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सीबीआइ के खौफ से एनएच का टेंडर नहीं डाल रही कंपनियां

राष्ट्रीय राजमार्ग-33 (एनएच-33) पर फोरलेन के बचे हुए काम के लिए अब तक एक भी टेंडर नहीं पड़ा है।

By Edited By: Published: Mon, 12 Nov 2018 09:18 PM (IST)Updated: Tue, 13 Nov 2018 12:59 PM (IST)
सीबीआइ के खौफ से एनएच का टेंडर नहीं डाल रही कंपनियां
सीबीआइ के खौफ से एनएच का टेंडर नहीं डाल रही कंपनियां

मुजतबा हैदर रिजवी, जमशेदपुर। रांची-महुलिया राष्ट्रीय राजमार्ग-33 (एनएच-33) पर फोरलेन के बचे हुए काम के लिए अब तक एक भी टेंडर नहीं पड़ा है। भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआइ) ने इसके लिए 25 सितंबर को टेंडर निकाला था। माना जा रहा है कि कंपनियां सीबीआइ के खौफ से एनएच 33 पर टेंडर नहीं डाल रही हैं। एनएच 33 के जमशेदपुर के करीब 44 किलोमीटर लंबे चिलगू से महुलिया खंड का टेंडर नौ नवंबर को ही खुलना था। लेकिन, कंपनियों के नहीं आने की वजह से एनएचएआइ को इसकी तारीख बढ़ानी पड़ी है।

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अब एनएचएआइ ने चिलगू-महुलिया खंड के फोरलेन के निर्माण के लिए टेंडर खुलने की तारीख 22 नवंबर तक बढ़ा दी है। सीबीआइ एनएच 33 के 2012 से फरवरी 2018 तक हुए फोरलेन निर्माण में हुई धांधली की जांच कर रही है। इसके अलावा, हाईकोर्ट में भी केस चल रहा है। एनएचएआइ के सूत्रों की मानें तो इसी वजह से एनएच 33 के टेंडर में कोई कंपनी हाथ नहीं डालना चाहती। कंपनियों को इस बात का डर है कि कब कहां से क्या आदेश हो जाए। कहीं उनका पैसा फंस न जाए। एनएचएआइ के अधिकारियों का कहना है कि अगर टेंडर नहीं डाले गए तो सभी खंड के टेंडर खुलने की आखिरी तारीख बढ़ाई जाएगी।

कंपनियों से भी चल रही बात
एनएच 33 के फोरलेन के काम का टेंडर सकुशल संपन्न कराने के लिए एनएचएआइ के अधिकारी जोर-आजमाइश में लग गए हैं। आला अधिकारी एनएच पर काम करने वाली कंपनियों से संपर्क में हैं। उन्हें समझाया जा रहा है कि सीबीआइ जांच का एनएच के बचे हुए फोरलेन के काम पर कोई असर नहीं पड़ेगा। सूत्र बताते हैं कि फिर भी कंपनियां किसी तरह का खतरा मोल लेने को तैयार नहीं हो रही हैं।

408 करोड़ की धांधली की सीबीआइ कर रही जांच
एनएच 33 के फोरलेन निर्माण में पूर्व में हुई धांधली की जांच सीबीआइ कर रही है। 2010 में एनएच 33 के फोरलेन निर्माण का टेंडर लेने वाली कंपनी मधुकॉन प्रोजेक्टस लिमिटेड पर लगभग 408 करोड़ रुपये की हेराफेरी का आरोप है। एनएच चौड़ीकरण का टेंडर 2012 में मधुकॉन कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड को 1479 करोड़ रुपये में मिला था। कंपनी ने चार दिसंबर 2012 को काम शुरू किया। रांची से महुलिया तक 163.500 किमी लंबे एनएच 33 में से पांच साल में मधुकॉन ने महज 63 किमी सड़क को चौड़ा किया।

कंपनी ने हैदराबाद की केनरा बैंक शाखा से 1054 करोड़ रुपये लोन लिए थे। कंपनी का दावा है कि उसने एनएच 33 को फोरलेन बनाने में 919 करोड़ रुपये खर्च दिए। हाई कोर्ट के आदेश पर केंद्रीय एजेंसी स्पेशल फ्राड इंवेस्टिगेशन आर्गनाइजेशन ने जांच की तो 408 करोड़ रुपये की अनियमितता सामने आई। ये रकम कंपनी ने कहीं और खर्च कर दी है। अब अंतिम जांच सीबीआइ कर रही है।

कंपनियों के नहीं आने की वजह से एनएच 33 के फोरलेन के निर्माण में टेंडर डालने की अंतिम तारीख बढ़ा दी गई है। अब 22 नवंबर को टेंडर खोला जाएगा।
-बीके ठाकुर, महाप्रबंधक एनएचएआइ।

जानें, कब खुलेगा कहां का टेंडर
- खंड- रांची बाईपास
किमी - 113.770 से 140 किमी तक
लागत - 413 करोड़ 70 लाख रुपये
कब खुलेगा- 20 नवंबर

- खंड - रांची-रड़गांव
किमी - 140.00 से 217.300 किमी तक
लागत - 393 करोड़ 14 लाख रुपये
कब खुलेगा : 27 नवंबर

- खंड - चिलगू से महुलिया
किमी - 233.350 से 277.568 तक
लागत : 391 करोड़ 87 लाख रुपये
कब खुलेगा : 22 नवंबर


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