लापरवाही न पड़ जाए भारी, दीपावली मनाएं सावधानी से Jamshedpur News
पटाखे से निकलने वाली चिंगारी व आवाज घातक हो सकती है। खासकर बच्चों को अपनी देखरेख में ही पटाखा छोडऩे की अनुमति दें।
जमशेदपुर (जागरण संवाददाता)। रोशनी का पर्व दीपावली में पटाखा फोड़े, मिठाइयां खाए, जश्न मनाएं लेकिन थोड़ा सावधानी भी जरुरी है। थोड़ी से लापरवाही महंगी पड़ सकती है और पर्व को फीका बना सकती है। रंग-बिरंगी फुलझडिय़ां और तेज आवाज वाले पटाखों को छोड़ते वक्त बच्चों के साथ-साथ अभिभावकों को भी सजग-सतर्क रहने की जरूरत है।
पटाखे से निकलने वाली चिंगारी व आवाज घातक हो सकती है। खासकर बच्चों को अपनी देखरेख में ही पटाखा छोडऩे की अनुमति दें। छत पर या खाली मैदान में पटाखा छोड़े ताकि आपकी दीपावली सुरक्षित और आनंददायक हो।
आंखों की सुरक्षा
जमशेदपुर आई हॉस्पिटल के नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. कुमार साकेत ने बताया कि आंख बहुत ही संवेदनशील अंग है। आंख में तिनका भी पड़ जाने से परेशानी बढ़ा देती है। बारूद तो सबसे घातक हो सकता है। पटाखा छोड़ते वक्त सबसे ज्यादा खतरा आंखों को रहता है, क्योंकि हम नजदीक जाकर पटाखा छोड़ते हैं।
बरतें सावधानी
निश्चित दूरी से पटाखे को छोड़े।
पटाखा नहीं फटने पर दोबारा नजदीक जा कर ना देखें।
अगर आंख में कुछ भी पड़ जाए तो तुरंत ठंडा पानी से धोएं।
राहत नहीं मिलने पर तुरंत चिकित्सक से दिखाएं।
कान-नाक एवं गलेे की सुरक्षा
टाटा मुख्य अस्पताल के ईएनटी रोग विशेषज्ञ डॉ. अजय गुप्ता ने बताया कि दीपावली में जोरदार आवाज के पटाखे छोड़े जाते हैं। ज्यादा आवाज वाले पटाखे से आपके कान का पर्दा क्षतिग्रस्त हो सकता है। 140 डेसिबल से ज्यादा आवाज के पटाखे आपको बहरा बना सकते हैं।
बरतें सावधानी
ज्यादा आवाज वाले पटाखों से बचें।
छोटे बच्चे, बुजुर्ग, बीमार एवं गर्भवती महिला पटाखा नहीं छोड़े।
85 डेसिबल से नीचे की आवाज वाले पटाखे का ही उपयोग करें।
तेज आवाज से दिक्कत होने पर तुरंत चिकित्सक से दिखाएं।
त्वचा की सुरक्षा
शहर के चर्म रोग विशेषज्ञ डॉ. आर कुमार ने बताया कि पटाखा एवं दीया जलाते समय सबसे ज्यादा प्रभावित त्वचा होती है। दीया एवं पटाखे से त्वचा जल सकती है। इसलिए सावधानी बरतनी चाहिए। पटाखों के कारण दो प्रकार से संक्रमण हो सकता है। पहला जलने से व दूसरा इसके दुष्प्रभाव से।
क्या बरतें सावधानी
जले हुए स्थान को रगड़े नहीं।
जले हुए भाग को ठंडे पानी में करीब 15 मिनट तक डाले रखें।
फफोला बन जाने पर छेड़छाड़ न करें।
जलन व फफोले अधिक हो तो चिकित्सक से दिखाएं।
पटाखे छोड़ते समय सिंथेटिक के बजाए सूती कपड़े पहनना चाहिए।