टाटानगर में एफ्लूएंट ट्रीटमेंट प्लांट का निर्माण शुरू, प्रतिदिन बचेगा डेढ़ लाख गैलन पानी Jamshedpur News
टाटानगर स्टेशन में पीने का पानी व ट्रेनों को धोने के लिए पानी की किल्लत अब नहीं होगी। रेलवे ने टाटानगर स्थित सेंट्रल स्कूल के समीप ईटीपी का निर्माण कार्य शुरू कर दिया है।
जमशेदपुर, गुरदीप राज। टाटानगर स्टेशन में पीने का पानी व ट्रेनों को धोने के लिए पानी की किल्लत अब नहीं होगी। रेलवे ने टाटानगर स्थित सेंट्रल स्कूल के समीप एफ्लूएंट ट्रीटमेंट प्लांट (ईटीपी) का निर्माण कार्य शुरू कर दिया है। इस प्लांट का निर्माण कोलकाता की कंपनी द्वारा किया जा रहा है। इसके निर्माण में कुल एक करोड़ 70 लाख रुपये खर्च किए जाने का टेंडर किया गया है।
एफ्लूएंट ट्रीटमेंट प्लांट का निर्माण 1500 स्क्वायर मीटर में किया जा रहा है। इस प्लांट का निर्माण मार्च 2020 तक हो जाना था लेकिन कोरोना वायरस संक्रमण व ड्राइंग पास नहीं होने के कारण इस वर्ष नहीं हो पाया। पहले इसका निर्माण टाटानगर स्टेशन वासिंग लाइन में ही किया जाना था। जगह की कमी के कारण अब इसका निर्माण सेंट्रल स्कूल के समीप किया जा रहा है जो मार्च 2021 तक तैयार हो जाएगा। प्लांट का निर्माण होने से रेलवे अब प्रतिदिन डेढ़ लाख गैलन पानी बचा सकेगा।
प्रतिदिन 279 कोच की होती है साफ-सफाई
टाटानगर स्थित वासिंग लाइन में प्रतिदिन 279 कोच को धोने व उसकी साफ सफाई का काम किया जाता है। ट्रेनों को धोने में प्रतिदिन एक लाख गैलन पानी की खपत होती है, जबकि 50 हजार गैलेन पानी का इस्तेमाल प्रतिदिन टाटानगर स्टेशन में पीने व अन्य काम के लिए किया जाता है। एक लीटर पानी को टाटानगर स्टेशन तक पहुंचाने में रेलवे को एक रुपये पांच पैसे खर्च आता था। लेकिन एफ्लूएंट ट्रीटमेंट प्लांट लग जाने से इसका खर्च 30 पैसे प्रति लीटर हो जाएगा।
चाईबासा बस स्टैंड के पास बनेगा कलेक्शन सेंटर
टाटानगर वासिंग लाइन में ट्रेनों की साफ-सफाई व धुलाई से जो भी गंदा पानी निकलेगा वह पानी चाईबासा बस स्टैंड के पास बने पानी कलेक्शन सेंटर में आकर जमा होगा। फिर यह पानी सीधे सेंट्रल स्कूल के समीप बन रहे एफ्लूएंट ट्रीटमेंट प्लांट में जाएगा। जहां से पानी री-साइक्लिंग होकर पुन: वासिंग लाइन में पहुंचेगा।
पांच से छह बार होगा पानी री-साइक्लिंग गंदा पानी
टाटानगर स्थित सेंट्रल स्कूल के समीप निर्माणाधीन एफ्लूएंट ट्रीटमेंट प्लांट में टाटानगर स्टेशन के शौचालय से लेकर हाथ-मुंह धोने व वाशिंग लाइन में ट्रेन धोने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले पानी को एफ्लूएंट ट्रीटमेंट प्लांट तक भेजा जाएगा। जहां उक्त पानी को पांच से छह बार री-साइक्लिंग कर उस पानी का इस्तेमाल ट्रेन के कोच को धोने के लिए किया जाएगा। इस तरह रेलवे प्रतिदिन सिर्फ वाशिंग लाइन में इस्तेमाल होने वाले एक लाख गैलन पानी को तो बचाएगी ही, साथ में टाटानगर स्टेशन के विभिन्न शौचालय से निकलने वाले गंदे पानी, स्टाल, फूड प्लाजा, रेस्टोरेंट से निकलने वाले गंदे पानी को साफ कर इसका इस्तेमाल ट्रेन के धुलाई, शौचालय व प्लेटफार्म की साफ सफाई में पुन: कर उपयोग कर सकेंगे। टाटानगर में लगने वाले इटीपी में केमिकल युक्त पानी को भी साफ करने की क्षमता रहेगी। जिसका ध्यान रखा जा रहा है। ताकि भविष्य में पानी की किल्लत की समस्या को टाटानगर स्टेशन में नहीं झेलनी पड़े।
रेन वाटर हार्वेस्टिंग का भी पूरा रखा जाएगा ख्याल
टाटानगर के निर्माणाधीन एफ्लूएंट ट्रीटमेंट प्लांट में रेन वाटर हार्वेस्टिंग का भी पूरा ख्याल रखा जाएगा। स्टेशन में गिरने वाले बारिश के पानी को पाइप के मदद से एक बड़े पाइप के रास्ते एफ्लूएंट ट्रीटमेंट प्लांट में भेजा जाएगा। जहां इस पानी को शुद्ध कर पुन: इसका इस्तेमाल किया जाएगा।
- टाटानगर में एफ्लूएंट ट्रीटमेंट प्लांट के लगने से प्रतिदिन एक लाख गैलन से ज्यादा पानी की बचत होगी और इस प्लांट से री-साइकिल पानी का इस्तेमाल ट्रेन को धोने व अन्य काम में इस्तेमाल किया जाएगा।
-मनीष कुमार पाठक सीनियर डीसीएम चक्रधरपुर मंडल