Move to Jagran APP

कैट द्वारा चीनी सामान के बहिष्कार आह्रन, त्यौहारी सीजन में चीन को 50 हजार करोड़ रुपये के व्यापार के नुकसान का अनुमान

कैट को उम्मीद है कि दिवाली ?के दौरान उपभोक्ताओं द्वारा खर्च के माध्यम से अर्थव्यवस्था में लगभग 2 लाख करोड़ रुपये की पूंजी का प्रवाह हो सकता है। कैट ने कहा कि पिछले साल की तरह इस साल भी कैट ने चीनी सामानों के बहिष्कार का आह्वान किया है।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Fri, 29 Oct 2021 04:19 PM (IST)Updated: Fri, 29 Oct 2021 04:19 PM (IST)
कैट द्वारा चीनी सामान के बहिष्कार आह्रन, त्यौहारी सीजन में चीन को 50 हजार करोड़ रुपये के व्यापार के नुकसान का अनुमान
कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स के राष्ट्रीय सचिव सुरेश सोन्थालिया।

जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : देश भर के व्यापारी कोविड महामारी के कारण भारी धन संकट और दिवाली उत्सव के मद्देनजर सामाजिक और वित्तीय दायित्वों को पूरा करने के साथ-साथ बेहद दबाव के कारण अपने व्यापार में बेहद बुरे दौर से गुजर रहे हैं। इसके बावजूद दिवाली त्यौहारी सीजन के मद्देनजर देश भर के बाजारों में ग्राहकों की संख्या में हो रही वृद्धि को देखते हुए व्यापारी वर्ग एक बड़े कारोबार की उम्मीद कर रहा है।

loksabha election banner

कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) को उम्मीद है कि दिवाली त्योहार की बिक्री अवधि के दौरान उपभोक्ताओं द्वारा खर्च के माध्यम से अर्थव्यवस्था में लगभग 2 लाख करोड़ रुपये की पूंजी का प्रवाह हो सकता है। कैट ने कहा कि पिछले साल की तरह इस साल भी कैट ने 'चीनी सामानों के बहिष्कार' का आह्वान किया है। निश्चित रूप से देश के व्यापारियों एवं आयातकों ने चीन से आयात बंद कर दिया है जिसके कारण इस दिवाली त्यौहारी सीजन में चीन को करीब 50 हजार करोड़ रुपये का व्यापार घाटा होने का अनुमान है। एक और महत्वपूर्ण बदलाव यह भी है कि पिछले साल से उपभोक्ता भी चीनी सामान खरीदने में दिलचस्पी नहीं ले रहे हैं।जिसके कारण भारतीय सामान के मांग बढ़ने की पूरी सम्भावना है।

कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीण खंडेलवाल और राष्ट्रीय सचिव सुरेश सोन्थालिया ने कहा कि कैट की रिसेर्च शाखा कैट रिसर्च एंड ट्रेड डेवलपमेंट सोसाइटी द्वारा हाल ही में विभिन्न राज्यों के 20 शहरों को जिन्हे कैट ने "वितरण शहर" का दर्जा दिया हुआ है, में किए गए एक सर्वेक्षण में यह तथ्य सामने आया है की इस वर्ष अभी तक भारतीय व्यापारियों या आयातकों द्वारा दिवाली के सामान, पटाखों या अन्य समान वस्तुओं का कोई ऑर्डर चीन को नहीं दिया गया है और इस साल दीवाली को विशुद्ध रूप से "हिंदुस्तानी दिवाली" के रूप में मनाया जाएगा। ये 20 शहर नई दिल्ली, अहमदाबाद, मुंबई, नागपुर जयपुर, लखनऊ, चंडीगढ़, रायपुर, भुवनेश्वर, कोलकाता, रांची, जमशेदपुर,गुवाहाटी, पटना, चेन्नई, बंगलुरू, हैदराबाद, मदुरै, पांडिचेरी, भोपाल और जम्मू हैं। हर साल राखी से नए साल तक के 5 महीने के त्योहारी सीजन के दौरान भारतीय व्यापारी और निर्यातक चीन से लगभग 70 हजार रुपये का माल आयात करते हैं। चीनी सामानों के बहिष्कार का कैट का आह्वान इस वर्ष चीनी व्यापार के लिए एक बड़ा झटका होने वाला है तथा इस मांग की पूर्ति के लिए देश भर के व्यापारियों ने अपने प्रतिष्ठानों में भारतीय सामान का पर्याप्त बंदोबस्त कर लिया है।

सोन्थालिया ने कहा कि इस वर्ष राखी उत्सव के दौरान चीन को लगभग 5000 करोड़ रुपये का भारी नुकसान हुआ था और गणेश चतुर्थी में 500 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। यही प्रवृत्ति दिवाली में भी देखे जाने के चलते यह स्पष्ट रूप से इंगित होता है कि यह न केवल व्यापारी हैं जो चीनी सामानों का बहिष्कार कर रहे हैं बल्कि उपभोक्ता भी चीन से बने उत्पादों को खरीदने के इच्छुक नहीं हैं। यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के "मेक इन इंडिया" और "आत्मनिर्भर भारत" की दिशा में व्यापारिक समुदाय का एक मजबूत और ठोस योगदान है।

सोन्थालिया ने बताया की प्रमुख रिटेल सेक्टर जैसे एफएमसीजी सामान, कंज्यूमर ड्यूरेबल्स, खिलौने, कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स, इलेक्ट्रिकल अप्लायंसेज और सामान, किचन के सामान और एक्सेसरीज, गिफ्ट आइटम, पर्सनल कंज्यूमेबल्स, कन्फेक्शनरी आइटम, होम फर्निशिंग, टेपेस्ट्री, बर्तन, बिल्डर्स हार्डवेयर, फुटवियर, घड़ियां, फर्नीचर और फिक्सचर,वस्त्र, फैशन परिधान, कपड़ा, घर की सजावट के सामान, मिट्टी के दीयों सहित दिवाली पूजा के सामान, देवता, दीवार पर लटकने वाले, हस्तशिल्प के सामान, वस्त्र, शुभ-लाभ,ओम जैसे सौभाग्य के प्रतीक, गृह सज्जा के लिए देवी लक्ष्मी एवं अन्य देवी देवताओं के बनाया गए सामान, सजावटी वस्तुएं आदि प्रमुख क्षेत्र हैं जहां चीनी सामानों के स्थान पर व्यापारियों ने उपभोक्ता की मांगो के अनुरूप भारतीय सामान को पर्याप्त मात्रा में स्टॉक कर लिया है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.