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साकची में चेहलम का जुलूस, अजादारों ने किया मातम

हुसैनी मिशन और हुसैनी वेलफेयर मिशन के इमामबाड़े में मजलिस के बाद निकले जुलूस साकची गोलचक्कर तक गए।

By JagranEdited By: Published: Sun, 20 Oct 2019 07:30 AM (IST)Updated: Sun, 20 Oct 2019 07:30 AM (IST)
साकची में चेहलम का जुलूस, अजादारों ने किया मातम
साकची में चेहलम का जुलूस, अजादारों ने किया मातम

जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : शहर में हजरत मोहम्मद मुस्तफा स. के नवासे इमाम हुसैन अ. के चेहलम के मौके पर साकची में मजलिस के बाद मातमी जुलूस निकले। हुसैनी मिशन और हुसैनी वेलफेयर मिशन के इमामबाड़े में मजलिस के बाद निकले जुलूस साकची गोलचक्कर तक गए। इस दौरान अजादारों ने नौहाखानी और सीनाजनी की।

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हुसैनी मिशन के साकची स्थित इमामबाड़े में मौलाना सादिक अली ने मजलिस पढ़ी। मजलिस में उन्होंने इमाम हुसैन अ. की फजीलत के बारे में लोगों को बताया। उन्होंने पढ़ा कि इमाम हुसैन को अल्लाह ने इमाम हसन अ. के बाद तीसरा इमाम बनाया। वो अहलेबैत हैं जिनकी मोहब्बत अल्लाह ने कुरआन पाक में जरूरी करार दी है। हदीसों के हवाले से उन्होंने पढ़ा कि एक बार हजरत मोहम्मद मुस्तफा स. मस्जिद नबवी में नमाज पढ़ रहे थे। वो सजदे में थे। तभी इमाम हुसैन घर से निकले और हुजूर पाक की पीठ पर सवार हो गए। अल्लाह ने जिब्रील अ. के जरिए अपने नबी स. को पैगाम भेजा कि वो तब तक सजदे से सर नहीं उठाएं जब तक इमाम हुसैन अ. खुद उनकी पीठ से नहीं उतर जाते। इमाम हुसैन अ. ने अपने नाना की उम्मत को बख्शवाने के लिए और नाना की दीन बचाने के लिए कर्बला में अपनी जान कुर्बान कर दी। मजलिस में कर्बला में इमाम हुसैन अ. पर पड़ी मुसीबतों के बारे में बताया। उन्होंने पढ़ा कि कर्बला के वाकये के बाद यजीद ने इमाम हुसैन अ. के घर की महिलाओं और बच्चों को कैद कर लिया था। एक साल तक उन्हें कैद रखा और इसके बाद रिहा किया। इमाम हुसैन की चार साल की एक बच्ची ने सबसे ज्यादा मुसीबत झेली। यजीदियों ने इस बच्ची पर इसलिए जुल्म किए क्योंकि इमाम हुसैन अपनी इस बच्ची को बेहद चाहते थे। इस बच्ची के कानों से बालियां नोंच कर छीन ली गई जिससे इनके कान जख्मी हो गए। कर्बला के बाद ये बच्ची पानी मांगती रही लेकिन, उसे पानी नहीं मिला। हुसैनी मिशन के अध्यक्ष एसआरए रिजवी उर्फ छब्बन ने बताया कि मजलिस के बाद मातमी जुलूस निकला। ये जुलूस साकची गोलचक्कर तक गया। जुलूस में खुर्शीद महदी, जीशान, रेहान, शाकिर आदि ने नौहा पढ़ा।

दूसरी तरफ, हुसैनी वेलफेयर मिशन के इमामबाड़े में हुई मजलिस में भी इमाम हुसैन की फजीलत पर रोशनी डाली गई। उनके मसायब पढ़े गए। इसके बाद निकले मातमी जुलूस में नौहा पढ़ा गया। मिशन के अध्यक्ष मोहम्मद हैदर ने बताया कि नौहा आशकार नकवी, राशिद रिजवी आदि ने पढ़ा। मातमी जुलूस साकची गोलचक्कर पर आकर खत्म हुआ।

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इमाम हुसैन हिदायत के चिराग हैं

इमाम हुसैन अ. के चेहलम के हवाले से मानगो के जाकिर नगर स्थित इमामबारगाह हजरत अबूतालिब अ. में मौलाना जुल्फेकार हैदर ने मजलिस पढ़ी। मजलिस के बाद नौहाखानी और सीनाजनी हुई।


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