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Tata Steel : टाटा स्टील के एमडी टीवी नरेंद्रन बोले-इस सेक्टर में अब लद गए चीन के दिन, दिखाने लगा पीठ

Tata Steel टाटा स्टील के प्रबंध निदेशक (मैनेजिंग डायरेक्टर) टीवी नरेंद्रन ने चीन को लेकर बड़ी बात कही है। उनका कहना है कि अब चीन की आक्रामक मार्केटिंग गले की हड्डी बनती जा रही है। स्टील सेक्टर में ड्रैगन का एकाधिकार खत्म हो रहा है। जानिए कैसे...

By Jitendra SinghEdited By: Published: Wed, 06 Oct 2021 09:15 AM (IST)Updated: Wed, 06 Oct 2021 06:05 PM (IST)
Tata Steel : टाटा स्टील के एमडी टीवी नरेंद्रन बोले-इस सेक्टर में अब लद गए चीन के दिन, दिखाने लगा पीठ
टाटा स्टील के एमडी टीवी नरेंद्रन बोले-इस सेक्टर में अब लद गए चीन के दिन, दिखाने लगा पीठ

जमशेदपुर : वैश्विक स्तर पर लगभग दो दशक से वैश्विक स्तर पर स्टील उत्पादन के मामले में चीन का एकाधिकार रहा है। चीन अधिकतर कई देशों से कच्चा माल आयात करता है और वैश्विक स्तर पर तैयार स्टील को डंप करता है। चीन में उत्पादन लागत भी काफी कम है। ऐसे में स्टील केवल दूसरे देशों को प्रभावित करने के लिए स्टील की कीमतों पर लगाम लगाकर रखता था। इसका असर भारत पर भी पड़ता था। वैश्विक बाजार में चीन जब सस्ता स्टील बेचता है तो प्रतियोगी दूसरी कंपनियों को भी सस्ती स्टील बेचना मजबूरी होती है लेकिन अब वैश्विक स्तर पर स्टील निर्यात में चीन का एकाधिकार खत्म होने वाला है।

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आक्रामक तरीके से चीन नहीं कर पाएगा स्टील का निर्यात

टाटा स्टील के सीईओ सह एमडी टीवी नरेंद्रन का कहना है कि दुनिया भर में स्टील की कीमतों में आई उछाल को देखते हुए हम देखते हैं कि चीन ने स्टील के अधिक उत्पादन को लेकर अब पीठ दिखा दी है। यदि चीन अपने उत्पादन में कटौती करता है तो उसका निर्यात कम होगा और इससे वैश्विक बाजार में भी स्टील की कीमतों में स्थिरता आएगी। साथ ही वैश्विक स्तर पर स्टील का फ्लो को बाधित करने की चीन की क्षमता में भी कमी आएगी।

वैश्विक स्तर पर गिर रही है चीन की हिस्सेदारी

अब तक वैश्विक स्तर पर चीन स्टील उत्पादन के मामले में जबदस्त हिस्सेदारी थी लेकिन चीन की अर्थव्यवस्था में आई गिरावट के बाद इस क्षेत्र में उसका एकाधिकार कम हुआ है।

टीवी नरेंद्रन का कहना है कि वैश्विक स्तर पर पिछले कुछ वर्षो में चीन की हिस्सेदारी में काफी कमी आई है। स्टील की अधिकतर डिमांड विकसित देशों से आ रही है। भारत स्टील का एक अच्छा और बड़ा निर्यातक है और वैश्विक स्तर पर भारत व रूस दुनिया के सबसे कम लागत वाले उत्पादक देश हैं। टीवी नरेंद्रन का कहना है कि स्टील निर्यातक देश अपने निर्यात को कम कर रहे हैं और ऐसे में भारत के पास इस अंतर को पाटने का सुनहरा अवसर है। ऐसे में भारत में स्टील उद्योग के क्षेत्र में भविष्य बेहद सकारात्मक है।

स्टील उत्पादन में दिख रहा है बेहतर संतुलन

टीवी नरेंद्रन का मानना है कि हाल के दिनों में स्टील उद्योग में बेहतर संतुलन दिख रहा है। किसी भी बुनियादी ढ़ांचे में स्टील की इस्तेमाल होना स्वभाविक है। वैश्विक स्तर पर भी स्टील की कीमतों में आई उछाल के बावजूद मांग बढ़ा है। वर्तमान में केंद्र सरकार इंफ्रास्ट्रक्चर पर फोकस कर रही है जिससे देश में स्टील की खपत निकट भविश्य में और बढ़ेगी।

उम्मीद है कि स्टील की खपत जीडीपी के विकास दर भी आगे बढ़ती जाएगी। हमें लगता है कि देश में कोयला आधारित डीआरआई की लाइफ भी सीमित है। हमें उम्मीद है कि जैसे-जैसे हम ग्रीन फ्यूचर की ओर बढ़ेंगे। स्टील उद्योग में और भी कई बदलाव आएंगे।


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