हाईकोर्ट ने बरकरार रखा सरकार का आदेश, बंद नहीं किया जा सकता टायो रोल्स
झारखंड हाईकोर्ट ने राज्य सरकार के उस आदेश को बरकरार रखा जिसके तहत प्रबंधन को कंपनी को बंद नहीं करने का निर्देश दिया गया था।
जमशेदपुर,जासं। टाटा स्टील की अनुषंगी इकाई टायो रोल्स को बंद करने से जुड़ी याचिका पर सुनवाई करते हुए झारखंड हाईकोर्ट की न्यायामूर्ति राजेश कुमार की अध्यक्षता वाली एकल खंडपीठ ने राज्य सरकार के उस आदेश को बरकरार रखा, जिसके तहत प्रबंधन को कंपनी को बंद नहीं करने का निर्देश दिया गया था। वहीं बकाया वेतन के भुगतान व अन्य मामलों से जुड़ी दो याचिकाओं को सुनवाई के लिए मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली खंडपीठ के पास भेज दिया।
दरअसल, टायो संघर्ष समिति की ओर से दायर तीन याचिका पर सुनवाई होनी थी। एक याचिका (डब्ल्यूपीसी 6690/2016) के द्वारा श्रम विभाग के आदेश के बावजूद प्रबंधन द्वारा कंपनी बंद करने के निर्णय को चुनौती दी गई थी। जबकि अन्य दो याचिका (671/18 व 927/18) बकाया वेतन के भुगतान व अन्य मामलों से जुड़ी थी। संघर्ष समिति की पैरवी कर रहे अधिवक्ता अखिलेश कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि कोर्ट ने 27 अक्टूबर, 2016 को श्रम विभाग के सचिव के आदेश को बरकरार रखा।
उन्होंने कोर्ट में दलील दी कि प्रबंधन श्रम विभाग के सचिव के आदेश को एक साल की समय सीमा के अंदर ही चुनौती दे सकता था। समय सीमा पूरी होने के बाद प्रबंधन उस पर आपत्ति नहीं कर सकता। प्रबंधन उस निर्णय को मानने के लिए बाध्य है। उसके बाद कोर्ट का निर्णय आया। इससे पहले बहस के दौरान प्रबंधन के अधिवक्ताओं ने संघर्ष समिति के अधिवक्ता अखिलेश के फेसबुक पोस्ट का मामला उठाया। इस पर अधिवक्ता अखिलेश ने कड़ी आपत्ति की। उन्होंने सोशल मीडिया पर की गई टिप्पणी को मुकदमे से जोड़ने पर हैरानी जताई।
अदालत के निर्णय से मिली बड़ी राहत
टायो संघर्ष समिति के संयोजक अजय कुमार शर्मा ने कहा कि इस निर्णय का असर निचली अदालतों में लंबित मामलों पर पड़ेगा। अब तेजी से सभी मामलों में सुनवाई होगी। अबतक प्रबंधन डब्ल्यूपीसी 6690/2016 को आधार बनाकर निचली अदालतों में सुनवाई नहीं होने दे रहा था। वहीं प्रबंधन ने नेशनल कंपनी लॉ टिब्यूनल (एनसीएलटी) में कंपनी को दिवालिया घोषित करने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी।
- श्रम विभाग ने 27 अक्टूबर 2016 को कंपनी बंद नहीं करने को कहा था
- राज्य सरकार के आदेश को नजर अंदाज कर बंद कर दी गई कंपनी
- कंपनी बंद होने के समय 350 स्थाई कर्मचारी कार्यरत थे