Positive India : कोरोना के बाद बदली तस्वीर, साझा खेती कर लिख रहे अपनी तकदीर
प्रतिकूल हालात को अनुकूल बनाना कोई इनसे सीखे। कोरोना की वजह से पैदा हुए हालात से खुद को निकालकर जमशेदपुर के 12 किसान एकजुट होकर 40 एकड़ खेत में टमाटर उपजा रहे हैं। पहले जिंदगी मुश्किलों से कट रही थी लेकिन अब मुरझाए चेहरों पर लाली छाने लगी है।
जमशेदपुर, मनोज सिंह। हर किसी की जिंदगी में कोई न कोई टर्निंग प्वाइंट आता है। जमशेदपुर स्थित पटमदा के 12 किसानों के लिए कोरोना काल टर्निंग प्वाइंट बना। कोरोना काल से पूर्व ये किसान अपने-अपने खेतों में फसल उपजाते थे। जोत छोटी थी और आय बहुत सीमित। बहुत मुश्किलों से जिंदगी कट रही थी। कोरोना काल ने रही-सही कसर पूरी कर दी।
बाजार और गाड़ियों की रफ्तार थमी तो खेत की सब्जियां बिकनी बंद हो गईं। आर्थिक स्थिति बहुत खराब हो गई तो किसानों ने अपनी तकलीफ बांटी और बदलाव लाने के लिए कुछ नया करने की ठानी। माना कि टुकड़ों में खेती कर, पारंपरिक तरीके अपनाकर जिंदगी में बदलाव नहीं आ सकता। सो, तय किया कि सामूहिक खेती करेंगे। जमीन की जोत बढ़ाएंगे। अपनी और लीज पर ली जमीन पर खेती करना तय हुआ। 40 एकड़ में टमाटर की खेती शुरू की। बीज थाइलैंड से मंगवाए। नई तकनीक और उपकरण का भी इस्तेमाल शुरू किया। अब इनके लाल-लाल टमाटर बाजार में धूम मचा रहे हैं। पहले वाली बात नहीं रही, किसानों के मुरझाए चेहरों पर लाली छाने लगी है।
प्रति दिन छह टन टमाटर टूट रहे
बारह किसानों को एक साथ जोड़ने में किसान यदुनाथ गोराई व मधुसूदन गोराई का अहम योगदान रहा। यदुनाथ गोराई कहते हैं कि जब सामूहिक खेती पर सहमति बनी तो हमने पहले जांच-पड़ताल की कि क्या करना है, कैसे करना है। इंटरनेट आदि की मदद ली तो पता चला कि थाइलैंड में ऐसे टमाटर उगाए जाते हैं जिनमें कीड़े नहीं लगते, उत्पादन भरपूर होता है। थाइलैंड से टमाटर का बीज मंगवाए। करिश्मा, करीना, कुणाल, केशर, सूरज, प्रिया, 3681 किस्म के बीज मंगवाकर उनका बिचड़ा तैयार करते हैं और उन्हें खेतों में लगाते हैं। नवंबर से पहली फसल बाजार में जाने लगी है। वर्तमान समय में प्रतिदिन छह टन टमाटर टूट रहे हैं, यह सिलसिला जनवरी 2021 के अंत तक चलता रहेगा। बाजार में व्यापारियों को 15 से 20 रुपये किलो टमाटर बेचा जा रहा है। यानि करीब एक लाख रुपये का टमाटर रोज बिकता है। लीज पर जमीन लेने, मजदूरी और अन्य लागत काट देने पर शुद्ध मुनाफा करीब 50 फीसद है।
अब खेतों से ही टमाटर ले जाते व्यापारी
जो बारह किसान एक साथ खेती कर रहे उनमें यदुनाथ गोराई, मधुसूदन गोराई, विश्वनाथ मांडी, सुशांत मांडी, विश्वनाथ हांसदा, सुधीर मांडी, बसंत मुर्मू, सुनील मांडी, सपन बास्के, दशरथ सिंह, जयदेव गोराई, आनंद मुर्मू शामिल हैं। किसानों ने बताया कि पहले हमें अपना उत्पाद बेचने के लिए पापड़ बेलने पड़ते थे। फसल तोड़ो, गाड़ी भाड़े में करके बाजार ले जाओ, व्यापारियों से मोल मोलाई करो, लेकिन अब तस्वीर बदल गई है। इतनी उपज हो रही कि हम यहीं बड़े व्यापारियों को बुला लेते हैं। उपज शानदार है, दाम भी बढ़िया मिल जाता है। यहां टमाटरों की इतनी मांग है कि बिहार, बंगाल, ओडिशा के व्यापारी इन्हें हाथों-हाथ लेते हैं। किसान आंदोलन पर क्या राय है, इसपर कहा-हम अपने खेतों में काम करते हैं दिन-रात। उपज का सही मूल्य मिल रहा है, और क्या चाहिए। किसानों को मेहनत का फल मिले, बस इससे ज्यादा कुछ नहीं चाहिए।