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नर्सिंग होम में युवक की मौत पर परिजनों का हंगामा, डॉक्टर के खिलाफ कार्रवाई की मांग

जमशेदपुर के एक नर्सिंग होम में मरीज की मौत के बाद परिजनों ने डॉक्टर के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए हंगामा किया।

By Sachin MishraEdited By: Published: Tue, 21 Aug 2018 02:23 PM (IST)Updated: Tue, 21 Aug 2018 02:27 PM (IST)
नर्सिंग होम में युवक की मौत पर परिजनों का हंगामा, डॉक्टर के खिलाफ कार्रवाई की मांग

जागरण संवाददाता, जमशेदपुर। सीताराम डेरा के ह्यूम पाइप निवासी 24 वर्षीय अरुण साव की लाइफ लाइन नर्सिंग होम में मंगलवार की सुबह मौत हो गई है। परिजनों का अारोप है कि डॉ. परवेज आलम ने न जाने कौन से चार इंजेक्शन लगाए कि अरुण को खून की उल्टी हुई और इसके बाद उसने दम तोड़ दिया। डॉक्टरों ने परिजनों को बताया कि अरुण को पीलिया था। इसलिए उसकी मौत हुई है। मरीज की मौत के बाद परिजनों ने डॉक्टर के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए हंगामा किया। पुलिस मौके पर पहुंची लेकिन, बाद में डॉक्टर और परिजनों में समझौता हो गया।

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अरुण साव के पिता जुलुम देव साव ने बताया कि सोमवार की रात अरुण के हाथ-पैर में जकड़न हो रही थी। इस पर उसे लाइफ लाइन नर्सिंग होम में भर्ती कराया गया। यहां डॉक्टरों ने उसे भर्ती कर लिया। खून आदि की जांच कराई गई। सुबह रिपोर्ट आई। परिजनों ने बताया कि इसके बाद डॉ. परवेज आलम ने मरीज अरुण को चार इंजेक्शन लगाए। इसके बाद मरीज के मुंह से खून आने लगा और 10 बजे के करीब उसने तड़प कर दम तोड़ दिया।

इस बीच, डॉक्टर परवेज आलम का कहना है कि मरीज को पीलिया था। उसका ज्वाइंडिस लेवल 2250 हो गया था। हमने बचाने की कोशिश की लेकिन कामयाब नहीं हो पाए। खून की कमी से उसकी मौत हुई है।

परिजनों में रोष
अरुण की मौत की खबर सुन कर उसके बड़े भाई अशोक साव, जीजा मुनीम साव, बहन और मां लाइफ लाइन नर्सिंग होम पहुंच गईं। परिजन काफी गुस्से में थे। मां ये कह कर रो रही थी कि उसका हंसता-खेलता बेटा चला गया।

औरंगाबाद से आकर जमशेदपुर में बसा था परिवार
मृतक अरुण के पिता जुलुम देव मूल रूप से औरंगाबाद के रहने वाले हैं। वो 30 साल पहले जमशेदपुर आए थे। यहां ह्यूमपाइप रोड पर किराए के मकान में रहने वाले जुलुम देव फुटपाथ पर सब्जी बेचते हैं। अरुण भी फेरी लगा कर आइसक्रीम बेचा करता था। बड़ा बेटा भी फेरी लगाता है।

परिजनों ने इसलिए नहीं किया केस
मौके पर मौजूद कुछ लोगों ने परिजनों को समझाया कि डॉक्टर के खिलाफ मुकदमा तो दर्ज हो जाएगा लेकिन, कार्रवाई नहीं होगी। परिजनों को बताया गया कि अब तक जमशेदपुर में ऐसे जितने भी केस हुए हैं किसी में डॉक्टर का बाल भी बांका नहीं हुआ। एमजीएम में हुई डॉक्टर की लापरवाही से हुई दो मौत पर एफआइआर होने के बाद भी डॉक्टर को जेल नहीं भेजा गया। विभागीय जांच के बाद भी डॉक्टर को सस्पेंड तक नहीं किया गया। ये सब सुनने के बाद परिजनों ने कहा कि जब कुछ होना ही नहीं है तो फिर पुलिस में एफआइआर दर्ज कराने और भागदौड़ करने से क्या फायदा।

डॉक्टर की लापरवाही से हो चुकी हैं कई मौतें
डॉक्टर की लापरवाही से पहले भी कई मौतें हो चुकी हैं। 26 दिसंबर को एमजीएम अस्पताल में मानगो के रामकृष्ण कॉलोनी निवासी सुखदेव राम की डॉक्टर एमके सिन्हा व लक्ष्मण हांसदा की लापरवाही से मौत हो गई। रामकृष्ण का डॉक्टरों ने गलती से हाईड्रोसील की जगह हार्निया का अॉपरेशन कर दिया था। 19 नवंबर, 2015 को एमजीएम अस्पताल में ही गायनिक वार्ड में भर्ती छह माह की गर्भवती अनीता की मौत हो गई थी। परिजनों ने डॉक्टरों पर इलाज में लापरवाही का आरोप लगा हंगामा किया था। डॉक्टरों ने अनीता को पीलिया का रोगी बताया था।

29 अगस्त, 2017 को एमजीएम में ही डॉक्टरों की लापरवाही से सोनारी के बेेल्डी बस्ती निवासी छोटू सरदार की मौत हो गई थी। परिजनों का आरोप था कि मरीज तड़प रहा था लेकिन, उसका इलाज नहीं शुरू किया गया। इसी अस्पताल में 29 मार्च, 2018 को ठंड लगने की शिकायत शास्त्रीनगर के अब्दुल सलीम भर्ती हुए। एक डाक्टर ने एक इंजेक्शन लगाया और मरीज खून की उल्टी करने लगा। इन सभी मामलों में एफआइआर तो दर्ज हुए लेकिन, कार्रवाई सिफर रही। 


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