मैं हाथ जोड़ती हूं, मुझे बार-बार मत रुलाइए
सरायकेला-खरसावां जिला स्थित बीरबांस (गम्हरिया) निवासी छुटनी महतो को अंधविश्वास उन्मूलन के लिए पद्मश्री के लिए नामित किया गया है। इसी संदर्भ में वह जमशेदपुर के सोनारी स्थित फ्लैक (फ्री लीगल एड कमेटी) कार्यालय आई थीं जहां उन्हें फ्लैक की ओर से सम्मानित किया गया।
जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : सरायकेला-खरसावां जिला स्थित बीरबांस (गम्हरिया) निवासी छुटनी महतो को अंधविश्वास उन्मूलन के लिए पद्मश्री के लिए नामित किया गया है। इसी संदर्भ में वह जमशेदपुर के सोनारी स्थित फ्लैक (फ्री लीगल एड कमेटी) कार्यालय आई थीं, जहां उन्हें फ्लैक की ओर से सम्मानित किया गया।
इस दौरान अलग-अलग पत्रकार उससे पुरानी कहानी दोहराने को कह रहे थे। इस पर तंग आकर छुटनी ने कहा, देखिए मैं आपलोगों को हाथ जोड़ती हूं, मुझे बार-बार मत रुलाइए। मैं अब उस दिन को याद नहीं करना चाहती। मैंने अपने जीवन का यही लक्ष्य बना लिया है कि जो मेरे साथ हुआ, वैसा अब किसी के साथ नहीं हो।
इसके बावजूद वह कहती है, मुझे डायन कहकर प्रताड़ित किया गया। मेरे साथ वैसा व्यवहार किया गया, जैसा जानवर के साथ भी कोई नहीं करता। ससुराल (मतलाडीह, आदित्यपुर) से भागकर मैं मायके (बीरबांस, गम्हरिया) चली गई। वहां भी आठ माह तक चार बच्चों को लेकर पेड़ के नीचे रही। इसी बीच फ्लैक के लोग मेरी मदद के लिए आगे आए। मेरे भाई ने गांव में ही एक एकड़ जमीन और घर बनाने के लिए दस हजार रुपये दिया। आज भी मैं फ्लैक की कार्यसमिति सदस्य हूं। इस बीच आशा संस्था के लोग भी डायन प्रथा उन्मूलन में मेरे साथ जुडे़। जो भी मेरे अभियान में जुड़ना चाहता है, मना नहीं करती हूं। मैं तो चाहती हूं कि सभी लोग जादू-टोना और ओझा-गुनी के खिलाफ आगे आएं। सरकार भी ओझा-गुनी को पकड़-पकड़कर जेल में डाले, तभी यह अंधविश्वास समाप्त होगा।
आर्थिक सहयोग की बात पर छुटनी ने बताया कि मेरा भाई मुझे शुरू से अब तक सहयोग कर रहा है। इसके अलावा किसी से आर्थिक सहयोग नहीं मिला। इस मौके पर फ्लैक के चेयरमैन प्रेमचंद व मानवाधिकार कार्यकर्ता जवाहरलाल शर्मा व गौतम गोप भी मौजूद थे।