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WORLD NO TOBACCO DAY 2019: कैंसर से कट गई जीभ, कलाई की त्वचा से बची जान

WORLD NO TOBACCO DAY. कैंसर से जूझ रहे मरीज की जीभ काटने की नौबत आ पड़ी। डाक्टरों ने कलाई की त्वचा काटकर जीभ व गले के नस में जोड़कर उसकी जान बचाई।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Fri, 31 May 2019 02:54 PM (IST)Updated: Fri, 31 May 2019 02:54 PM (IST)
WORLD NO TOBACCO DAY 2019: कैंसर से कट गई जीभ, कलाई की त्वचा से बची जान
WORLD NO TOBACCO DAY 2019: कैंसर से कट गई जीभ, कलाई की त्वचा से बची जान

जमशेदपुर, अमित तिवारी।  यह कहानी है झारखंड के रामगढ़ स्थित छतरपुर गांव के प्रह्लाद महतो (38) की। आयुष्मान योजना नहीं होती तो शायद आज वो जीवित नहीं होते। उसकी जिंदगी तंबाकू खाने से तबाह हो गई थी। मौत के द्वार तक पहुंच गए थे। इलाज के लिए पैसे नहीं थे। अत्यधिक तंबाकू सेवन के कारण कैंसर से जूझ रहे इस मरीज की जीभ काटने की नौबत आ पड़ी। डाक्टरों ने कलाई की त्वचा काटकर जीभ व गले के नस में जोड़कर उसकी जान बचाई। मरीज बीते छह माह से ठीक से बोल भी नहीं पा रहा था। जमशेदपुर शहर में आयुष्मान भारत योजना के तहत ब्रह्मनंद नारायणा अस्पताल में मुफ्त इलाज हुआ, जिसे फ्री फ्लैप सर्जरी कहते हैं। 

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प्रह्ललाद महतो ने बताया कि वह अत्यधिक गुटखा व तंबाकू सेवन करना था। तब उसे नहीं लगा कि कैंसर भी होगा, लेकिन कैंसर ने प्रह्लïलाद की जिंदगी बदल गई। उन्होंने दूसरे लोगों से अपील करते हुए कहा कि तंबाकू जानलेवा है। हम खुद इसके भुक्तभोगी है। इलाज करने वाले कैंसर रोग सर्जन डॉ. आशीष कुमार ने बताया कि मरीज की स्थिति काफी गंभीर थी। उसके पास इलाज कराने को पैसे भी नहीं थे। यदि आयुष्मान योजना नहीं होती तो शायद ही मरीज अपना इलाज करा पाता। अब वह स्वस्थ है।

इंद्राकला की भी ऐसे बची जान

इसी तरह, आदित्यपुर निवासी इंद्राकला देवी (60) भी जीभ के कैंसर से ग्रस्त थी। वैसे वे मूल रूप से बिहार के पूर्णिया की रहने वाली है। इंद्राकला देवी भी लंबे समय से तंबाकू का सेवन करती थीं। उनकी भी जीभ आधे से अधिक काटनी पड़ी और कलाई की त्वचा जोड़कर उनकी जान बचाई गई। इन दोनों मरीजों की सर्जरी ब्रह्मïनंद अस्पताल के कैंसर रोग सर्जन डॉ. आशीष कुमार के अलावा प्लास्टिक सर्जन डॉ. वीएसपी सिन्हा व एनेस्थेटिक डॉ. उमेश प्रसाद ने मिलकर किया है। 

कोल्हान में सबसे अधिक मुंह के कैंसर

कोल्हान में सबसे अधिक मुंह के कैंसर के रोगी है। इसमें 90 फीसद रोगियों का मुख्य कारण तंबाकू का सेवन करना ही पाया गया है। झारखंड के सबसे बड़े कैंसर अस्पताल (मेहरबाई टाटा कैंसर अस्पताल) में इसकी पुष्टि हो चुकी है। इसके बावजूद लोगों में जागरुकता का अभाव है। मेहरबाई कैंसर अस्पताल का आंकड़ा देखा जाए तो कोल्हान में हर साल करीब तीन हजार नये कैंसर रोगियों की पहचान हो रही है। इसमें करीब 80 पीडि़तों की मौत हो जाती है। सबसे अधिक मुंह का कैंसर के रोगी शामिल होते है। उनकी संख्या करीब 50 व उससे अधिक होती है।

महिलाएं भी कर रही धूमपान की सेवन

कैंसर अस्पताल के रिपोर्ट के अनुसार, महिलाएं भी धूमपान की सेवन करने लगी है। उन्हें यह नहीं मालूम कि वह स्वयं तो इससे अनेक रोगों से ग्रसित हो ही सकती हैं, साथ ही उनके गर्भ में पल रहे बच्चे पर भी इसका खतरनाक दुष्प्रभाव पड़ सकता है। इससे समय पूर्व स्वत गर्भपात, मृत शिशु का प्रसव, गर्भावस्था में ही शिशु की मृत्यु तथा कम वजन के कमजोर बच्चे का जन्म हो सकता है।

हर तीसरा व्यक्ति खाता खैनी और पांचवां व्यक्ति तंबाकू

शहर के 85 लोगों पर किए गए एक सर्वे के अनुसार पाया गया है कि उम्र 40 के बाद हर तीसरा व्यक्ति खैनी खाता है। वहीं उससे कम उम्र के लोगों में तंबाकू (सिगरेट, गुटखा, जर्दा) की लत अधिक है। हर पांचवां व्यक्ति तंबाकू का सेवन करता है। इसमें दो लोग वैसे शामिल होते है जो रोजाना पांच से अधिक सिगरेट पीता है।

कैंसर के शुरूआती लक्षण

- भूख कम लगना या बिल्कुल न लगना।

- याददाश्त में कमी, देखने-सुनने में दिक्कत।

- लगातार खांसी जो ठीक नहीं हो रही हो, थूक में खून आना या आवाज में खरखराहट।

- मुंह खोलने, चबाने, निगलने या खाना हजम करने में परेशानी।

- पाखाने या पेशाब में खून आना।

- बिना वजह खून या वजन में बेहद कमी।

- ब्रेस्ट या शरीर में किसी अन्य जगह स्थायी गांठ बनना या सूजन।

- किसी जगह में अचानक खून, पानी या मवाद निकलना।

- तिल या मस्से में बदलाव या किसी घाव का न भरना।

- कमर या पीठ में लगातार दर्द।

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