरोना से भोग वितरण नहीं हुआ।
डिमना चौक के पास शिरोमण नगर की दुर्गापूजा भी काफी प्रसिद्ध है, लेकिन कोरोना की वजह से कुछ फीका था। पंडाल का आकार तो छोटा था ही, प्रतिमा भी अपेक्षाकृत छोटी थी। यहां हर साल बाहर से कलाकार बुलाए जाते थे। कालोनी के बच्चे, महिला, पुरुष के लिए भी तरह-तरह की मनोरंजक प्रतियोगिता होती थी, जो इस बार नहीं हुई। यहां खिचड़ी व खीर का भोग बना था, लेकिन जो श्रद्धालु पंडाल में आए, उन्हें ही मिला। घर-घर नहीं बांटा गया।