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झारखंड के पूर्वी सिंहभूम में 12 प्रतिशत बढ़े काेरोन के मरीज, कह रहे नहीं था कोविड, अब बच्चों में मिल रहा एंटीबॉडी

डॉ. शुभोजीत ने एमआइएससी (मल्टी सिस्टम इंफ्लेमेटरी सिंड्रोम) की आशंका जताते हुए उन्हें भर्ती होने की सलाह दी है। क्योंकि तेज बुखार उल्टी व दस्त होना एमआइएससी के प्रमुख लक्षणों में शामिल है और जमशेदपुर में इससे संबंधित मरीज लगातार बढ़ रहे हैं।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Thu, 08 Jul 2021 05:20 PM (IST)Updated: Thu, 08 Jul 2021 05:20 PM (IST)
झारखंड के पूर्वी सिंहभूम में 12 प्रतिशत बढ़े काेरोन के मरीज, कह रहे नहीं था कोविड, अब बच्चों में मिल रहा एंटीबॉडी
इसे देखते हुए डॉक्टर भी सतर्क हो गए हैं।

अमित तिवारी, जमशेदपुर : परसुडीह निवासी हरेराम महतो के तीन वर्षीय बच्ची को अचानक से तेज बुखार के साथ-साथ उल्टी व दस्त होने लगी। बुधवार की सुबह-सुबह वे मर्सी अस्पताल के शिशु रोग विभागाध्यक्ष डॉ. शुभोजीत बनर्जी के पास पहुंचे। इस दौरान डॉ. शुभोजीत ने एमआइएससी (मल्टी सिस्टम इंफ्लेमेटरी सिंड्रोम) की आशंका जताते हुए उन्हें भर्ती होने की सलाह दी है। क्योंकि तेज बुखार, उल्टी व दस्त होना एमआइएससी के प्रमुख लक्षणों में शामिल है और जमशेदपुर में इससे संबंधित मरीज लगातार बढ़ रहे हैं। इसे देखते हुए डॉक्टर भी सतर्क हो गए हैं। मर्सी अस्पताल में एमआइएससी के तीन मरीज भर्ती हुए थे। अभी तीनों स्वस्थ होकर घर लौट चुके हैं। वहीं, आदित्यपुर स्थित इएसआइसी अस्पताल में भर्ती चार में से तीन मरीज की छुट्टी बुधवार को हुई। अब सिर्फ एक मरीज ही भर्ती है। इन बच्चों की उम्र ढ़ाई से 12 साल के बीच थी।

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चौंकाने वाली रिपोर्ट आ रही सामने

सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि इनके माता-पिता को पता ही नहीं चला कि बच्चे कोविड से ग्रस्त भी हुए। कारण कि ये बच्चे पूर्व में कभी गंभीर रूप से बीमार नहीं पड़े। अगर पूर्व में इन बच्चों को हल्का सर्दी-खांसी या फिर बुखार हुई भी होगी तो या तो अपने आप ठीक हो गए होंगे या फिर एक-दो दवा खाने से ठीक हो गए होंगे। ऐसे में उस दौरान उनकी कोरोना की जांच नहीं हुई लेकिन ये बच्चे कहीं न कहीं कोविड से ही ग्रस्त थे जिसके कारण इनके शरीर में एंटीबॉडी विकसित हो गई है। अब अचानक से वैसे बच्चों की तबीयत खराब हो रही है और जांच कराने पर एंटीबॉडी मिल रहा है, जिसे एमआइएससी कहते हैं। यह एक तरह की पोस्ट कोविड बीमारी है।

जांच महंगा इसलिए अधिकांश लोग नहीं करा रहे

बीते दो सप्ताह का आकंड़ा देखा जाए तो बच्चों में तेज बुखार, डायरिया, पेट दर्द, उल्टी, आंख लाल हो जाना, चर्म में लाल दाग, आंख लाल हो जाना सहित अन्य

के लगभग 10 से 12 प्रतिशत मरीज बढ़े हैं। यह सभी एमआइएससी के लक्षण में शामिल हैं। बीमारी का पता लगाने को एंटीबॉडी सहित अन्य जांच कराई जाती लेकिन जांच महंगा होने की वजह से अधिकांश लोग नहीं करा पा रहे हैं। सिर्फ कुछ ही मरीज जांच करा रहे हैं जिसमें एमआइएससी की पुष्टि हो रही है। चिकित्सकों का कहना है कि अगर यह जांच सरकार की तरफ से फ्री कर दिया जाए तो बच्चों के इलाज में आसानी होगी।

आंकड़ों से अधिक बच्चे हुए हैं संक्रमित

जिला सर्विलांस विभाग के रिपोर्ट में कुल दो हजार 184 बच्चे संक्रमित हुए हैं लेकिन शहर के शिशु रोग विशेषज्ञों का कहना है कि इससे अधिक बच्चे संक्रमित हुए हैं। बच्चों में संक्रमण का स्तर कम होने की वजह से अधिकांश बच्चों को जांच की जरूरत ही नहीं पड़ी और वे ठीक हो गए। लेकिन अभी जब

उनकी जांच कराई जा रही है तो एंटीबॉडी मिल रहा है।

एमआइएससी से घबराने की जरूरत नहीं है। कोविड होने के बाद यह बीमारी बच्चों में होती है। किसी तरह की लक्षण होने पर उसे दिखाएं।

- डॉ. शुभोजीत बनर्जी, शिशु रोग विशेषज्ञ, मर्सी।

एमआइएससी होने पर सभी को भर्ती करने की जरूरत नहीं पड़ती। सिर्फ 15 से 20 प्रतिशत बच्चे को ही भर्ती करने की जरूरत होती है।

- डॉ. मिंटू अखौरी सिन्हा, शिशु रोग विशेषज्ञ, इएसआइसी

एमआइएससी के लक्षण

- एमआइएससी के लक्षण में 24 घंटे या इससे ज्यादा समय तक बुखार होना, उल्टी, उल्टी, दस्त, पेट में दर्द, स्किन रैश, थकान, दिल की धड़कन तेज होना, सांसें तेज होना, आंखों में लालपन, होठों व जीभ पर सूजन या लालिमा, हाथ या पैरों में सूजन, सिरदर्द, चक्कर आना या सिर चकराना लक्षण में शामिल हैं।

- बीते दो सप्ताह में बढ़ी मरीजों की संख्या, बच्चों में बुखार, उल्टी, डायरिया, पेट दर्द के मामले अधिक

- आदित्यपुर स्थित इएसआइसी में भर्ती चार में से तीन मरीज की हुई छुट्टी, मर्सी अस्पताल में भी भर्ती थे तीन

- घबराएं नहीं बल्कि अभिभावक सावधान हो जाएं, इस तरह के हो लक्षण को नहीं करें नजरअंदाज

- एमआइएससी के मरीज पूरी तरह से ठीक हो जाते, समय पर इलाज है जरूरी


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