इनके जज्बे को करें सलाम : कोरोना से जंग में हर माह एक लाख खर्च कर रहे डॉ भूषण
कोरोना मरीज व वारियर्स के भोजन पर संकट आया तो डॉ. रवि भूषण अग्रवाल आगे आकर चट्टान की तरह खड़े हो गए और पूरा खर्च उठाने की ठान ली।
जमशेदपुर, अमित तिवारी। यह डॉक्टर पूरे देश के लिए मिसाल हैं। महात्मा गांधी मेमोरियल (एमजीएम) मेडिकल कॉलेज अस्पताल के मेडिकल ऑफिसर डॉ. रवि भूषण अग्रवाल की जितनी तारीफ की जाए कम है। कोरोना मरीज व वारियर्स के भोजन पर संकट आया तो आगे आकर चट्टान की तरह खड़े हो गए और पूरा खर्च उठाने की ठान ली।
हर माह अपनी जेब से लगभग एक लाख रुपये खर्च कर रहे हैं। जिससे मरीज के साथ-साथ उनकी सेवा में जुटे डॉक्टर, नर्स व स्वास्थ्यकर्मी पौष्टक आहार खाकर सेहतमंद रह सकें। कोविड मरीजों के लिए एमजीएम को डेडिकेटेड कोविड अस्पताल बनाया गया है। इसके लिए अलग से 100 अतिरिक्त बेड लगाए गए हैं। वहीं वारियर्स को बिष्टुपुर स्थित निर्मल गेस्ट हाउस में ठहराया जा रहा है। लेकिन इन दोनों जगहों पर भोजन के लिए अस्पताल प्रबंधन के पास कोई फंड नहीं था, जिससे अधीक्षक से लेकर उपाधीक्षक तक को चिंता सताने लगी। एक दिन अधीक्षक के चैंबर में सभी वरिष्ठ चिकित्सकों की बैठक चल रही थी। भोजन को लेकर गंभीर मंथन हो किया जा रहा था।
पल भर में दूर कर दी सारी टेंशन
फंड नहीं होने की वजह से किसी को कुछ सूझ नहीं कर रहा था। कोई स्वास्थ्य मंत्री से सूचित करने को कह रहा था तो कोई स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव को। इसी बीच डॉ. रवि भूषण अग्रवाल उनके बीच पहुंच गए। इन्हें कोई बुलाया भी नहीं था। फिर वह भी इस समस्या से अवगत हुए और पलभर में सारी टेंशन को ही दूर कर दिया।
रोजाना 150 लोगों का अलग से बनता भोजन
एमजीएम में वैसे 570 बेड है। लेकिन, कोरोना मरीजों के लिए 100 बेड अलग से लगाए गए हैं। उनकी सेवा करने में लगभग 50 चिकित्सकों की टीम जुटी हुई है। इनका भोजन अलग से आहार विभाग के डायटिशियन अन्नू सिन्हा के नेतृत्व में तैयार हो रहा है। चार दिन मंसाहारी व तीन दिन शाकाहारी भोजन रहता है। सातों दिन प्रोटीन डायट मिलता है।
पति की मौत के बावजूद करती रहीं काम डॉक्टर लक्ष्मी
कोरोना वॉरियर्स के रूप में लड़ते डॉ. विरेंद्र सेठ की एक जून को मौत हो गई थी। डॉ. सेठ का पिछले तीन माह से डुमरिया स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में मेडिकल ऑफिसर के रूप में कार्यरत थे। 29 मई को खुद संक्रमित हो गए। 30 मई को टीएमएच रेफर किया गया। लेकिन उन्हें बचाया नहीं जा सका। पति की मौत के बावजूद पत्नी डॉ. लक्ष्मी ने डॉक्टर धर्म निभाते हुए लगातार ड्यूटी कर रही हैं। पति की मौत के बावजूद ड्यूटी करने के लिए अब इंडियन मेडिकल एसोसिएशन अब डॉ. लक्ष्मी को सम्मानित कर रहा है।