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मजबूत व अनुभवी यूनियन से कंपनी का भविष्य बेहतर : नरेंद्रन

जागरण संवाददाता जमशेदपुर कोई भी कंपनी तभी चल सकती है जब उनके यहां मजबूत और अनुभवी

By JagranEdited By: Published: Tue, 05 Mar 2019 08:00 AM (IST)Updated: Tue, 05 Mar 2019 08:00 AM (IST)
मजबूत व अनुभवी यूनियन से कंपनी का भविष्य बेहतर : नरेंद्रन
मजबूत व अनुभवी यूनियन से कंपनी का भविष्य बेहतर : नरेंद्रन

जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : कोई भी कंपनी तभी चल सकती है जब उनके यहां मजबूत और अनुभवी यूनियन हो। अनुभवी यूनियन ही ये समझ सकती है कि नजदीक के नुकसान से दूर का फायदा ज्यादा अच्छा है।

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टाटा वर्कर्स यूनियन पांच मार्च को अपनी स्थापना के 100वें वर्ष में कदम रख रही है। इस मौके पर सोमवार सुबह माइकल जॉन सभागार में आयोजित समारोह को संबोधित करते हुए टाटा स्टील के सीईओ सह एमडी टीवी नरेंद्रन ने ये बातें कहीं।

बकौल टीवी नरेंद्रन, मुंबई और कोलकाता में कई ऐसे उदाहरण हैं जहां अनुभवी यूनियन नहीं रहने के कारण कंपनियों को नुकसान हुआ। सभी कंपनियों में प्रबंधन और यूनियन के बीच कुछ मतांतर होते हैं, जिनका समाधान बैठकर ही सुलझाना चाहिए। यूनियन नेतृत्व को खुद भी यह समझना और अपने कर्मचारियों को बताना चाहिए कि कंपनी अभी किस दौर से गुजर रही है। कंपनी के सामने किस तरह की चुनौतियां भविष्य में आने वाली है। हमें अगले 30, 50 और 100 वर्ष में किस तरह के बदलाव होने वाले हैं, ये सोचकर अपने आपको को बदलने और निरंतर आगे बढ़ना चाहिए। समारोह के दौरान टीवी नरेंद्रन, इंटक के प्रदेश अध्यक्ष राजेंद्र सिंह, टाटा स्टील के वाइस प्रेसिडेंट (एचआरएम) सुरेश दत्त त्रिपाठी, यूनियन अध्यक्ष आर रवि प्रसाद, डिप्टी प्रेसिडेंट अरविंद पांडेय, महासचिव सतीश कुमार सिंह ने संयुक्त रूप से यूनियन के नए लोगो का विमोचन किया।

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पीपुल, प्रोसेस, कल्चर और कैपेबिलिटी का दिया मंत्र

नरेंद्रन ने अपने संबोधन में पीपुल (कर्मचारी), प्रोसेस (व्यवस्था), कल्चर (संस्कृति) और कैपेबिलिटी (ट्रेनिंग) का गुरुमंत्र दिया। कहा कि किसी भी संस्थान में कर्मचारी हो या अधिकारी, आते-जाते रहेंगे लेकिन हमें बदलाव को स्वीकार करते हुए संस्थान के हित में सोचना चाहिए। प्रोसेस के तहत हमें वर्किंग टू गेदर (मिलकर काम करने की परंपरा) को अपना चाहिए जो हमारे डीएनए में है। कल्चर पर उन्होंने कहा कि 1956 के समझौते के तहत हमें अपने पूर्वजों से जो संस्कृति मिली है उसे युवाओं तक आगे बढ़ाने की जरूरत है। नरेंद्रन ने कैपेबिलिटी विषय पर जोर देते हुए कहा कि वैश्विक बाजार तेजी से बदल रहा है। ऑटो इंडस्ट्री में अगर बदलाव होंगे तो इसका असर हम पर भी होगा। हमें भविष्य में आने वाली चुनौतियों को चैलेंज के रूप में लेते हुए अभी से होने वाले बदलाव को आत्मसात करते हुए उस काम करें। उन्होंने कहा कि आज की युवा पीढ़ी बहुत फास्ट और टेक्नोलॉजी से लैस है। हमें इनके ऊर्जा का इस्तेमाल कंपनी की हित में करना है।

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देश में 5000 यूनियन, टीडब्ल्यूयू एकलौती 100 वर्ष पुरानी यूनियन

अपने संबोधन में विशिष्ठ अतिथि सह इंटक के प्रदेश अध्यक्ष राजेंद्र सिंह ने कहा कि देश में लगभग 5000 यूनियन हैं। लेकिन कोई भी यूनियन अब तक 100 वर्ष पूरे नहीं की है। उन्होंने बताया कि कोल वेज और एनजेसीएस से हटने के समय काफी विरोध हुआ। लेकिन आज उनकी आर्थिक स्थिति नाजुक है और टाटा स्टील के कारण हमारे कर्मचारियों को किसी तरह की परेशानी नहीं है। लेकिन विरोध के बीच हमने विषय परिस्थिति में वार्ता की। आज हमें शपथ लेना चाहिए कि हम टाटा स्टील को शिखर पर ले जाएंगे।

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इलेक्शन और सलेक्शन में है अंतर : रवि

समारोह को संबोधित करते हुए टाटा वर्कर्स यूनियन अध्यक्ष आर रवि प्रसाद ने कहा कि कई मौकों पर प्रबंधन के साथ बंद कमरे में हमारा काफी विरोध होता है। लेकिन प्रबंधन को इलेक्शन से चुनकर आने वाले और सलेक्शन से पद पर बैठने वालों की स्थिति को समझना होगा। हमें एक-दूसरे की मजबूरी को समझना होगा। उन्होंने कहा कि देश में टाटा वर्कर्स यूनियन एकमात्र ऐसी यूनियन जो अपनी स्थापना के 99 वर्ष पूरे कर 100 वर्ष में कदम रख रही है। पूरे शताब्दी में कई कार्यक्रम होंगे। इस यूनियन को आगे बढ़ाने में कई स्वतंत्रता सेनानी, कंपनी चेयरमैन और एमडी ने सहयोग दिया। अध्यक्ष ने मंच से सभी पूर्व अध्यक्षों व पूर्व महासचिवों को भी धन्यवाद दिया जिनकी मेहनत से यूनियन इस मुकाम पर है। उन्होंने बताया कि यूनियन के प्रयास के कारण 1928 के बाद से टाटा स्टील में कोई हड़ताल नहीं हुआ है लेकिन समय के साथ चुनौतियां भी बदलती रहती है।

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यूनियन के समक्ष है कई चुनौतियां

अपने संबोधन में महासचिव सतीश कुमार सिंह ने यूनियन के सौ वर्षो के इतिहास की जानकारी दी। साथ ही कहा कि हमारे साथ कर्मचारियों के हितों को लेकर कई चुनौतियां हैं क्योंकि हम स्टील ही नहीं कर्मचारियों के चेहरे पर खुशी भी प्रदान करते हैं। उन्होंने एनएस ग्रेड कर्मचारियों के हितों की रक्षा करने पर जोर दिया। वहीं, उन्होंने कहा कि डिजिटल व‌र्ल्ड के बदलते परिवेश में अपनी कार्यशैली में बदलाव लाना, कर्मचारियों में यूनियन के प्रति विश्वास और आस्था को बरकरार रखना और आज के परिवेश में कंपनी के शीर्ष नेतृत्व का यूनियन के प्रति सकारात्मक और अपनेपन की विचारधारा को प्रबंधक के हर स्तर तक पहुंचाना सबसे बड़ी चुनौती माना।

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समारोह में ये रहे उपस्थित

रूचि नरेंद्रन, टाटा स्टील के वाइस प्रेसिडेंट चाणक्य चौधरी, सुधांशु पाठक, राजीव कुमार, संजीव पॉल, पीइओ बीडी सुंदररमन, चीफ एचआरएम स्टील संदीप धीर, ग्रुप चीफ आइआर जुबिन पालिया, टिनप्लेट एमडी आरएन मूर्ति, जुस्को एमडी तरूण डागा, आइएसडब्ल्यूपी के एमडी नीरजकांत, टाटा वर्कर्स यूनियन के पूर्व अध्यक्ष आरबीबी सिंह, रघुनाथ पांडेय, पूर्व महासचिव एसएन सिंह, बीके डिंडा, संजीव चौधरी, इंटक के राष्ट्रीय सचिव राकेश्वर पांडेय, कंपनी के पूर्व डिप्टी एमडी डॉ. टी मुखर्जी, पूर्व वाइस प्रेसिडेंट एएन मिश्रा सहित विभिन्न यूनियन के प्रतिनिधि उपस्थित थे।

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अविज्ञान-2 की है जरूरत

समारोह का संचालन करते हुए माइकल जॉन लेक्चरर के चेयरमैन जयदेव उपाध्याय ने टाटा स्टील द्वारा संचालित अविज्ञान-2 की जानकारी दी। बताया कि हमें अपनी परंपरा और इतिहास को आज की युवा पीढ़ी तक पहुंचाने के लिए इस एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम की शुरूआत की है ताकि इंडस्ट्रियल रिलेशंस मजबूत हो।


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