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Jharkhand Assembly Election 2019 : सिर्फ बिल्‍ड‍िग बनाने से विकास थोड़े होता है Chunavi chaupal

Jharkhand Assembly Election 2019. बहरागोड़ा में ट्रामा सेंटर तो बना दिया लेकिन वहां ओपीडी के अलावा कोई सुविधा नहीं है। सड़कों की हालत भी यहां खराब है।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Tue, 12 Nov 2019 12:48 PM (IST)Updated: Tue, 12 Nov 2019 12:48 PM (IST)
Jharkhand Assembly Election 2019 : सिर्फ बिल्‍ड‍िग बनाने से विकास थोड़े होता है Chunavi chaupal
Jharkhand Assembly Election 2019 : सिर्फ बिल्‍ड‍िग बनाने से विकास थोड़े होता है Chunavi chaupal

बहरागोड़ा (पूर्वी सिंहभूम), पंकज मिश्रा/पार्थो परिड़ा। दिन-सोमवार, समय दोपहर 12 बजे। स्थान, बहरागोड़ा का बालक मध्य विद्यालय मैदान। मैदान के दक्षिणी कोने में स्थित नीम के पेड़ के नीचे चुनावी चौपाल लगी हुई है। लोग आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर चर्चा करने में मशगूल है। इसी बीच दैनिक जागरण की टीम वहां पहुंचती है। लोग कौतूहल वश हमारी ओर मुखातिब होते हैं।

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चुनावी गपशप धीरे-धीरे धीरे परवान चढऩे लगती है। इस बार के चुनाव में यहां मुख्य मुद्दा क्या होगा, यह सवाल उछाले जाने पर जितेंद्र नाथ पैड़ा कहते हैं सबसे जरूरी मुद्दा यहां विकास है। लेकिन सिर्फ बिङ्क्षल्डग बनाने से विकास थोड़ी होता है। हमें वास्तविक विकास चाहिए। यानी अस्पताल में डॉक्टर चाहिए, विद्यालय में शिक्षक चाहिए। बेहतर सड़क, बिजली, पानी और ङ्क्षसचाई की सुविधा चाहिए। इसी बीच उनके बगल में बैठे तापस महापात्रा बोल उठते हैं बहरागोड़ा में ट्रामा सेंटर तो बना दिया लेकिन वहां ओपीडी के अलावा कोई सुविधा नहीं है। सड़कों की हालत भी यहां खराब है। बहरागोड़ा कृषि प्रधान इलाका है, लेकिन यहां ङ्क्षसचाई की बेहतर व्यवस्था नहीं है। नहर के निर्माण से किसानों को कम और ठेकेदारों को अधिक फायदा हुआ है। नहर से ङ्क्षसचाई हो या ना हो लोग डूब कर मर जरूर रहे हैं।

इलाज के लिए जाना पड़ता पड़ोसी राज्‍य

तभी आभाष चंद्र महापात्र कहते हैं बीते 5 साल में विकास के नाम पर सिर्फ बिङ्क्षल्डग बना है और पीसीसी ढलाई हुआ है। काफी देर से चुप बैठे कमल ङ्क्षसह अचानक बोल उठते हैं- आज भी बहरागोड़ा के लोगों को इलाज के लिए उड़ीसा एवं बंगाल की शरण में जाना पड़ता है। यह कैसा विकास है? अशोक बारिक कहते हैं कि चुनाव में राम मंदिर या 370 का कोई असर नहीं पड़ेगा। हमें तो स्थानीय समस्याओं का समाधान चाहिए। झारखंड आंदोलनकारियों को पेंशन मिलना चाहिए। मृगांक शेखर बेरा बेहतर शैक्षणिक व्यवस्था की जरूरत बताते हैं तो आशीष कुमार मिश्रा बीते 3 वर्षों से बदहाल खंडामौदा बाघाकुली सड़क निर्माण का मुद्दा उठाते हैं। बलराम पांडेय वृद्धावस्था पेंशन की खामियों को गिनाते हैं। आखिरकार यही तय होता है कि इस बार वोट किसी पार्टी या व्यक्ति विशेष को ना देकर उसे दिया जाएगा जो क्षेत्र के वास्तविक विकास का भरोसा दे पाएगा। 


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