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पीएम एवं सीएम से की गई 50 लाख मुआवजा व आश्रितों को स्थाई नौकरी की मांग

Jamshedpur Jharkhand Samachar अखिल भारतीय राज्य सरकारी कर्मचारी महासंघ की ओर से गुरुवार को परसुडीह स्थित सिविल सर्जन कार्यालय के समक्ष धरना-प्रदर्शन किया गया। इसके बाद उपायुक्त के माध्यम से प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपा गया। ये रही पूरी जानकारी।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Thu, 15 Jul 2021 05:45 PM (IST)Updated: Thu, 15 Jul 2021 07:09 PM (IST)
पीएम एवं सीएम से की गई 50 लाख मुआवजा व आश्रितों को स्थाई नौकरी की मांग
उपायुक्त के माध्यम से प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपा गया।

जमशेदपुर, जागरण संवाददाता। अखिल भारतीय राज्य सरकारी कर्मचारी महासंघ की ओर से गुरुवार को परसुडीह स्थित सिविल सर्जन कार्यालय के समक्ष धरना-प्रदर्शन किया गया। इसके बाद उपायुक्त के माध्यम से प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपा गया।

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संघ के प्रमंडलीय मंत्री रवींद्रनाथ ठाकुर ने बताया कि कोरोना काल में स्वास्थ्य कर्मियों ने अपनी जान की बाजी लगाकर मरीजों की सेवा की। इस दौरान कई कर्मचारियों की मौत भी हो गई। इसके बावजूद भी वह मैदान में डटे हुए हैं। लेकिन सरकार कर्मचारियों की हौसला बढ़ाने के बजाए तोड़ रही है। उन्होंने कहा कि सरकार ने बीमा लाभ, मुआवजा व महंगाई भत्ता को फ्रीज कर दिया है। अनुबंध व आउटसोर्सिंग कर्मियों की सेवा स्थाई करने के बजाय उनकी उपेक्षा की गई और उनको हटा दिया गया। एनपीएस खत्म कर पुरानी पेंशन योजना बहाल करने का मामला यथावत है। इसीलिए अपनी विभिन्न मांगों को लेकर स्वास्थ्य कर्मचारियों ने प्रदर्शन कर प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री का ध्यान आकृष्ट कराया।

संगठन ने दी ये चेतावनी

संगठन के प्रमंडलीय मंत्री रविंद्र नाथ ठाकुर ने कहा कि सभी चिकित्सा कर्मचारियों को फ्री वैक्सीन, आबादी के अनुपात में स्वास्थ्य ढांचे का विस्तार, स्वास्थ्य को मौलिक अधिकार में शामिल, कोरोना संक्रमण से मृत्यु होने पर 50 लाख मुआवजा, आश्रितों को स्थाई नौकरी, जनवरी 2020 से रोके गए डीए, एलटीसी आदि को बहाल करने और बकाए का भुगतान करने, नौकरी से निकाले गए स्थाई अनुबंध आउटसोर्सिंग कर्मियों की सेवा को स्थाई करने, समान कार्य समान वेतन देने, एनपीएस रद्द कर पुरानी पेंशन योजना बहाल करने, सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमो या सरकारी विभागों के निजीकरण पर रोक लगाने, रिक्त पदों को भरने, असंवैधानिक तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने, एमएसपी की कानून गारंटी देने, उद्योगपति के फायदे के लिए बनाए गए चारों लेबर कोड को वापस लेने, कार्यभारिता से नियमित हुए कर्मियों के पेंशन व ग्रेजुएटी में कटौती की साजिश को बंद करने आदि की मांग की है अन्यथा आगे आंदोलन के लिए बाध्य होने की चेतावनी दी।


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