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चित्र भारती राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव में होगा झारखंड की पृष्ठभूमि पर निर्मित डॉक्युमेंट्री फिल्म 'सेरेंगसिया-1837' एवं 'स्वावलंबी होते गांव' का प्रदर्शन

Jharkhand Entertainment सेरेंगसिया 1837 झारखंड के प्रमुख हो समुदाय के द्वारा अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ प्रतिरोध की ऐतिहासिक कहानी है। वहीं स्वावलंबी होते गांव झारखंड के गांवो की सकारात्मकता एवं बदलाव की कहानी है। ये रही पूरी जानकारी।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Wed, 19 Jan 2022 05:29 PM (IST)Updated: Wed, 19 Jan 2022 05:29 PM (IST)
चित्र भारती राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव में होगा झारखंड की पृष्ठभूमि पर निर्मित डॉक्युमेंट्री फिल्म 'सेरेंगसिया-1837' एवं 'स्वावलंबी होते गांव' का प्रदर्शन
फिल्मकारों ने करीम सिटी कॉलेज से मास कम्यूनिकेशन की पढ़ाई की है।

जमशेदपुर, जासं। झारखंड राज्य अपनी खनिज संपदा एवं प्राकृतिक सौंदर्य के लिए समूचे देश भर में मशहूर है। वहीं झारखंड की फिजाएं अब देश के नामचीन फ़िल्म निर्माताओं को भी रास आ रही है। पिछले कुछ वर्षों में कई बड़ी फिल्में झारखंड में बनी हैं । वहीं जमशेदपुर झारखंड की कई युवा प्रतिभाओं ने अपनी प्रतिभा की बदौलत शहर का नाम रोशन किया है। अब इसी कड़ी में शहर के युवा फिल्मकार प्रज्ञा सिंह, विकास-प्रकाश, कुणाल का भी नाम जुड़ गया है।

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युवा फिल्मकारों के द्वारा वीपीआरए एंटरटेनमेंट के बैनर तले बनाए गए डॉक्युमेंट्री फिल्में "सेरेंगसिया-1837" एवं "स्वावलंबी होते गांव" का चयन देश के प्रमुख फ़िल्म महोत्सवों में से एक चित्र भारती फ़िल्म महोत्सव के लिए किया गया है। फिल्मों का प्रदर्शन भोपाल में 18 से 20 फरवरी को आयोजित चित्र भारती फ़िल्म महोत्सव में किया जाएगा।

फिल्म महोत्सव से जुड़े सुभाष घई, मधुर भंडार, मनोज बाजपेई, हेमामालिनी

भारतीय चित्र साधना के द्वारा आयोजित चित्र भारती राष्ट्रीय फ़िल्म महोत्सव - 2022 में सुभाष घई, प्रसून जोशी, मधुर भंडारकर, अब्बास-मस्तान, सुदीप्तो सेन, विवेक अग्निहोत्री, मनोज बाजपेयी, पवन मल्होत्रा, हेमा मालिनी, माधुरी दीक्षित, बोमन ईरानी, प्रियदर्शन, अनु मलिक, रवीना टंडन, गजेंद्र चौहान, संजय मिश्रा, अर्जुन रामपाल, मनोज मुंतशिर जैसे महशूर फिल्मी हस्तियां जुड़ी हुई हैं। देश भर से आई लगभग 700 से ज्यादा फिल्मों में से 36 डॉक्युमेंट्री फिल्मों का चयन अंतिम रूप से प्रदर्शन के लिए किया गया। वीपीआरए एंटरटेनमेंट की फिल्मों "सेरेंगसिया-1837" एवं "स्वावलंबी होते गांव" का फ़िल्म महोत्सव में चयन इसलिए भी बेहद खास है, क्योंकि राष्ट्रीय फ़िल्म महोत्सव में केवल यही दोनों डॉक्युमेंट्री फिल्में झारखंड का प्रतिनिधित्व कर रही है।

टीम के कलाकारों का बढ़ा उत्साह

चित्र भारती फ़िल्म महोत्सव में सेरेंगसिया-1837 एवं स्वावलंबी होते गांव के चयन से उत्साहित विकास-प्रकाश, प्रज्ञा एवं कुणाल ने बताया कि हमारी टीम हमेशा से झारखंड की संस्कृति, सभ्यता, इतिहास और जनजीवन से जुड़ी फिल्में बनाकर झारखंड के महत्व को दर्शाने की कोशिश करती आई है। सेरेंगसिया 1837 झारखंड के प्रमुख हो समुदाय के द्वारा अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ प्रतिरोध की ऐतिहासिक कहानी है। वहीं स्वावलंबी होते गांव झारखंड के गांवो की सकारात्मकता एवं बदलाव की कहानी है।

करीम सिटी के हैं चारों कलाकार

शहर के चारों फिल्मकारों ने करीम सिटी कॉलेज से मास कम्यूनिकेशन की पढ़ाई की है। इनके द्वारा निर्मित कई फिल्मों ने तमाम फ़िल्म महोत्सवों में सर्वश्रेष्ठ फ़िल्म, सर्वश्रेष्ठ निर्देशक, सर्वश्रेष्ठ स्क्रिप्ट राइटर इत्यादि जैसे कई अवॉर्डस अपने नाम किए है। भूतपूर्व छात्रों की इस सफलता पर करीम सिटी कॉलेज के प्रधानाध्यापक डॉ मोहम्मद रियाज तथा मॉस कम्युनिकेशन विभागाध्यक्ष डॉ नेहा तिवारी ने फिल्मों की सराहना करते हुए कहा कि छात्रों ने समय-समय पर अपनी प्रतिभा की बदौलत कॉलेज तथा शहर का नाम रोशन किया है। इन छात्रों की सबसे खास बात यह है कि वह आदिवासी समुदाय के सभ्यता संस्कृति में विशेष रुचि रखते हैं। आदिवासी समुदाय को केंद्र में रखकर वह लगातार उत्कृष्ट फिल्में बना रहे हैं, जो झारखंड जैसे राज्य के लिए बेहद उत्साहवर्द्धक है।


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