बच्चों को नहीं मिल रहा टीका, दर-दर भटक रहे माता-पिता Jamshedpur News
पूर्वी सिंहभूम जिले में कोरोना की वजह से टीकाकरण अभियान प्रभावित हो रहा है। अधिकांश स्वास्थ्य केंद्रों पर तैनात डॉक्टर एएनएम सहिया सहित अन्य स्वास्थ्य कर्मी संक्रमित हुए हैं।
जमशेदपुर, जासं। कोई पांच माह से टीका नहीं लिया है तो कोई चार माह से। शनिवार को एक दर्जन माता-पिता अपने-अपने बच्चों को टीकाकरण दिलाने के लिए मानगो स्थित शहरी स्वास्थ्य केंद्र पहुंचे थे। लेकिन, वहां कोई डॉक्टर मौजूद नहीं था। सिर्फ दो महिला कर्मचारी तैनात थी, जिन्हें टीकाकरण से संबंधित कोई जानकारी नहीं थी। सुबह 11.15 बजे तक केंद्र पर कोई डॉक्टर नहीं पहुंचा था। कर्मचारियों ने कहा कि डॉ. स्मिता की ड्यूटी है।नतीजा हुआ कि कोई वापस घर लौट गया तो कोई महात्मा गांधी मेमोरियल (एमजीएम) मेडिकल कॉलेज अस्पताल या साकची स्थित रेड क्रास भवन स्थित निजी वैक्सीन सेंटर गया।
मानगो डिमना रोड निवासी पप्पू सिंह अपनी बच्ची को जन्म के छह माह बाद टीका दिलाने पहुंचे थे। छह हफ्ते पर पड़ने वाले टीका डीपीटी-1, इनएक्टिवेटिड पोलियो वैक्सीन (आइपीवी-1), ओरल पोलियो वैक्सीन (ओपीवी-1), रोटावायरस-1, न्यूमोकॉकल कॉन्जुगेट वैक्सीन (पीसीवी-1) नहीं ले सके हैं। यह डोज छूट गया है जिसे लेकर वह काफी चितिंत दिख रहे थे। पप्पू सिंह ने बताया कि कोरोना की वजह से बच्चों को टीका नहीं दिला सका। अब क्या पता काम करेगा या नहीं। इसी तरह के तमाम सवाल दूसरे लोगों के मन में भी घूम रहा था।
कोरोना की वजह से टीकाकरण हो रहा प्रभावित
पूर्वी सिंहभूम जिले में कोरोना की वजह से टीकाकरण अभियान प्रभावित हो रहा है। अधिकांश स्वास्थ्य केंद्रों पर तैनात डॉक्टर, एएनएम, सहिया सहित अन्य स्वास्थ्य कर्मी संक्रमित हुए हैं। ठीक होने के बाद वह फिर से काम पर लौट रहे हैं। तब तक बच्चों को टीका सहित अन्य चिकित्सा सही ढंग से नहीं मिल पा रहा है। वहीं, कोरोना वायरस को लेकर बीच-बीच में चलने वाले विशेष अभियान में भी एएनएम नर्स व सहियाओं को लगा दिया जाता है। जिसके कारण भी टीकाकरण अभियान प्रभावित हुआ है। अभी हाल में 9 से 11 सितंबर तक सभी एएनएम, लैब टेक्नीशियन को जांच में लगा दिया गया था। जिसके कारण ओपीडी, टीकाकरण सहित अन्य कार्यक्रम प्रभावित हुआ। वहीं कंटेनमेंट जोन के क्षेत्रों में टीकाकरण पूरी तरह से बंद कर दिया गया है।
क्यों जरूरी है टीका
किसी बीमारी के खिलाफ बच्चे के शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित करने के लिए उसे वैक्सीन दी जाती है। नवजात शिशु का शरीर वातावरण में मौजूद वायरस, बैक्टीरिया के हमले से अनजान होता है। ऐसे में बच्चे में कुछ खतरनाक बीमारियों के खिलाफ रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित की जाती है। ताकि उस वायरस का हमला होने पर बच्चे का शरीर उससे लड़ सके।
कोरोना से ज्यादा खतरा, टीका को किया जा सकता समायोजित
टीका नहीं मिलने से घबराने की जरूरत नहीं है। रोटा वायरस को छोड़ बाकी सभी टीका को अगले छह से एक साल के अंदर समाजोयित किया जा सकता है। लेकिन, अगर एक बार कोरोना हो जाए तो उससे बच्चे के साथ-साथ उनके माता-पिता को भी खतरा है। इसलिए पहले कोरोना से जान बचाना है। इसके बाद ही टीका जरूरी है। कोरोना होने से जान जा सकती है लेकिन टीका नहीं मिलने से मौत नहीं होती। हमलोग को शारीरिक दूरी का ख्याल भी रखना है। बाहर से आने वाले वैक्सीन कई हाथों से होकर भी गुजरते हैं, जिससे संक्रमण फैलने का खतरा अधिक बना रहता है।
- डॉ. शुभोजित बनर्जी, शिशु रोग विभागाध्यक्ष, मर्सी अस्पताल।
बच्चों को पड़ने वाली टीका
- जन्म पर : बीसीजी, ओरल पोलियो वैक्सीन (ओपीवी-0) और हैपेटाइटिस-बी
- छह हफ्ते पर : डीपीटी-1, इनएक्टिवेटिड पोलियो वैक्सीन (आइपीवी-1), ओरल पोलियो वैक्सीन (ओपीवी-1), रोटावायरस-1, न्यूमोकॉकल कॉन्जुगेट वैक्सीन (पीसीवी-1)
- 10 हफ्तों पर : डीपीटी-2, ओपीवी-2, रोटावायरस-2
- 14 हफ्ते पर : डीपीटी-3, ओपीवी-3, रोटावायरस-3, आइपीवी-2,पीसीवी-2
- 9-12 महीनों पर : खसरा और रूबेला-1
- 16-24 महीनों पर : खसरा-2, डीपीटी बूस्टर-1, ओपीवी बूस्टर- 5-6 साल : डीपीटी बूस्टर-2
- 10 साल : टेटनस टोक्सॉइड