Jharkhand के स्वास्थ्य मंत्री को कूटने की बात कहने वाला डाॅक्टर भूमिगत, सील हो सकता अस्पताल
झारखंड के स्वास्थ्य मंत्री को भला-बुरा कहकर डाॅक्टर आेपी आनंद बुरे फंस गए हैं। सरायकेला- खरसावां जिले के आदित्यपुर- 2 स्थित 111 सेव लाईफ अस्पताल प्रकरण की जांच शुक्रवार को तीसरे दिन भी जारी रही। जांच टीम ने तीसरे दिन 111 सेव लाईफ अस्पताल पहुंच कर जांच की।
सरायकेला, जासं। झारखंड के स्वास्थ्य मंत्री को भला-बुरा कहकर डाॅक्टर आेपी आनंद बुरे फंस गए हैं। सरायकेला- खरसावां जिले के आदित्यपुर- 2 स्थित 111 सेव लाईफ अस्पताल प्रकरण की जांच शुक्रवार को तीसरे दिन भी जारी रही। जांच टीम ने तीसरे दिन 111 सेव लाईफ अस्पताल पहुंच कर जांच की।
अस्पताल की कुव्यवस्था और प्रबंधन की लापरवाही से कोरोना संक्रमित दो- दो मरीजों की मौत की शिकायत की भी जांच की गइ। इसके बाद दोनों मृतक के परिजनों को जांच टीम ने पूछताछ के लिए गम्हरिया सीएचसी बुलाया जहां दोनों के परिजनों से करीब दो घंटे टीम ने पूछताछ की और बयान दर्ज किया। गौरतलब है कि बीते शनिवार को राज्य के स्वास्थ्य मंत्री के मौखिक आदेश के बाद जब सरायकेला जिले के प्रभारी सीएस तीन सदस्यों के साथ जांच करने 111 सेव लाइफ अस्पताल पहुंचे थे तो अस्पताल के प्रबंधक डॉ ओपी आनंद ने जांच कमेटी को जांच में सहयोग नहीं किया था। साथ ही एक बयान में राज्य के स्वास्थ्य मंत्री को अपशब्द कहे थे। जिसपर संज्ञान लेते हुए जिले के एसपी ने प्रभारी सिविल सर्जन के बयान के आधार पर आरआईटी थाना पुलिस द्वारा डॉ आनंद के खिलाफ मामला दर्ज करते हुए जांच शुरू कर दी गई है। डीसी ने ७२ घंटे में मांगी रिपोर्ट
उधर, जिले के उपायुक्त ने भी इस मामले पर संज्ञान लेते हुए एडीसी के नेतृत्व में आठ सदस्यीय टीम से 72 घंटों के भीतर अस्पताल प्रबंधन और प्रबंधक के खिलाफ मिली शिकायतों की जांच कर रिपोर्ट तलब किया है। शुक्रवार को टीम ने कोरोना संक्रमित मरीजों की मौत के लिए जिम्मेदार माननेवाले मृतक के परिजनों को बुलाकर पूछताछ की। इनमें आदित्यपुर रैन बसेरा निवासी स्व. सुनील कुमार झा की दोनों बेटियों ज्योत्सना झा एवं निधि झा और कदमा भाटिया बस्ती निवासी मृतका पुष्पा कुमारी की दो बेटियां प्रीति कुमारी एवं प्रिया कुमारी शामिल रहीं। चारों ने ही जांच टीम के समक्ष अस्पताल प्रबंधन पर गंभीर आरोप लगाते हुए इलाज के नाम पर धन दोहन और मानसिक रूप से प्रताड़ित करने का आरोप लगाया। दोनों मृतक के परिजनों ने जांच टीम को पूरे घटनाक्रम से जुड़े दस्तावेज भी सौंपे। दोनों मृतकों के परिजनों ने अस्पताल के प्रबंधक डॉ ओपी आनंद, उनकी पत्नी सरिता आनंद और जूनियर डॉ रक्षित आनंद के खिलाफ एक ही तरह के आरोप लगाए।
ये लगाए आरोप
मृतक के परिजनों ने जांच टीम को बताया कि पहले अस्पताल प्रबंधन द्वारा 70 हजार की डिमांड की गई। तत्काल उनके द्वारा सीधे अस्पताल के अकाउंट में पैसे ट्रांसफर कर दिए गए। उसके बाद ऑक्सीजन सपोर्टेड बेड उपलब्ध कराया गया। 28 अप्रैल को वेंटीलेटर सपोर्ट पर रखा गया। फिर डॉक्टर आनंद ने कहा कि अब तुम्हारे पापा ठीक हो रहे हैं। फिर अचानक बगैर ट्रेंड डॉक्टर के 29 अप्रैल को उनका वेंटीलेटर हटाया गया जिससे उनकी स्थिति बिगड़ने लगी। उसके बाद पुनः वेंटिलेटर सपोर्ट दिया गया, लेकिन उनके पापा को नहीं बचाया जा सका। 30 अप्रैल को उनकी मौत हो गई। इससे पहले अस्पताल द्वारा 1 लाख 60 हजार रुपए जमा करा लिए गए। उन्होंने बताया कि सारे पैसे अस्पताल के बैंक अकाउंट में जमा कराए गए हैं। 5 हजार नगद दिए गए हैं। अस्पताल प्रबंधन की ओर से उन्हें बिल मुहैया नहीं कराया गया। उन्होंने अस्पताल के प्रबंधक डॉ ओपी आनंद की पत्नी सरिता आनंद पर भी गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने बताया कि वे हर वक्त झल्लाकर बात करती थी। किसी भी जानकारी के लिए संपर्क करने पर उटपटांग भाषा का प्रयोग करती थी। दोनों बहनों ने पूरे अस्पताल के कर्मचारियों पर वैश्विक महामारी के काल में मरीजों के इलाज के नाम पर आर्थिक दोहन करने का आरोप लगाया है। साथ ही प्रबंधक सहित सभी कर्मचारियों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई किए जाने की मांग की।
रो पडे मृतकों के परिजन
मृतक पुष्पा कुमारी और सुनील कुमार झा के परिजन अस्पताल की कुव्यवस्था की व्यथा सुनाते- सुनाते जांच अधिकारियों के समक्ष रो पड़े। गम्हरिया प्रखंड कार्यालय परिसर में शुक्रवार दोपहर से ही जिले के वरीय पदाधिकारियों एवं पुलिस पदाधिकारियों के साथ पांच -छह थानों के थाना प्रभारी दल- बल के साथ जुटने लगे। जिसके बाद ये कयास लगाए जाने लगे कि अस्पताल के खिलाफ बड़ी प्रशासनिक कार्रवाई हो सकती है। बदलते मौसम और मीडिया के जमावड़े को देखते हुए देर शाम एडीसी वापस सरायकेला लौट गए। हालांकि, मीडिया के सवालों का उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया। धीरे- धीरे सभी पदाधिकारी भी वापस लौट गए।
सील हो सकता अस्पताल
वैसे इस पूरे प्रकरण में बीते एक सप्ताह से पल- पल बदलते घटनाक्रम के बीच अस्पताल के प्रबंधक डॉ ओपी आनंद विवादों में घिरते चले जा रहे हैं। साथ ही प्रशासनिक गतिविधियां भी शक के दायरे में घिरती जा रही हैं। वैसे अस्पताल सूत्रों की अगर माने तो डॉक्टर ओपी आनंद शहर छोड़ने की तैयारी में जुट गए हैं। बीते गुरुवार को भी वे जांच टीम के समक्ष पेश नहीं हुए थे। अस्पताल प्रबंधन की ओर से उनके वकील से मुलाकात के लिए जाने की बात कही गई। कुल मिलाकर ये तय माना जा रहा है कि 111 सेव लाइफ अस्पताल को प्रशासन द्वारा सील किया जा सकता है। लेकिन डॉ आनंद की गिरफ्तारी पर संशय बना हुआ है।