Black Fungus की नहीं मिली दवा, तड़प-तड़प कर मर गया मरीज
इससे अधिक दर्दनाक व दुखद और क्या हो सकता है। 48 घंटे से एक ब्लैक फंगस के मरीज तड़पते रहा मदद की गुहार लगाते रहा लेकिन कहीं से उसको सहायता नहीं मिली। अंतत मंगलवार की रात उसकी मौत हो गई।
जमशेदपुर : इससे अधिक दर्दनाक व दुखद और क्या हो सकता है। 48 घंटे से एक ब्लैक फंगस के मरीज तड़पते रहा, मदद की गुहार लगाते रहा लेकिन कहीं से उसको सहायता नहीं मिली। अंतत: मंगलवार की रात उसकी मौत हो गई। इस दौरान मरीज के स्वजनों का रो-रोकर बुरा हाल था। मृतक के स्वजनों ने बताया कि स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता के कार्यालय से लेकर सरायकेला-खरसावां के प्रभारी सिविल सर्जन (सीएस) बी. मार्डी से संपर्क किया लेकिन कोई मदद को आगे नहीं आया। टीएमएच में दो बार मरीज को भर्ती कराने के लिए ले जाया गया लेकिन, इंजेक्शन नहीं होने की बात कहते हुए उसे लौटा दिया गया। इसके बाद मरीज के स्वजन उसे वापस घर लेकर चले गए। दरअसल, मृतक आदित्यपुर निवासी (34) है।
कोरोना से ठीक होने के बाद हुआ ब्लैक फंगस
मृतक के मामा ने बताया कि मरीज (भगीना) को पहले कोरोना हुआ था। इसके बाद उसे कांतीलाल अस्पताल में भर्ती कराया गया था। वहां पर स्थिति ठीक हुई तो वापस घर भेज दिया गया। उसके कुछ दिन के बाद उसकी स्थिति फिर से बिगड़ने लगी। इस दौरान उसे देखने में भी परेशानी होने लगी। इसके बाद दो दिन पूर्व उसे टाटा मुख्य अस्पताल ले जाया गया। वहां पर चिकित्सकों ने जांच की और ब्लैक फंगस का लक्षण बताया। साथ ही, एम्फोटेरिसिन-बी इंजेक्शन लाने को कहा। लेकिन, वह इंजेक्शन जमशेदपुर सहित पूरे झारखंड में नहीं मिली।
टीएमएच में भी इंजेक्शन नहीं है मौजूद
मृतक के मामा ने बताया कि मरीज को भर्ती कराने के लिए टीएमएच दो बार ले जाया गया लेकिन दोनों बार इंजेक्शन नहीं होने की बात कहते हुए लौटा दिया गया। एम्फोटेरिसिन-बी इंजेक्शन ब्लैक फंगस के मरीज के इलाज में उपयोग होता है। मृतक के स्वजनों का कहना है कि मरीज को न तो शुगर की बीमारी थी और न ही शारीरिक रूप से उतना कमजोर था फिर ब्लैक फंगस कैसे हो गया।
उजड़ गया परिवार, कैसे चलेगा घर
मृतक घर के बड़ा बेटा था। उसी की कमाई से घर-द्वार चलता था। लेकिन, अब उसकी मौत हो गई। ऐसे में उसके परिवार पर पहाड़ टूट गया है। मृतक के दो बच्चे है। इसमें एक तीन साल का लड़का व लड़की एक साल की है।