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Corona ke saath Bhi- corona Ke Baad Bhi : बदल रहा जमाना, ऑनलाइन की पटरी पर फर्राटेदार परवाज भरेगी शिक्षा

Coronavirus Lockdown Effect. कोरोना के कारण लॉकडाउन ने सूरत तो बदल दी है अब भविष्य में कई सुधार और बदलाव होंगे। ऐसे में जमाना ऑनलाइन का दिख रहा है।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Tue, 28 Apr 2020 12:47 PM (IST)Updated: Tue, 28 Apr 2020 12:47 PM (IST)
Corona ke saath Bhi- corona Ke Baad Bhi : बदल रहा जमाना, ऑनलाइन की पटरी पर फर्राटेदार परवाज भरेगी शिक्षा
Corona ke saath Bhi- corona Ke Baad Bhi : बदल रहा जमाना, ऑनलाइन की पटरी पर फर्राटेदार परवाज भरेगी शिक्षा

जमशेदपुर, वेंकटेश्वर राव। Coronavirus Lockdown Effect आठवीं कक्षा में पढ़ने वाली अंजना और सातवीं कक्षा के सौरभ तिवारी की दिनचर्या इन दिनों बदल गई है। लॉकडाउन में स्कूल भले ही बंद है, लेकिन ऑनलाइन कक्षाएं रोज चल रही हैं। सुबह उठते ही वाटसएप पर होमवर्क टपक पड़ता है। नाश्ते के बाद भाई-बहन लैपटाप ऑन करते हैं। मोबाइल से पीडीएफ फाइल लैपटाप में डाउनलोड करते हैं। फिर कॉपी खोलकर पढ़ाई में जुट जाते हैं। लौहनगरी में घर-घर इन दिनों यही हाल है।

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पढ़ाई करते समय अगर कहीं अटक जाते हैं तो वाटसएप ग्रुप में सवाल दागते हैं। शिक्षक इन सवालों का जवाब देते हैं। कुछ ऐसे भी स्टूडेंट हैं, जिनकी कक्षा जूम एप पर लगती है। शिक्षक पढ़ा रहे होते हैं और स्टूडेंट सुन कर उसे कापी में लिख रहे होते हैं। स्टूडेंट बीच-बीच में सवाल पूछते हैं तो जवाब भी मिलता है। लेकिन, कई बार नेटवर्क साथ नहीं देता, तब पढ़ाई का मजा किरकिरा हो जाता है। फिर बच्चे शिक्षक को फोन करते हैं। सौरभ के पिता हरिवंश कहते हैं कि इस व्यवस्था के सहज होने में अभी थोड़ा वक्त लगेगा। ऑनलाइन पढ़ाई बेहतर है, लेकिन कक्षा में उपस्थित होकर पढ़ने का मजा ही कुछ और है। स्टूडेंट को मुकम्मल स्कूली परिवेश मिलता है। उनका समुचित विकास होता है। लेकिन, अब भविष्य ऑनलाइन का ही है। धीरे-धीरे इसके लिए बच्चों को तैयार करना होगा। दो माह पूर्व तक किसी ने नहीं सोचा होगा कि सबकुछ इस कदर बदल जाएगा।

स्‍कूल ही नहीं, कॉलेज के विद्यार्थी भी कर रहे ऑनलाइन पढ़ाई

दरअसल, पूर्वी सिंहभूम जिले में सरकारी स्कूलों की बात करें तो 1584 हाईस्कूल व प्राइमरी स्कूल हैं। यहां पर हिंदी माध्यम से पढ़ाई होती है। इसी तरह एकमात्र सरकारी कोल्हान विश्वविद्यालय है। जबकि यहां दो निजी विश्वविद्यालय हैं। कॉलेजों की संख्या कोल्हान प्रमंडल में 45 है। सभी जगह इस समय ऑनलाइन पढ़ाई हो रही है। स्टूडेंट और शिक्षक की जुबान पर वाट्सएप और यू-ट्यूब के अलावा जूम एप छाया हुआ है। 50 फीसद स्कूली छात्र और 70 फीसद कालेज स्टूडेंटस ऑनलाइन पढ़ाई कर रहे हैं। हिंदी माध्यम से पढ़ने वाले सरकारी स्कूलों व कॉलेजों के स्टूडेंटस के लिए यह रोमांचक पहल है। लेकिन, नेटवर्क समस्या और मोबाइल फोन की उपलब्धता राह में रोड़ा है।

गांव में नेटवर्क की समस्‍या बन रही बाधक

सुदूर गांवों में अब भी नेटवर्क के लिए लोगों को पहाड़ पर जाना पड़ता है। हां, शहर में यह समस्या नहीं है। स्नातक पार्ट टू के अजीत कुमार कहते हैं कि यह आगाज तो अच्छा है, लेकिन इसे अंजाम तक पहुंचाने के लिए कई परेशानियों को दूर करना पड़ेगा। शिक्षक ऑनलाइन सामग्री तो मुहैया कराने लगे हैं, पर गांवों में नेटवर्क कमजोर होने से यूट्यूब नहीं खुलता है। भविष्य में जब नेटवर्क की समस्या दूर हो जाएगी तो ऑनलाइन की पटरी पर शिक्षा फर्राटेदार तरीके से परवाज भरेगी।

निजी स्‍कूल दिख रहे ज्‍यादा सक्रिय

कोरोना के कारण लॉकडाउन ने सूरत तो बदल दी है, अब भविष्य में कई सुधार और बदलाव होंगे। ऐसे में जमाना ऑनलाइन का दिख रहा है। उधर, निजी स्कूलों ने कई माध्यमों से ऑनलाइन पढ़ाई शुरू की है, पर संवाद की प्रक्रिया सहज नहीं हो पाई है। ऑनलाइन शिक्षा को लेकर शहर के निजी स्कूल ज्यादा सक्रिय दिख रहे हैं। पढ़ाई के साथ-साथ ऑनलाइन फीस वसूल रहे हैं। यहां निजी स्कूलों की फीस 1500 से लेकर 2500 रुपये प्रतिमाह है।

बदलाव को स्वीकार कर रहे शिक्षक, अभिवावक और स्टूडेंटस

टाटा वर्कर्स यूनियन हाई स्कूल कदमा की विज्ञान शिक्षिका शिप्रा मिश्र कहती हैं कि समय तेजी से बदल रहा है। ऐसे में धीरे धीरे बदलाव को अभिभावक और स्टूडेंटस स्वीकार करेंगे। अभी तक स्कूल जाने और कक्षा में ही बैठकर पढ़ने की आदत थी। शिक्षक, अभिभावक व स्टूडेंटस ऑनलाइन के लिए पूरी तरह से तैयार नहीं थे। अचानक नई व्यवस्था लागू होने से ऊहापोह है। लेकिन, तीन चार महीने में सभी अभ्यस्त हो जाएंगे।

अब यह कदम उठाना होगा

  •  ऑनलाइन पढ़ाई के कारण सरकारी स्कूलों को खुद की वेबसाइट बनानी होगी।
  • कॉलेज एवं स्कूल के शिक्षकों को अब टेक्नो फ्रेंडली होना होगा।
  •  स्मार्ट क्लास और वचुर्अल क्लास से पढ़ाई की आदत डालनी होगी।
  • सरकारी शैक्षणिक संस्थाओं के 30 प्रतिशत से अधिक छात्रों के पास अपना स्मार्ट फोन नहीं है।
  • सुदूर गांवों में नेटवर्क की समस्या यहां गंभीर है, इसे दूर करना होगा।

ये कहते शिक्षाविद्

हमने सोचा नहीं था कि इतनी जल्दी हमारे विवि के स्टूडेंटस ऑनलाइन क्लास को एडॉप्‍ट कर लेंगे। यह अच्‍छा अनुभव है। इसे आगे भी जारी रखने का प्रयास किया जाएगा। 

-डॉ शुक्‍ला माहांती, कुलपति, केयू।

सरकारी स्‍कूल के शिक्षकों ने यह कभी नहीं सोचा था कि इतनी जल्‍दी ऑनलाइन क्‍लास लेनी पड़ेगी। शैक्षणिक व्‍यवस्‍था में नया विकल्‍प आया है, इसे स्‍वीकारना होगा।

- शिवेंद्र कुमार, जिला शिक्षा अधीक्षक, पूर्वी सिंहभूम। 

ऑनलाइन क्‍लास के लिए हम पहले से ही पचास प्रतिशत तैयार थे। जिस तरह से नौकरी के लिए ऑनलाइन परीक्षा होती है, उसी तरह हर वर्ष ऑनलाइन परीक्षा के लिए प्रयास करना होगा।

-स्‍वर्णा मिश्रा, आइसीएससी स्‍कूल को-ऑर्डिनेटर, जमशेदपुर।  


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