कॉलेज की रिपोर्ट की सत्यता की जांच करने पहुंची केयू की टीम
जागरण संवाददाता जमशेदपुर जमशेदपुर को-ऑपरेटिव कॉलेज में बीएड नामांकन में हुई अनियमित
जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : जमशेदपुर को-ऑपरेटिव कॉलेज में बीएड नामांकन में हुई अनियमितता का खुलासा होने के डेढ़ साल बाद कोल्हान विश्वविद्यालय (केयू) की टीम शनिवार को जांच करने पहुंची। कॉलेज ने अपनी जांच रिपोर्ट एक वर्ष पूर्व ही भेज दी थी। रिपोर्ट की सत्यता की जांच करने ही केयू की टीम सीसीडीसी डॉ. जेपी मिश्रा के नेतृत्व में पहुंची।
बीएड प्रभारी की भूमिका संदिग्ध बताई :
कॉलेज की रिपोर्ट में सत्र 2017-19 के नामांकन में व्यापक अनियमितता की बात सामने आई। इसमें पूर्व बीएड प्रभारी डॉ. विश्वेश्वर यादव की भूमिका भी संदिग्ध बताई गई। इस कारण उनका बीएड शिक्षक का अनुबंध विस्तार भी नहीं किया गया। टीम बारीकी से रिपोर्ट के आधार पर कागजों का मिलान कर रही थी। यह निरीक्षण दोपहर 12 बजे से शाम पांच बजे तक चला। इसके बाद टीम में डॉ. मिश्रा के अलावा स्टूडेंट वेलफेयर के डीन डॉ. टीसीके रमण, कुलानुशासक डॉ. एके झा, वित्त पदाधिकारी डॉ. सुधांशु कुमार, वोकेशनल सेल के कोर्डिनेटर डॉ. संजीव आनंद शामिल थे।
प्राचार्य ने किया टीम को पूरा सहयोग : केयू की टीम कॉलेज की प्राचार्य डॉ. वीके सिंह से कई तरह के सवाल पूछ रही थी। प्राचार्य अपने सहयोगियों के साथ टीम को कागजातों को प्रस्तुत कर रही थीं। जांच के बारे में पूछे जाने पर केयू के कुलानुशासक डॉ. एके झा ने बताया कि टीम ने अपनी जांच की है। जांच रिपोर्ट तैयार होने के बाद इसे कुलपति प्रोफेसर डॉ. शुक्ला माहांती को समर्पित कर दिया जाएगा। प्रारंभिक रिपोर्ट कॉलेज से प्राप्त हो चुकी है। उस आधार पर जांच की गई है।
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बीएड नामांकन में हुआ लेन-देन
जांच के लिए पहुंची कोल्हान विवि की टीम ने पूर्व बीएड प्रभारी डॉ. विश्वेश्वर यादव को बुलाया था। जांच के दौरान बीएड के एक कर्मचारी ने कहा कि वर्ष 2017 के नामांकन के समय में रुपयों का लेन-देन हुआ है। कमेटी के चेयरमैन ने बात को लिखित रूप से देने को कहा। इसके अलावा गायब दस्तावेज के बारे में पूर्व बीएड प्रभारी से जब पूछताछ की गई तो उन्होंने कहा कि सारे दस्तावेज क्लर्क को सौंपे गए थे। इसकी प्राप्ति रसीद भी उन्होंने दिखाई। इसके बाद वर्तमान बीएड प्रभारी डॉ. संजीव सिंह व प्राचार्य डॉ. वीके सिंह को सूची का मिलान कर फिर से सूची भेजने को कहा गया।
कॉलेज की रिपोर्ट में थी ये बातें
1. बीएड एडमिशन संबंधित दस्तावेज गायब थे।
2. बीएड एडमिशन लिस्ट नहीं है।
3. एडमिशन की सूची चिपकाए जाने का कोई सबूत नहीं मिला।
4. आवेदकों को मात्र दो-दो दिन का समय नामांकन के लिए दिया गया।
5. सर्टिफिकेट झोला लेकर चलते थे पूर्व बीएड प्रभारी।
6. गलत तरीके से एनआइओएस के कोर्डिनेटर बन गए थे तत्कालीन बीएड प्रभारी