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Chhath Puja 2020: छठ को लेकर अस्ताचलगामी सूूर्य को अर्घ्य आज

शुक्रवार को कार्तिक शुक्ल की षष्ठी है। पूरे दिन छठव्रतियों के घरों में सुबह से छठ का प्रसाद बनाना शुरू है। अपराह्न होते-होते छठ व्रती घाटों के लिए प्रस्थान करने लगेंगे। शाम होते शहर के तालाब नदी झील व अन्य जगहों पर बनाए गए घाट...

By Ankit DubeyEdited By: Published: Fri, 20 Nov 2020 09:43 AM (IST)Updated: Fri, 20 Nov 2020 10:22 AM (IST)
Chhath Puja 2020: छठ को लेकर अस्ताचलगामी सूूर्य को अर्घ्य आज
छठ को लेकर अस्ताचलगामी सूूर्य को अर्घ्य आज। जागरण

जमशेदपुर (जागरण संवाददाता) । शुक्रवार को कार्तिक शुक्ल की षष्ठी है। पूरे दिन छठव्रतियों के घरों में सुबह से छठ का प्रसाद बनाना शुरू है। अपराह्न होते-होते छठ व्रती घाटों के लिए प्रस्थान करने लगेंगे। शाम होते शहर के तालाब, नदी, झील व अन्य जगहों पर बनाए गए घाट छठ व्रतियों से रौनक में बदल जाएगी। व्रती पानी में उतर कर हाथ जोड़कर खड़ा रहेंगी। इसके बाद व्रती सूप के साथ पानी में पांच बार परिक्रमा कर अर्घ्य देंगी।सुख-समृद्धि की कामना करते हुए पहला अर्घ्य समाप्त होगा।आज सूर्यास्त का समय  शाम 05.01 पर होगा।

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उदीयमान सूर्य को श्रद्धालु देंगे कल अर्घ्य

शनिवार की सुबह यानी कार्तिक शुक्ल सप्तमी के दिन व्रती तड़के घाट पर इकट्ठा होकर सामूिहक रुप से उदीयमान भगवान भुवन भाष्कर को सुबह सूर्योदय 6.01 बजे के बाद अर्घ्य देंगी। बाद में व्रती पारण करेंगी। इसके साथ ही आस्था के इस चार दिवसीय महापर्व का समापन हो जाएगा।

खरना प्रसाद ग्रहण के साथ ही 36 घंटे का निर्जला व्रत है शुरु

सूर्योपासना का महापर्व छठ के दूसरे दिन गुरूवार को व्रतियों ने दिनभर उपवास सह कर खरना पर पूजा अर्चना की और शाम को भगवान भाष्कर व छठ मईया की आराधना कर रोटी-खीर (रसियाव) का सेवन किया. कार्तिक शुक्ल पंचमी को खरना का विशेष महत्व है. इसके साथ ही 36 घंटे तक चलने वाला निर्जला व्रत शुरु हो गया है. शुक्रवार को छठ के तीसरे दिन व्रती अस्ताचलगामी सूर्य को शहर के विभिन्न घाटों पर अर्घ्य अर्पित करेंगी, जबिक चौथे दिन शनिवार की सुबह उदीयमान भगवान भाष्कर को अर्घ्य देंगी। इसी के साथ चार दिवसीय लोक आस्था का महापर्व का समापन हो जाएगा। कोरोना काल में पहली बार छठ होने जा रहा है.

खरना प्रसाद का है महत्व, परिचितों ने किया ग्रहण

छठ पर्व में खरना का विशेष महत्व है। गुरुवार को पूरी शुद्धता और सफाई के साथ घरों में मिट्टी के चूल्हे पर आम की लकड़ी व गोइठा जलाकर खीर और रोटियां बनाई गई। गाय का दूध, चावल व गुड़ मिलाकर रसिआव (खीर) बनाया गया. इसके बाद भगवान भाष्कर को भोग लगाया गया. शाम को लगाये भोग के बाद व्रतियों ने प्रसाद ग्रहण किया। इसके बाद घर परिवार के साथ ही आस-पड़ोस व परिचय के लोगों ने प्रसाद ग्रहण किया। व्रतियों ने छठ मईया से परिवार के सुख, समृिद्ध व स्वास्थ्य की कामना करते हुए आर्शिवाद मांगा।


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