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Jharkhand Assembly Election 2019 : समीर हटे, अब दिनेशानंद व कुणाल ने बढ़ाया सस्पेंस

Jharkhand Assembly Election 2019. समीर महंती के झामुमो में शामिल होने से बहरागोड़ा में त्रिकोणीय संघर्ष के आसार खत्म हो गए हैं। अब कुणाल और दिनेशानंद को लेकर सस्‍पेंस है।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Thu, 07 Nov 2019 02:28 PM (IST)Updated: Thu, 07 Nov 2019 02:28 PM (IST)
Jharkhand Assembly Election 2019 :  समीर हटे, अब दिनेशानंद व कुणाल ने बढ़ाया सस्पेंस
Jharkhand Assembly Election 2019 : समीर हटे, अब दिनेशानंद व कुणाल ने बढ़ाया सस्पेंस

चाकुलिया (पूर्वी सिंहभूम), पंकज मिश्रा।  बहरागोड़ा विधानसभा से चुनाव लडऩे और जीतने की आस लिए समीर महंती आखिरकार भाजपा से झामुमो में लौट गए। इसकी चर्चा भी कई दिनों से चल रही थी कि समीर को इस बार भाजपा ने टिकट नहीं दिया, तो वे अबकी नहीं मानेंगे। ऐसा हुआ भी। जैसे ही झामुमो के विधायक कुणाल षड़ंगी भाजपा में शामिल हुए, समीर ने भी बिगुल फूंक दिया। इरादा यही था कि बराबरी का मुकाबला होगा, तो उनकी हसरत पूरी हो सकती है। 

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बहरहाल, समीर के भाजपा छोड़ झारखंड मुक्ति मोर्चा में शामिल होने के साथ ही यहां की चुनावी तस्वीर भी साफ होने लगी है। फिलहाल बहरागोड़ा में आमने-सामने की टक्कर दिख रही है, लेकिन सबसे बड़ा सवाल है कि भाजपा किसे टिकट देगी। कुणाल षड़ंगी मौजूदा विधायक हैं, जबकि डॉ. दिनेशानंद गोस्वामी लगभग दस साल से बहरागोड़ा में पसीना बहा रहे हैं। समीर को लेकर थोड़ा पेंच फंस रहा था, लेकिन अभी इस पर निर्णय हो पाता कि समीर ने खुद रास्ता साफ कर दिया। अब भाजपा से टिकट के दो ही दावेदार मैदान में हैं। दोनों नेताओं के समर्थक टिकट फाइनल होने का दावा कर रहे हैं। प्रत्याशी चयन के मद्देनजर पार्टी द्वारा आंतरिक सर्वे भी कराया जा चुका है। इस बीच दोनों उम्मीदवार की ओर से पार्टी के भीतर जबरदस्त लॉङ्क्षबग की बात भी सामने आ रही है।

भाजपा के लिए टिकट तय करना नहीं होगा आसान

बताया जाता है कि दिनेशानंद गोस्वामी के समर्थन में कई बड़े नेता लगे हुए हैं, तो कुणाल भी आलाकमान के भरोसे निश्चिंत बताए जा रहे हैं। कहा जाए तो पूर्वी सिंहभूम जिला ही नहीं, पूरे कोल्हान में बहरागोड़ा सीट भाजपा के लिए हॉट सीट बन गई है। एक ही पार्टी से टिकट के लिए इस तरह की कोल्हान में किसी दूसरी सीट के लिए भाजपा में नहीं दिख रही है। माना जा रहा है कि यहां टिकट मिलने के बाद भी कड़ा संघर्ष होगा, लेकिन टिकट का आवंटन ही भाजपा के लिए बड़ा चुनाव होगा।  


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