कैट ने प्रधानमंत्री को भेजा पत्र, देश भर में कम्युुनिटी रिसर्च केंद्र बनाने का सुझाव दिया
कैट ने गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम एक पत्र भेजा है। इसमें कैट ने देश भर में कम्युनिटी रिसर्च केंद्र बनाने की मांग की है। प्रधानमंत्री ने राष्ट्रीय मेटालर्जी कांक्लेव में भारतीय सामान की उच्च गुणवत्ता और व्यापार के लिए प्रौद्योगिकी व नए प्रयोगों पर जोर दिया था।
जमशेदपुर, जासं। कंफडरेशन ऑल ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम एक पत्र भेजा है। इसमें कैट ने देश भर में कम्युनिकटी रिसर्च केंद्र बनाने की मांग की है। दो दिन पहले प्रधानमंत्री ने राष्ट्रीय मेटालर्जी कांक्लेव में भारतीय सामान की उच्च गुणवत्ता और व्यापार के लिए प्रौद्योगिकी व नए प्रयोगों के आहवान पर जोर दिया था।
इसी संदर्भ में कैट के राष्ट्रीय सचिव सुरेश सोंथालिया ने प्रधानमंत्री को पत्र भेजते हुए कहा है कि आपने पूर्व में आत्मनिर्भर भारत और उच्च गुणवत्ता की जरूरतों पर जोर दिया था। वैश्विक बाजारों में भारतीय सामान की बाढ़ लाना नहीं बल्कि हम चाहते हैं कि भारतीय उत्पादों के लिए विश्व बाजार में उच्च वैश्विक मांग और स्वीकार्यता हो। अनुसंधान और संस्थागत इनोवेशन का सबके द्वारा उपयोग हो, यह महत्वपूर्ण है । कैट इसे लोकल पर वोकल और आत्मनिर्भर भारत का मूल मंत्र मानता है।
बताया व्यापार की सफलता की कुंजी
सुरेश का कहना है कि यह ध्यान देने योग्य है कि किसी भी प्रधानमंत्री ने पहली बार भारत के उत्पादन और व्यापार में प्रौद्योगिकी को अपनाने और अनुसंधान और विकास पर जोर देने की आवश्यकता पर जोर दिया। सोंथालिया ने कहा कि प्रधानमंत्री के इस सम्बोधन से देश के हर वर्ग के व्यापारी अपने आपको इससे जोड़ते हुए इस दिशा में सरकार के साथ हाथ मिलाकर एक भागीदार के रूप में काम करने की इच्छा जाहिर करते हैं। उन्होंने सरकार को सुझाव दिया है कि अनुसंधान और विकास, व्यापार और उद्योग दृष्टिकोण को अपनाना ही भारतीय व्यापार की अभूतपूर्व सफलता की कुंजी है।
छोटे उद्योग अर्थव्यवस्था की रीढ़
कहा कि हालांकि, कॉर्पोरेट क्षेत्र समय-समय पर अनुसंधान और प्रौद्योगिकी को अपनाता रहा है लेकिन दुर्भाग्य से सीमित संसाधनों और प्रौद्योगिकी उन्नति के बारे में ज्ञान की कमी के कारण भारत में व्यापार और लघु उद्योग प्रौद्योगिकी आदि को अपनाने में पीछे हैं। जबकि दोनों व्यापार और छोटे उद्योग देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं। भारतीय उत्पादों के साथ वैश्विक बाजार को प्रभावित करने की बहुत अधिक क्षमता रखते हैं। उन्होंने यह भी कहा की इसका दूसरा पहलू यह भी है कि विभिन्न स्वदेशी उत्पादों के निर्माण के लिए निर्धारित विभिन्न मानक जमीनी हकीकत से मेल नहीं खाते हैं बल्कि पश्चिमीकरण से मेल खाते हैं ।
बना सकेंगे उच्च गुणवत्ता के उत्पाद
सोंथालिया ने प्रधानमंत्री मोदी को सुझाव दिया कि छोटे उद्योगों, उत्पादकों, कारीगरों और छोटे नव प्रवर्तकों को अनुसंधान और टेक्नॉलजी का लाभ उठाने के लिए पीपीपी मॉडल में देश भर में सामुदायिक आरएंडडी केंद्र के निर्माण के लिए एक नीति बनाई जा सकती है। इन केंद्रों को वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद, भारतीय मानक ब्यूरो और खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण आदि संस्थानों से जोड़ा जा सकता है। इसके ज़रिए छोटे उद्योगों और व्यापारी कम लागत पर इसका लाभ उठाकर उच्च गुणवत्ता के उत्पाद बना सकेंगे ।
यह भी दिया सुझाव
उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि कॉर्पोरेट सेक्टर को अपने सीएसआर दायित्व के एक हिस्से का निवेश अनुसंधान और टेक्नोलॉजी पर देने पर भी सरकार को देनी चाहिए। इससे आरएंडडी सुविधा का विकास और व्यापार और लघु उद्योगों के लिए प्रौद्योगिकी उन्नति की उपलब्धता के साथ साथ व्यापक विकास और छोटे उद्योगों और व्यापार की क्षमता बढ़ाने के लिए हो। कैट ने कहा कि इस काम में हम सरकार के साथ मिल कर काम करने और पीपीपी मॉडल पर आरएंडडी केंद्रों की स्थापना के लिए देश भर में अपनी सेवाएं देने के लिए तैयार हैं। सोंथालिया ने कहा कि इस मोर्चे पर कैट सरकार के साथ एकजुटता के साथ खड़ा है और लोकल पर वोकल एवं आत्मनिर्भर भारत की सफलता के लिए प्रतिबद्ध है।