जमशेदपुर में कोरोना के साथ एक और बीमारी बनी सिरदर्द
कोरोना संक्रमण के साथ-साथ जमशेदपुर में एक और बीमारी सिरदर्द बन गई है। इसे लेकर डॉक्टर हैरान हैं। मरीज परेशान हैं। महात्मा गांधी मेमोरियल मेडिकल कॉलेज अस्पताल के जनरल फिजिशियन डॉ. बलराम झा के ओपीडी में रोजाना सात से दस फीसद वैसे मरीज पहुंच रहे हैं जिनको कोई बीमारी ही नहीं है लेकिन उनके शरीर में कई तरह के लक्षण महसूस हो रहे हैं।
जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : कोरोना संक्रमण के साथ-साथ जमशेदपुर में एक और बीमारी सिरदर्द बन गई है। इसे लेकर डॉक्टर हैरान हैं। मरीज परेशान हैं। महात्मा गांधी मेमोरियल मेडिकल कॉलेज अस्पताल के जनरल फिजिशियन डॉ. बलराम झा के ओपीडी में रोजाना सात से दस फीसद वैसे मरीज पहुंच रहे हैं, जिनको कोई बीमारी ही नहीं है, लेकिन उनके शरीर में कई तरह के लक्षण महसूस हो रहे हैं। मसलन सिर दर्द, छाती में जलन, भूख नहीं लगना, शरीर में खून न बनना, छाती में चुभन, सांस लेने में परेशानी, दिल में दर्द व खाना नहीं पचना आदि। इसी तरह, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आइएमए) के पूर्व अध्यक्ष डॉ. आरएल अग्रवाल के क्लीनिक में भी इसी तरह के मरीज आ रहे हैं। बारीडीह निवासी धमेंद्र सिंह को बार-बार सांस लेने में परेशानी का एहसास हो रहा था। इसके बाद वे डॉक्टर के पास पहुंचे। दवा ली पर ठीक नहीं हुए। दूसरे दिन पुन: डॉक्टर के पास पहुंचे। जांच कराई, कोई बीमारी नहीं निकली। इसके बाद उन्हें लगा कि डॉक्टर बीमारी नहीं पकड़ पा रहे। दूसरे डॉक्टर के पास चले गए। फिर भी परेशानी कम नहीं हुई। दरअसल, धमेंद्र सिंह को कोई बीमारी नहीं थी। अब वह मनोचिकित्सक के संपर्क में हैं। काउंसिलिग जारी है। धमेंद्र सिंह की तरह सैकड़ों लोग इस समस्या से जूझ रहे हैं।
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आने वाले समय में और बढ़ेगी यह समस्या
लॉकडाउन के बाद ऐसे मरीजों की संख्या में तेजी से वृद्धि हुई है। आने वाले समय में यह समस्या और बढ़ने की आशंका जताई जा रही है। जिनमें बीमारी कोई नहीं लेकिन लक्षण तमाम होंगे। दरअसल, कंपनी बंद होने, बेरोजगारी, नौकरी जाने, भविष्य की चिंता से लोग परेशान हैं। इस कारण उनमें तनाव हावी हो रहा है। यह तनाव शारीरिक लक्षण के रूप में बाहर आ रहा है। इसे ही सोमेटो फॉर्म डिसऑडर कहते हैं। इसमें तनाव हावी होने से व्यक्ति अपने शरीर के विभिन्न भागों से आने वाली सूचनाओं के प्रति ज्यादा संवेदनशील हो जाता है। इसके फलस्वरूप उन्हें हर समय अपने शरीर के विभिन्न अंगों के प्रति आशंका बनी रहती है।
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इस तरह के रोगियों की बढ़ती संख्या चिता का विषय है। इनकी काउंसिलिंग की जाती है। आनेवाले समय में इस तरह के मामले और बढ़ सकते हैं। इसलिए लोगों को जागरूक होने की जरूरत है। लोगों को इससे बचाव के लिए सकारात्मक सोच रखना होगा। सोमेटो फॉर्म डिसऑडर में मरीजों की काउंसिलिंग कर समस्या दूर की जाती है।
- डॉ. दीपक गिरी, मनोचिकित्सक, सदर अस्पताल।
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शहर पहुंची ट्रूनेट मशीन, अब फटाफट होगी कोरोना की जांच
पूर्वी सिंहभूम जिले में तेजी से फैल रहे कोरोना वायरस के बीच एक अच्छी खबर है। बुधवार को रांची से जमशेदपुर ट्रू नेट मशीन (न्यूक्लिक एसिड एम्लीफिकेशन टेस्ट) पहुंच गई है। इसे जिला यक्ष्मा कार्यालय में स्थापित किया जा रहा है। इसे लगने के बाद जांच में तेजी आएगी। आठ घंटे के बजाए एक घंटे में ही कोरोना की रिपोर्ट आ जाएगी। फिलहाल महात्मा गांधी मेमोरियल (एमजीएम) मेडिकल कॉलेज के वायरोलॉजी लैब व टाटा मुख्य अस्पताल के लैब में कोरोना की जांच होती है। इसकी रिपोर्ट आने में कम से कम आठ घंटे का वक्त लगता है। लगभग एक हजार से अधिक नमूने पेडिंग हैं। सिविल सर्जन डॉ. महेश्वर प्रसाद ने बताया कि ट्रू नेट मशीन को जल्द से जल्द शुरू करने की कोशिश की जा रही है। मशीन से एक दिन में 20 नमूनों की जांच हो सकती है। इसमें गर्भवती महिला, किडनी रोगी सहित अन्य मरीजों को प्राथमिकता दी जाएगी। इससे फायदा यह भी होगा कि इमरजेंसी ऑपरेशन केस में इस मशीन से रिपोर्ट जल्दी आएगी और उसका ऑपरेशन भी जल्द से जल्द हो सकेगा।