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कैट ने केंद्र सरकार को भेजा पत्र, ऑनलाइन फार्मेसी के गैरकानूनी बाजार पर रोक लगाने की मांग

online pharmacy कंफडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्द्धन व केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल को एक पत्र भेजा है। इसमें ऑनलाइन फार्मेसी के गैरकानूनी बाजार पर रोक लगाने की मांग की है।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Sat, 20 Mar 2021 05:30 PM (IST)Updated: Sat, 20 Mar 2021 08:25 PM (IST)
कैट ने केंद्र सरकार को भेजा पत्र, ऑनलाइन फार्मेसी के गैरकानूनी बाजार पर रोक लगाने की मांग
कैट के राष्ट्रीय सचिव सुरेश सोंथलिया की फाइल फोटो।

जमशेदपुर, जासं। कंफडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्द्धन व केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल को एक पत्र भेजा है। इसमें ऑनलाइन फार्मेसी के गैरकानूनी बाजार पर रोक लगाने की मांग की है।

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कैट का मानना है कि ई-कॉमर्स चैनलों के माध्यम से अवैध तरीके से दवाओं को बेचना ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट का सीधा उल्लंघनहै, जिससे मेडिसिन रिटेलर्स, केमिस्ट आदि सेक्टर से जुड़े लाखों लोगों के कारोबार पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। सही मायने में कानून और नियमों के सभी प्रावधानों के बिना पालन किए लोगों को दवाएं दी जा रही हैं। कैट के राष्ट्रीय सचिव सुरेश सोंथलिया ने गोयल को भेजे गए पत्र मे में कहा कि तेमासेक के धर्मेस सेठ एंड इन्वेस्टमेंट, प्रशांत टंडन की वन एमजी, सिकोइया जो अब टाटा ग्रुप में विलय हो गया है। रिलायंस ग्रुप के स्वामित्व वाले नेटमेड और वाॅलमार्ट के स्वामित्व वाले फ्लिपकार्ट और अमेज़न जैसी कंपनियां ऑनलाइन फार्मेसी के बाजार को दूषित कर रही है। इन बड़ी कंपनियों के कारण रिटेल केमिस्ट और डिस्ट्रीब्यूटर्स को बड़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। इन कंपनियों की प्रतिस्पर्धात्मक प्रथाओं जैसे कि मनचाहे मूल्य निर्धारण, कैपिटल डंपिंग, और अत्याधिक छूट रिटेल केमिस्ट बाजार को भुखमरी की कगार पर पहुंचा दिया है।

ई-फार्मेसी कंपनियों के पीछे बड़ी विदेशी फंडिंग

सोंथलिया का मानना है कि रिटेल केमिस्ट और वितरकों सहित दवा विक्रेता देशभर के जरूरतमंद मरीजों के लिए संपर्क के पहले बिंदु हैं। लेकिन इन ई-फार्मेसी कंपनियों के पीछे बड़ी विदेशी फंडिंग होने से ये कम से कम कीमतों पर दवाएं बेच रहे हैं जिसका मुक़ाबला हर गली नुक्कड़ वाले केमिस्ट की छोटे दुकान नहीं कर पा रही है। कोरोना महामारी के कारण पहले ही व्यापार मंदा है और स्थानीय फार्मेसी बेहर कम मार्जिन पर काम करते हैं। लेकिन ई-फार्मेसियों कंपनियों द्वारा ग्राहकों पर कब्जा करने से इनकी मुसीबतों को दोगुना कर दिया है। सोंथालिया ने कहा कि लॉकडाउन के बाद अक्टूबर 2020 में दुकानों के खुलने के बाद ई फार्मा कंपनियां जैसे कि मेड लाइफ और फार्म इजी ने ऑनलाइन खरीदारी में 30 प्रतिशत की छूट जैसे भारी डिस्काउंट दिए। इसके अलावा बाजार पर पूरी तरह कब्ज़ा करने के लिए 20 प्रतिशत कैशबैक और फ्री डिलीवरी भी शे रही है। जिसका अर्थ ये हुआ कि कुल 40 से 45 प्रतिशत डिस्काउंट और फ्री डिलीवरी जैसी लुभावनी स्कीमें ग्राहकों को दे रहे हैं। इस तरह के मनचाहे कीमत बाजार से पूरी तरह कब्ज़ा हासिल करने के इरादे से ही दी गई।

असंतुलित बाज़ार रिटेल फार्मेसी के लिए बेहद घातक

मेड लाइफ़ और वन एमजी जैसे ई-कॉमर्स कंपनियाें ने 25 प्रतिशत डिस्काउंट ऑफर्स देने से फार्मेसी बाजार बुरी तरह प्रभावित हुआ। कोरोना महामारी में दवा बाजार में 75 प्रतिशत की छूट दिन दहाड़े लूट के समान है। जिससे न केवल रिटेल फार्मेसी का बाजार प्रभावित हो रहा है बल्कि अनुचित प्रतिस्पर्धा भी शुरू हो गई। जिसके दूरगामी परिणाम कभी अच्छे नहीं हो सकते। कैट ने कहना है कि ऑनलाइन उपभोक्ता डेटा का उपयोग करके, जो अन्यथा पारंपरिक रिटेल फार्मेसी के पास उपलब्ध नहीं होता, इन ई-फार्मेसियों ने महीने की शुरुआत में 30 प्रतिशत की न्यूनतम छूट की पेशकश की और बाद में महीने के अंत में इस छूट को बढ़ाकर 40 प्रतिशत कर दिया। कैट का आगे कहना है कि यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि ऑनलाइन माध्यम से दवाओं और दवाओं की बिक्री अवैध है। ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट, 1940 के तहत पर्चे वाली दवाओं की होम डिलीवरी की अनुमति नहीं है। इसके अलावा ये नामुमकिन है कि ये बड़ी ई फार्मेसी कंपनियां बिना किसी विदेशी आर्थिक मदत के 30 से 40 प्रतिशत डिस्काउंट दे नहीं सकती। इस तरीके का असंतुलित बाज़ार रिटेल फार्मेसी के लिए बेहद घातक साबित हो रहे हैं।


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