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आइएमओ पर कत्ल से घर में विलाप तक देखते हैं मुजरिम

घाघीडीह जेल पुलिस भले ही हाईटेक नहीं हो पाई हो लेकि

By JagranEdited By: Published: Mon, 03 Jul 2017 02:45 AM (IST)Updated: Mon, 03 Jul 2017 02:45 AM (IST)
आइएमओ पर कत्ल से घर में विलाप तक देखते हैं मुजरिम
आइएमओ पर कत्ल से घर में विलाप तक देखते हैं मुजरिम

मुजतबा हैदर रिजवी, जमशेदपुर : घाघीडीह जेल पुलिस भले ही हाईटेक नहीं हो पाई हो लेकिन, यहां बंद मुजरिमों की जरायम की दुनिया पूरी नई तकनीक से लैस हो चुकी है। ये मुजरिम घटनाओं को अंजाम दिलाने में एंड्रायड फोन पर वाट्स ऐप से लेकर आइएमओ और अन्य वीडियो कालिंग एप्स की मदद ले रहे हैं। अगर जेल में बंद किसी शातिर अपराधी ने बाहर किसी के कत्ल का फरमान जारी किया तो वो अपने स्मार्ट फोन पर इस संबंध में हो रही गतिविधियों का एक-एक मंजर देखता है। हत्या से लेकर अंतिम संस्कार तक का मंजर आइएमओ पर देखा जाता है। इस बात का खुलासा जेल में रविवार को हुई छापामारी में एंड्रायड स्मार्ट फोन बरामद होने के बाद हुआ।

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छापामारी के बाद सर्किट हाउस में उपायुक्त अमित कुमार ने प्रेस कांफ्रेंस कर छापामारी की जानकारी दी। इसके बाद छापामारी में शामिल कुछ थानों के प्रभारियों ने जेल से जुड़ी कुछ अहम बातें पत्रकारों से साझा कीं जिन्हें सुन कर किसी के भी पैरों तले जमीन खिसक जाए। जानकारी मिली कि जेल से जब किसी की सुपारी दी जाती है तो कत्ल का ठेका लेने वाले गिरोह को कत्ल की वारदात का सीन आइएमओ के जरिए सुपारी देने वाले तक पहुंचाना होता है। हत्या की वारदात का सीन सीधे आइएमओ पर दिखाने के लिए अलग से लड़के का इंतजाम किया जाता है। यही युवक घर में हो रहे परिजनों के विलाप और मरने वाले के अंतिम संस्कार तक का लाइव आइएमओ के जरिए सुपारी देने वाले को जेल में दिखाते हैं। यही नहीं, ये अपराधी आइएमओ पर अपने घर वालों से भी लाइव बात करते हैं।

जेल में बंद शातिरों के लिए टू जी और थ्री जी मोबाइल फोन इनके लिए पुराने जमाने की बात हैं। अब इनके पास फोर जी फोन हैं जिससे ये बाहर की दुनिया में हो रही गतिविधियों पर निगाह रखते हैं। अगर जेल से किसी की सुपारी दी गई है तो मरने वाले के अंतिम संस्कार तक का मंजर यहां बैठे शातिर मुजरिम देखते हैं। सूत्रों के हवाले से बताया गया कि हत्या की पूरी वारदात और अंतिम संस्कार देखने के बाद ही सुपारी की रकम जारी की जाती है। जेल में एंड्रायड फोन कैसे पहुंचे इसकी उच्चस्तरीय जांच जिला प्रशासन कराएगा। इसके लिए जल्द ही अधिकारियों की एक टीम बनाई जाएगी।

रविवार को हुई छापामारी में 12 एंड्रायड फोन का मिलना बड़ा मामला माना जा रहा है। लोग सवाल उठा रहे हैं कि आखिर जेल में इतने आधुनिक मोबाइल फोन कैसे पहुंचे। जेल में ये सब कुछ चल रहा है और जेल प्रशासन चुप रहा। यही नहीं, पुलिस के भी आला अधिकारी चुप्पी साधे रहे। वो तो उपायुक्त को जेल में मोबाइल होने की जानकारी मिली और उन्होंने छापामारी का आदेश दिया। पुलिस को भी इस बात की जानकारी थी कि यहां मोबाइल फोन हैं। लेकिन, एंड्रायड फोन हैं इस बात से एसएसपी अनूप टी मैथ्यू भी हैरान हैं। शहर में ज्यादातर बड़ी वारदातों की योजना जेल में ही बनाई जाती है। ऐसे में यहां अपराधिक गिरोहों के पास एंड्रायड फोन का होना खतरनाक है। जेल में राजेंद्र वार्ड में अखिलेश गिरोह और गांधी वार्ड में परमजीत गिरोह के अपराधी रहते हैं।

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गांधी वार्ड से मिले हैं स्मार्ट फोन

घाघीडीह जेल में हुई छापामारी में सबसे ज्यादा मोबाइल फोन गांधी वार्ड से बरामद हुए हैं। गांधी वार्ड में परमजीत गिरोह के गुर्गे बंद हैं। छापामारी में शामिल एक थाना प्रभारी ने पत्रकारों को बताया कि इस वार्ड से छह स्मार्ट फोन बरामद हुए हैं। उन्होंने बताया कि सारे स्मार्ट फोन बाथरूम में एक खिड़की के पास होल बना कर रखे गए थे। पुलिस को इस बात की पहले से सूचना थी कि शातिर बंदी मोबाइल कहां छिपा कर रखते हैं। शंकी यादव और राजेंद्र वार्ड में मौजूद विक्रम समेत कुछ अन्य शातिर अपराधियों के पास से मोबाइल बरामद नहीं हो सका। माना जा रहा है कि ये शातिर अपराधी अपने स्मार्ट फोन छिपाने में सफल हो गए।

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गृह विभाग करेगा आगे की कार्रवाई

उपायुक्त अमित कुमार ने बताया कि घाघीडीह में हुई इस छापामारी और यहां हुई बरामदगी की पूरी रिपोर्ट गृह विभाग को भेजी जाएगी। गृह विभाग से जेल में चल रहे कारनामों के बारे में बताया जाएगा। अब ये गृह विभाग के ऊपर है कि वो आगे क्या कार्रवाई होगी।

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काम नहीं करता जेल का जैमर

जेल का जैमर जब से लगा है शायद की कभी इसने काम किया हो। ये जैमर टू जी मोबाइल फोन के लिए लगाया गया था। लेकिन, जैमर लगने के फौरन बाद ही ये खराब हो गया। जैमर हैदराबाद से खरीदा गया था। हैदराबाद की कंपनी से पत्राचार हुआ तो वो आकर यहां से जैमर के कुछ सामान ले गई। कई महीनों तक वो सामान नहीं आया और जैमर खराब ही रहा। कभी पुलिस या प्रशासनिक अधिकारियों ने जैमर चलने पर जोर नहीं दिया। इस वजह से जेल में बराबर टू जी मोबाइल चलते रहे। प्रेस कांफ्रेंस में एक सवाल के जवाब में एसएसपी अनूप टी मैथ्यू ने कहा कि जैमर टू जी फोन के लिए है। एंड्रायड फोन पर काम नहीं करता। लेकिन, जब उनसे ये पूछा गया कि बरामद मोबाइल में 12 टू जी मोबाइल हैं। ये भी चल रहे थे तब उन्हें अपनी गलती का एहसास हुआ और उन्होंने माना कि जेल का जैमर काम नहीं कर रहा है।

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जेल में लगेगा फोर जी जैमर

उपायुक्त अमित कुमार ने बताया कि जेल में अब नया जैमर लगाया जाएगा। उपायुक्त ने एक सवाल के जवाब में बताया कि वो गृह विभाग को जेल में जैमर के काम नहीं करने की जानकारी देंगे। साथ ही अनुशंसा की जाएगी कि जेल में नया आधुनिक जैमर लगाया जाए जो फोर जी स्मार्ट फोन पर भी प्रभावी हो।

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कोट

जेल में मोबाइल और स्मार्ट फोन पहुंचना गंभीर मामला है। हमने इसका संज्ञान लिया है। जेल की सुरक्षा में कहां चूक है। मोबाइल कैसे अंदर पहुंच रहे हैं। इसकी उच्चस्तरीय जांच कराई जाएगी। जेल से फोन पर बातचीत होने के प्रमाण मिल रहे थे। इसलिए मजिस्ट्रेट और पुलिस कर्मियों की संयुक्त टीम बना कर छापामारी हुई।

अमित कुमार, उपायुक्त पूर्वी सिंहभूम


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