Covid 19 से घबराएं नहीं, ऑक्सीजन लेवल 40 होने के बाद भी ठीक हुए 80 % कोरोना मरीज; ये जानना जरूरी है
Corona Treatment अभी तक आप सोच रहे होंगे कि जिनका ऑक्सीजन लेवल 50 से नीचे आ जाए तो उनकी जान बचाना काफी मुश्किल हो जाता है। ऐसा नहीं है। उनकी जान भी बचाई जा सकती है। एमजीएम की रिपोर्ट इसे प्रमाणित कर रही है।
अमित तिवारी, जमशेदपुर। कोरोना से ज्यादा घबराएं नहीं क्योंकि तनाव मरीजों की स्थिति को और भी ज्यादा गंभीर बना देता है। महात्मा गांधी मेमोरियल (एमजीएम) मेडिकल कॉलेज अस्पताल से एक अच्छी खबर निकलकर सामने आई है। यह खबर आपका हौसला बढ़ाने वाली है और कोरोना से जंग में एक बड़ा हथियार बन रही है।
अभी तक आप सोच रहे होंगे कि जिनका ऑक्सीजन लेवल 50 से नीचे आ जाए तो उनकी जान बचाना काफी मुश्किल हो जाता है। ऐसा नहीं है। उनकी जान भी बचाई जा सकती है। एमजीएम की रिपोर्ट इसे प्रमाणित कर रही है। यहां कोविड वार्ड में वैसे मरीज भी आए जिनका ऑक्सीजन लेवल 40 से 60 के बीच था। इसे देख परिजन घबरा गए थे। उम्मीद छोड़ दी थी। लेकिन, रोगी का हौसला कोरोना को हराने में सफल रहा। एमजीएम के कोविड वार्ड के नोडल पदाधिकारी डॉ. बलराम झा ने बताया कि दूसरी लहर में मरीजों का ऑक्सीजन लेवल तेजी से गिर रहा है। लगभग 42 फीसद मरीज वैसे आए हैं जिनका ऑक्सीजन लेवल घटकर 40 से 60 के बीच हो गया था। लेकिन, इसमें 80 फीसद मरीजों की जान बचा ली गई है। दूसरी लहर के दौरान एमजीएम में कोरोना के कुल लगभग 1200 मरीज भर्ती हुए। इनमें लगभग 12 फीसद की मौत हुई है। जबकि 88 फीसद की जान बची है। वहीं, पूर्वी सिंहभूम जिले की बात करें तो यहां की रिकवरी रेट लगातार बढ़ रही है। जिले की रिकवरी रेट बढ़कर 94.55 फीसद हो गई है।
कोरोना से जंग जीतने में यह फैक्टर आ रहा काम
कोरोना से जंग जीतने में चिकित्सा के साथ-साथ पॉजिटिव सोच काफी मायने रखता है। पॉजिटिव सोच में इतनी ताकत होती है कि वह रोगी के इम्यून सिस्टम (रोग प्रतिरोधक क्षमता) को मजबूत करती है, जिससे वह बड़ी से बड़ी बीमारी को हरा सकता है। वहीं, तनाव इम्यून सिस्टम को कमजोर करता है। इम्यून सिस्टम कमजोर होने से मरीज को दूसरी बीमारी भी होने का खतरा अधिक रहता है। तनाव कई बीमारी का जड़ है। मधुमेह, हाइपरटेंशन सहित अन्य बीमारी तनाव की वजह से बढ़ जाता है। इसलिए मधुमेह, हाइपरटेंशन के मरीजों को तनाव नहीं लेने की सलाह दी जाती है। तनाव कम होते ही मधुमेह व हाइपरटेंशन नियंत्रण में हो जाता है। कोरोना मरीजों के लिए मधुमेह व हाइपरटेंशन काफी नुकसान पहुंचा रहा है।
रोगी के सामने कभी भी नकारात्मक बातें नहीं करें
कोविड ड्यूटी में तैनात चिकित्सकों का कहना है कि कोरोना ही नहीं बल्कि किसी भी बीमारी में रोगी के सामने कभी भी नकारात्मक बातें नहीं करनी चाहिए। यह रोगी को और कमजोर करता है। रोगी के पास जब भी जाएं तो उसके साथ ऐसे पेश आएं कि उनका हौसला बढ़े। इससे रोगी को बीमारी से लड़ने में मजबूती मिलती है। कई सारे लोगों को देखा जाता है कि रोगी के सामने ही इतनी नकारात्मक बातें करने लगते हैं कि मरीज और भी ज्यादा नर्वस हो जाता है।
- कोरोना मरीजों के इलाज में कई फैक्टर काम कर रहा है। मरीज की उम्र, पूर्व की बीमारी (जैसे मधुमेह, हाइपरटेंशन आदि), कितने दिन के बाद चिकित्सा कराने पहुंचे और सबसे महत्वपूर्ण चीज पॉजिटिव सोच है। मरीज का ऑक्सीजन लेवल 40 तक पहुंचने के बाद भी उनकी जान बच रही है।
- डॉ. बलराम झा, नोडल पदाधिकारी, कोरोना वार्ड, एमजीएम।
- कोरोना से लड़ने के लिए सबसे अधिक इम्यून सिस्टम पर ही जोर दिया जा रहा है। ऐसे में हमें तनाव नहीं लेना है। हम जितना तनाव लेंगे उतने ही हमारा इम्यून सिस्टम कमजोर होगा और कई तरह की बीमारी होने का खतरा बढ़ जाएगा। तनाव का कोरोना से बड़ा लिंक जुड़ा हुआ है। इसलिए पॉजिटिव सोचे। कोरोना हारेगा। देश जीतेगा।
- डॉ. दीपक गिरी, मनोचिकित्सक, सदर अस्पताल।