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World Polio Day : पोलियो उन्मूलन अभियान में कोल्हान के भी एक डॉक्टर थे शामिल, सुनिए कहानी उनकी जुबानी

World Polio Day. पोलियो उन्‍मूलन के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन के अभियान में कोल्हान के भी एक डॉक्टर शामिल थे। ये नेपाल के रास्ते बिहार जाकर इलाज करते थे।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Thu, 24 Oct 2019 01:37 PM (IST)Updated: Thu, 24 Oct 2019 01:37 PM (IST)
World Polio Day : पोलियो उन्मूलन अभियान में कोल्हान के भी एक डॉक्टर थे शामिल, सुनिए कहानी उनकी जुबानी
World Polio Day : पोलियो उन्मूलन अभियान में कोल्हान के भी एक डॉक्टर थे शामिल, सुनिए कहानी उनकी जुबानी

जमशेदपुर, अमित त‍िवारी। पोलियो से जंग जीतने में कोल्हान के डॉ. साहिर पाल का भी अहम योगदान है। धतकीडीह निवासी डॉ. साहिर पॉल 1997 में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) से जुड़े। देश में पोलियो इतना भयावह रूप ले चुका था कि उनसे रहा नहीं गया और एक मिशन की तरह वह उसमें जुट गए। उन्हें पहली बार 1998 में बिहार के सासाराम भेजा गया। उस दौरान उन्हें आरा, बक्सर, कैमूर व रोहतास जिला की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। वहां पर बेहतर प्रदर्शन करने के बाद उन्हें रिजनल टीम लीडर बनाया गया और मगध व पटना डिवीजन का भी प्रभार सौंपा गया।

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उस दौरान कोसी क्षेत्र में पोलियो के सबसे अधिक मरीज मिल रहे थे। उससे निपटने के लिए प्लान बनाकर दिन-रात पूरे टीम के सदस्य जुटे रहे। एक मिशन के तहत हर घर में जाकर एक-एक बच्चे की जांच की गई और पोलियो ड्राप पिलाया गया। वह दौर ऐसा था कि दिन-रात, भूख-प्यास सब गायब हो चुका था। अभियान में धूप, बारिश कुछ भी बाधा नहीं थी। यहां तक की उस क्षेत्र में निर्मती और मरौना दो प्रखंड पड़ता था। उस गांव में जाने के लिए रास्ता नहीं था।

40 किलोमीटर चले थे पैदल

इसे देखने हुए डॉ. साहिर पॉल की टीम को सुपौल से नेपाल जाना पड़ा। फिर वहां से 40 किलोमीटर चलकर बिहार आना पड़ा। तब जाकर उस प्रखंड में पहुंचे। वर्ष 2008 में कोसी क्षेत्र में पोलियो खत्म हुआ तो डॉ. साहिर पॉल को उतरी क्षेत्र का रिजनल टीम लीडर बनाकर दिल्ली भेजा गया। उसके बाद वर्ष 2011 में झारखंड सरकार में नियुक्त हुई। उसके बाद पूर्वी सिंहभूम जिला के आरसीएच, जिला सर्विलांस पदाधिकारी, मलेरिया, फाइलेरिया पदाधिकारी के पद पर रह चुके है। फिलहाल पश्चिमी सिंहभूम जिले में कार्यरत है।

इस तरह खत्म हो जाएगी सभी बीमारियां

डॉ. साहिर पॉल कहते है कि जिस तरह पोलियो अभियान को लेकर देश में काम हुआ, उसी तरह यदि दूसरे संक्रमित रोगों को भी लेकर काम हुआ तो सफलता समय से पूर्व ही हासिल हो सकती है। जिनके टीके देश में उपलब्ध हैं तथा जिनसे बड़े पैमाने पर बच्चे प्रभावित होते हैं, उसपर फोकस करना चाहिए। इसमें मलेरिया, खसरा, टीबी, टिटनेस, हेपेटाइटिस, डायरिया, जापानी इंसेफ्लाइटिस प्रमुख है। पोलियो की भांती इन बीमारियों के खिलाफ भी एकजुट होकर टीकाकरण अभियान चलाने की जरूरत है। 


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