डॉक्टर की लापरवाही की युवक को चुकानी पड़ी कीमत, काटने पड़े पैर
डॉक्टर की लापरवाही से एक युवक अपाहिज हो गया। उसके पैर काटने पड़े। अब युवक प्रमाण पत्र के लिए अस्पताल के चक्कर काट रहा है।
जमशेदपुर, जागरण संवाददाता। डॉक्टर की लापरवाही से एक युवक अपाहिज हो गया। घटना 28 अगस्त 2014 की है। साकची स्थित पंप हाउस के पास हुई दुर्घटना में टेल्को निवासी सुरेश कुमार (32) का दाहिना पैर टूट गया था। इसके बाद उसे एमजीएम मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती कराया गया था। यहां पर हड्डी रोग विभागाध्यक्ष डॉ. जीएस बड़ाईक ने उसे देखा और पाया कि पैर की हड्डी कई टुकड़ों में टूट चुकी है। एमजीएम में इलाज की सुविधा नहीं होने का हवाला देते हुए डॉ. बड़ाईक ने उसे एक निजी नर्सिग होम (गुरुनानक) में बुला लिया।
डॉक्टर के कहने पर युवक चला भी गया और उसका ऑपरेशन सात सिंतबर 2014 को हुआ। इस दौरान डॉ. बड़ाईक ने युवक का ऑपरेशन कर उसके पैर में प्लेट लगा दी। इसके बाद जांच कराने के नाम पर दोबारा मरीज को एमजीएम अस्पताल बुलाया। यहां पर डॉ. बड़ाईक ने मरीज को दवा देकर घर भेज दिया। जबकि युवक के पैर पूरी तरह से ठीक नहीं हुआ था और उससे खून का रिसाव हो रहा था। लगभग तीन महीने के बाद युवक की स्थिति में जब सुधार नहीं हुआ तो वह दोबारा डॉ. जीएस बड़ाईक के पास पहुंचा और इलाज में लापरवाही का आरोप लगाने लगा। इस पर डॉक्टर ने लापरवाही की बात से इन्कार करते हुए कहा कि अगर उनसे कोई गलती हुई है तो वह साबित करे। इलाज पर करीब एक लाख रुपये खर्च आए थे।
दिल्ली के चिकित्सक ने ऑपरेशन को गलत ठहराया
मरीज यहां की व्यवस्था से असंतुष्ट होकर पैर की जांच कराने दिल्ली स्थित सफदरगंज अस्पताल चला गया। वहां हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ. आशीष जयमन को दिखाया तो उन्होंने ऑपरेशन को गलत ठहराया और प्लेट निकलवाने को कहा। इसके बाद युवक वापस एमजीएम अस्पताल पहुंचा और डॉ. जीएस बड़ाईक से प्लेट निकालने की गुहार लगायी। इस दौरान युवक के पैर से प्लेट निकाल दिया गया। इसके बाद डॉक्टर ने कहा कि इलाज करने में वह असमर्थ है। इसके बाद युवक दूसरे अस्पताल चला गया।
रांची रिम्स व पीएमसीएच में भी इलाज कराने पहुंचा युवक
इसके बाद युवक रांची रिम्स व पटना पीएमसीएच अस्पताल भी इलाज कराने पहुंचा। दिन गुजरने के साथ युवक की स्थिति खराब होते जा रही थी। इसे देखते हुए 13 नवंबर 2014 को वह पटना पीएमसीएच पहुंचा, जहां पर उसके दाहिने पैर को काटकर शरीर से अलग कर दिया गया।
मुख्यमंत्री जनसंवाद में शिकायत
सुरेश कुमार ने एमजीएम अस्पताल के डॉ. जीएस बड़ाईक के खिलाफ मुख्यमंत्री जनसंवाद में शिकायत की थी। कहा कि डॉक्टर की लापरवाही से वह अपाहिज हो गया। इसे देखते हुए सरकार ने एक लाख रूपये जिंदगी गुजारने के लिए दिए।
आरोपित डॉक्टर कर रहे खारिज
मरीज द्वारा लगाये जा रहे आरोप गलत हैं। इसकी पुष्टि मेडिकल बोर्ड की टीम कर चुकी है। इस मामले की जांच के लिए मेडिकल बोर्ड का गठन किया गया था, जिसमें मुङो निदरेष बताया गया है। मरीज कई डॉक्टरों से इलाज कराया था।
डॉ. जीएस बड़ाईक, विभागाध्यक्ष।
रिपोर्ट भेज दी गई है
मेरे आने से पहले का मामला है। इस मामले की जांच-पड़ताल हो चुकी है। मरीज रिपोर्ट से संबंधित कागजात लेने पहुंचा था। रिपोर्ट भेज दी गई है लेकिन मरीज का कहना है कि उसे नहीं मिला है। आरटीआई के माध्यम से युवक रिपोर्ट प्राप्त कर सकता है।
डॉ. अरूण कुमार, अधीक्षक, एमजीएम।