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Air India, Tata : रतन टाटा को मिली एक और खुशी कि झूम उठा टाटा समूह, जानिए क्या है मामला

Air India Tata कर्ज में डूबी एयर इंडिया को 18 हजार करोड़ रुपए की संजीवनी देने वाला टाटा समूह के लिए खुश होने का एक और मौका मिला है। कंपटीशन कमीशन ऑफ इंडिया ने सौदे को मंजूरी दे दी है। जानिए क्या है पूरा मामला...

By Jitendra SinghEdited By: Published: Wed, 22 Dec 2021 07:15 AM (IST)Updated: Wed, 22 Dec 2021 04:42 PM (IST)
Air India, Tata : रतन टाटा को मिली एक और खुशी कि झूम उठा टाटा समूह, जानिए क्या है मामला
Air India, Tata : रतन टाटा को मिली एक और खुशी कि झूम उठा टाटा समूह, जानिए क्या है मामला

मशेदपुर, जासं। कंपटीशन कमीशन ऑफ इंडिया (सीसीआइ) ने टाटा समूह से संबद्ध इकाई टैलेस द्वारा एयर इंडिया में शेयरधारिता के अधिग्रहण को मंजूरी दे दी है। टाटा संस की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी टैलेस को भी एंटी-ट्रस्ट रेगुलेटरी द्वारा एयर इंडिया एक्सप्रेस और एयर इंडिया एसएटीएस एयरपोर्ट सर्विसेज में शेयर हासिल करने की अनुमति दी गई है। इस खबर से टाटा समूह के खेमे में खुशी की लहर देखी जा रही है।

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सीसीआइ द्वारा जारी सूचना में कहा गया है कि प्रस्तावित संयोजन में टैलेस प्राइवेट लिमिटेड (टैलेस) द्वारा एयर इंडिया लिमिटेड (एयर इंडिया) और एयर इंडिया एक्सप्रेस लिमिटेड की 100 प्रतिशत इक्विटी शेयर पूंजी और एयर इंडिया एसएटीएस एयरपोर्ट सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड की 50 प्रतिशत इक्विटी शेयर पूंजी के अधिग्रहण की परिकल्पना की गई है।

टाटा ने लगाई थी 18,000 करोड़ की बोली

एयर इंडिया के लिए टाटा समूह ने 18,000 करोड़ रुपये की बोली लगाई थी, जो सरकार द्वारा निर्धारित 12,906 करोड़ रुपये के रिजर्व प्राइस से अधिक थी। 31 अगस्त तक एयर इंडिया का कुल कर्ज 61,560 करोड़ रुपये था। टाटा द्वारा लिया जाने वाला ऋण 15,300 करोड़ रुपये होगा, जबकि 46,262 करोड़ रुपये एयर इंडिया एसेट होल्डिंग्स लिमिटेड के पास रहेगा। यह राशि गैर-प्रमुख संपत्ति, जमीन और एयर इंडिया के ऋण को बनाए रखने के लिए बनाया गया एक विशेष उद्देश्य है, जिसे टाटा नहीं लेगा।

कर्ज में डूबी एयर इंडिया को नहीं मिल रहे थे खरीदार

भारत सरकार एयर इंडिया को कई वर्ष से बेचने की योजना बना रही थी, लेकिन इसके लिए खरीदार नहीं मिल रहे थे। वजह साफ थी, एयर इंडिया ने 15 वर्षों से मुनाफा नहीं कमाया, जो संपत्ति के निजीकरण की सरकार की महत्वाकांक्षा में एक महत्वपूर्ण हिस्सा था। एक खरीदार ढूंढना कठिन था, क्योंकि महाराजा उपनाम के साथ एयर इंडिया ने लंबे समय तक श्रेष्ठ बने रहने के लिए संघर्ष किया है।

घाटे में डूबी हुई थी और प्रतिस्पर्धा से परेशान थी। टाटा समूह के लिए यह अधिग्रहण घर वापसी जैसा है। आखिर इस एयरलाइन की स्थापना जेआरडी टाटा ने 1930 में दो लाख रुपये की पूंजी के साथ की थी। भारत सरकार ने 1953 में इसका राष्ट्रीयकरण कर दिया था।


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