World Epilepsy Day: इस वजह से बढ़ रहे मिर्गी के मरीज, धनिया, गाजर से ब्रेन में पहुंच रहा खतरनाक कीड़ा
World Epilepsy Day 2019. पुष्टि हो चुकी है कि मिर्गी का सबसे बड़ा कारण यह कीड़ा हीं है। हरी सब्जियों के अलावा धनिया गाजर व प्रदूषित भोजन में इस कीड़े का लार्वा पाया जाता है।
जमशेदपुर, अमित तिवारी। World Epilepsy Day 2019 धनिया, गाजर सहित अन्य जमीन में पैदा होने वाली सब्जियां सेहत के लिए लाभदायक मानी जाती हैं। लेकिन, इसके माध्यम से न्यूरो सिस्टी सरकोसिस (एक तरह का कीड़ा) पेट से होते हुए सीधे दिमाग तक पहुंच रहा है, जिससे मिर्गी जैसे रोगियों की संख्या तेजी से बढ़ी है।
न्यूरो विशेषज्ञों के शोध में इस बात की पुष्टि हो चुकी है कि मिर्गी का सबसे बड़ा कारण यह कीड़ा हीं है। हरी सब्जियों के अलावा धनिया, गाजर व प्रदूषित भोजन में इस कीड़े का लार्वा पाया जाता है। सब्जियां ठीक तरीके से न धुले जाने की वजह से वह सीधे पेट के माध्यम से दिमाग तक पहुंच जाता है। इसी वजह से ग्रामीण क्षेत्रों में मिर्गी रोगियों की संख्या अधिक है। जमशेदपुर में करीब तीस हजार मिर्गी के मरीज है। इसमें से मात्र 20 फीसद ही इलाज करा रहे है। बाकि जागरुकता के अभाव में ओझा-गुनी, लोक-लज्जा की वजह से डॉक्टर तक नहीं पहुंच पाते है। देश में दो करोड़ से अधिक मिर्गी के मरीज है।
70 फीसद लोगों का दवा से ठीक हो जाती बीमारी
मिर्गी रोग का इलाज संभव है। 70 फीसद मरीजों का इलाज दवा व 30 फीसद मरीजों को सर्जरी कर बीमारी ठीक किया जा सकता है। मिर्गी की दवा तीन से पांच साल तक खानी पड़ती है।
अंधविश्वास के चलते लोग नहीं कराते इलाज
मिर्गी रोग को लेकर लोगों में अंधविश्वास कायम है। वे इसे देवी प्रकोप या भूत-प्रेत की बीमारी समझकर ओझा-गुनी के चक्कर में फंस जाते हैं। बुजुर्ग भी इस रोग की चपेट में आ सकते हैैं। मिर्गी का दौरा पडऩे पर व्यक्ति अचानक बेहोश होकर गिर जाता है। इससे जीभ कट जाती है।
ये कहते डॉक्टर
अगर किसी को मिर्गी का दौरा पड़ जाए तो उसका कपड़ा ढीला कर देना चाहिए। मरीज को पकडऩा नहीं चाहिए। जूता-चप्पल, प्याज नहीं सुंघाना चाहिए। मिर्गी की बीमारी अन्य रोगों की तरह ही होती है।
- डॉ. एमएन सिंह, न्यूरो फिजिशियन।