सेंदरा : जाल जब्त करने पर वनकर्मियों से भिड़े शिकारी
सेंदरा पर्व पर एक भी जानवर की हत्या नहीं हुई है। राज्य भर से आए वन कर्मियों ने शिकारियों के मंसूबे को विफल कर दिया। चिपिंगडारी में तीन और धोबनी गांव में एक जाल जब्त करने के दौरान कुछ शिकारी वनकर्मियों से भिड़ गए।
जासं, जमशेदपुर : सेंदरा पर्व पर एक भी जानवर की हत्या नहीं हुई है। राज्य भर से आए वन कर्मियों ने शिकारियों के मंसूबे को विफल कर दिया। चिपिंगडारी में तीन और धोबनी गांव में एक जाल जब्त करने के दौरान कुछ शिकारी वनकर्मियों से भिड़ गए। दलमा जंगल क्षेत्र में विभिन्न इलाकों से 1500 शिकारी शिकार करने पहुंचे थे। यह दावा है दलमा वन्य प्राणी आश्रयणी के डीएफओ चंद्रमौली प्रसाद सिन्हा का।
उन्होंने बताया कि विभिन्न जिलों से तीन सौ वन पदाधिकारी सेंदरा रोकने के लिए बुलाए गए थे। वन विभाग ने वन सुरक्षा समिति और ग्रामीणों की मदद से किसी जंगली जानवर की हत्या नहीं होने दी। निगरानी इस कदर चुस्त थी कि कोई भी शिकारी जाल, फांस या हथियार के साथ जंगल में नहीं घुस सका। रेंजर आरपी सिंह ने कहा कि दलमा जाने वाले सभी रास्तों पर वन विभाग व सुरक्षा समिति के सदस्य तैनात थे। वन विभाग ने चिपिंगडारी गांव में शिकारियों से जाल जब्त कर लिया तो बीस शिकारी वहां आ धमके। कर्मचारियों से बकझक करने लगे व भिड़ गए। इसकी सूचना वन कर्मियों ने रेंजर को दी। इसके बाद काफी संख्या में कर्मचारी मौके पर पहुंच गए। अंतत: शिकारी लौट गए।
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पहली बार सबसे कम 1500 शिकारी ही पहुंचे दलमा
रेंजर आरपी सिंह के अनुसार, पहली बार सबसे कम 1500 शिकारी ही दलमा जंगल में पहुंचे। पहले हजारों शिकारी झारखंड, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़ व ओडिशा से यहां शिकार करने आते थे। चुनाव के कारण पश्चिम बंगाल से इसबार शिकारी आए ही नहीं। वहीं खूंटी व रांची संसदीय क्षेत्र में चुनाव होने के कारण भी शिकारी नहीं पहुंच सके।
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यहां तैनात थे वन
विभाग के कर्मचारी
वन विभाग ने शहरबेड़ा, कदमाझोर, पिंड्राबेड़ा दलमा टॉप, छारघर, खोखरो, दाहुबेड़ा, कोंकादशा, राजदोहा, चीमटी, कालीमंदिर, पिंड्राबेड़ा बड़काबांध, बिजली घाटी, स्नान घाटी रंगाजल, महाजल बुढीसाल, आसनबनी, हलुदबनी में वनकर्मियों को तैनात कर रखा था।