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कोरोना के खौफ ने मजदूरों को किया बेरोजगार, खुशी-खुशी पहुंचते हैं चौक, मायूस होकर लौटते हैं घर Jamshedpur News

लौहनगरी के लोगों ने घर में बाहरी व्यक्तियों के प्रवेश पर पाबंदी लगा दी है। इसका असर यह हैै कि सैकड़ों मजदूर बेरोजगार हो गए हैंं।

By Vikas SrivastavaEdited By: Published: Tue, 04 Aug 2020 04:40 PM (IST)Updated: Tue, 04 Aug 2020 04:42 PM (IST)
कोरोना के खौफ ने मजदूरों को किया बेरोजगार, खुशी-खुशी पहुंचते हैं चौक, मायूस होकर लौटते हैं घर Jamshedpur News
कोरोना के खौफ ने मजदूरों को किया बेरोजगार, खुशी-खुशी पहुंचते हैं चौक, मायूस होकर लौटते हैं घर Jamshedpur News

जमशेदपुर (जासं) । कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामले को देखते हुए लौहनगरी के लोगों ने सतर्कता बरतना शुरु कर दिया है। घर की एयर कंडीशन (एसी) खराब हो या वाशिंग मशीन या फिर सिविल का काम घर में कराना हो। घर में बाहरी व्यक्तियों के प्रवेश पर लौहनगरी के लोगों ने पाबंदी लगा दी है। इसका असर यह हैै कि सैकड़ों मजदूर बेरोजगार हो गए हैंं। काम नहीं मिलने से इनके घर में चूल्हा भी मुश्किल सेे जल रहा है। आलम यह है कि पड़ोसियों की मदद से इनकी एक वक्त की रोटी चल रही है।

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दरअसल, लॉकडाउन के दौरान गुजरात, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडू सहित विभिन्न राज्यों से हजारों की संख्या में मजदूर पूर्वी सिंहभूम जिला पहुंचे थे। यहां आकर उन्हें लगा कि स्थानीय स्तर पर उन्हें काम मिल जाएगा। रेलवे ने भी कहा था कि इन मजदूरों के विकास कार्यों में लगाया जाएगा। लेकिन अब तक न ही इन मजदूरों के रेलवे ने काम में लगाया और न ही स्थानीय लोग ही इन मजदूरों को काम दे रहे है। एक्का - दुक्का ही मजदूर किसी तरह बाहरी क्षेत्र में काम कर रहे हैं। 

खुशी-खुशी चौक पहुंचते हैं मजदूर, फिर लौटते हैं उदास

पटमदा, हाता, सुंदरनगर, परसुडीह, बागबेड़ा से प्रतिदिन तड़के ही मजदूर मानगो चौक, काशीडीह चौक, सुंदरनगर चौक, गाड़ाबासा चौक में आकर खड़े हो जाते हैं ताकि कोई उन्हें तीन सौ से पांच सौ रुपये मजदूरी  देकर अपने साथ आठ घंटे के लिए ले जाए। लेकिन दिन भर काम की आस में खड़े होने के बाद भी उन्हें कोई अपने साथ ले जाने को तैयार नहीं होता है। यह मजदूर घर में अपने बच्चों को कह कर जाते  हैं कि शाम को राशन लेते आएंगे। जब कुछ देर तक मजदूर घर नहीं लौटते हैं तो घरवालों को लगता है कि अब उसे काम मिल गया है। शाम को राशन घर में आ जाएगा। लेकिन जब दोपहर को खाली हाथ मजदूर अपने घर लौटता है तो फिर सबके चेहरों पर मायूसी छा जाती है।

बस्ती वाले भी करते हैं विरोध

फ्लैट व बस्ती में अगर सिविल का काम चल रहा होता है तो बस्ती वालों व फ्लैटवासियों के विरोध करने पर काम को बंद करना पड़़ रहा है। इनका कहना है की बाहरी मजदूरों को लाकर सिविल व अन्य काम कराने से कोरोना संक्रमण का खतरा बढ़ेगा। इसको लेकर विरोध शुरु हो रहा है। फिर मजबूरी में मकान मालिक व ठेकेदारों को काम बंद करना पड़ रहा है। पटमदा से आए सुखेन महतो ने बताया कि बाबू आज दो सप्ताह से रोज साइकिल से पटमदा से मानगो चौक आ रहे है। लेकिन काम ही नहीं मिल रहा है। कोरोना के भय से कोई उनलोगों को अपने घर काम पर ले कर जा ही नहीं रहा है।


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