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Digital Revolution : टाटा स्टील को टक्कर दे रही Byju's, डिजिटल के आगे पारंपरिक कंपनियों के छूट रहे पसीने

Digital Revolution यह डिजिटल क्रांति का दौर है। कोरोना ने लोगों को आपदा को अवसर में बदलना सिखाया। अगर ऐसा ही रहा था आने वाले दस साल में कई पारंपरिक कंपनियां खत्म हो जाएंगी और उसकी जगह लेंगी डिजिटल कंपनी।

By Jitendra SinghEdited By: Published: Mon, 20 Sep 2021 06:00 AM (IST)Updated: Mon, 20 Sep 2021 09:10 AM (IST)
Digital Revolution : टाटा स्टील को टक्कर दे रही Byju's, डिजिटल के आगे पारंपरिक कंपनियों के छूट रहे पसीने
टाटा स्टील को टक्कर दे रही Byju's, डिजिटल के आगे पारंपरिक कंपनियों के छूट रहे पसीने

जमशेदपुर, जागरण संवाददाता।  वर्ष 2004 में दुनिया की छह बहुमूल्य कंपनियों में जनरल इलेक्ट्रिक पावर, एक्सॉन, माइक्रोसॉफ्ट, फाइजर, सिटी और वॉलमॉर्ट जैसी कंपनियां थी। हालांकि यह सहीं है कि इसमें एफएएएनजी कंपनियां, यानि फेसबुक, अमेजन, एप्पल, नेट फ्लिक्स व अल्फाबेट कंपनी एक भी नहीं थी। लेकिन भारत एक ऐसे रास्ते पर है जहां बदलाव तेजी से हो रहा है। भविष्य में वर्तमान में संचालित कई सारी कंपनियां नहीं होंगी लेकिन जो कंपनियां होंगी, वह मार्केट लीडर के तरह काम करेंगी।

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 जमशेदपुर के वित्त विशेषज्ञ अजय श्रीवास्तव की माने तो वर्तमान समय में अमेरिका की 40 प्रतिशत कंपनियां डिजिटल युग की हैं जबकि भारत में यह आंकड़ा मात्र एक प्रतिशत है लेकिन आपको बता दें कि वर्ष 2025 में यह आंकड़ा 200 प्रतिशत तक पार कर जाएगा। तब हमारे पास अपना फेसबुक, अमेजन, एप्पल, नेट फ्लिक्स और अल्फाबेट होंगे। क्योंकि देश में स्टार्टअप को बढ़ावा देने के बाद बाइजूस, ओला, ओयो, जोमेटो, इनमोबी, नायका, ग्रोफर्स, अपग्रेड और पेटीएम जैसी कंपनियों ने बाजार में अपनी पैठ बनाई है। जिसने बाजार की चाल को बदल कर रख दिया है। इन कंपनियों की क्रांतिकारी पहल से कई कंपनियों को भी खुद में बदलाव करने को मजबूर होना पड़ा है।

वर्ष 2030 तक ये कंपनियां नहीं रहेंगी बाजार का हिस्सा

वित्त विशेषज्ञ अनिल गुप्ता के अनुसार वर्ष 2030 तक 10 कंपनियां बाजार का हिस्सा नहीं रहेंगे। इनमें ओएनजीसी, महिंद्रा एंड महिंद्रा, एक्सिस बैंक, एनटीपीसी, पावर ग्रिड, आईटीसी, इंडसइंड बैंक, टेक महिंद्रा, बजाज ऑटो और टाइटन जैसी कंपनियां बाजार का हिस्सा नहीं रहेंगे। उन्हें बायजूस, पेटीएम, फार्म एसी, फ्लिपकार्ट, ओला, ज़ोमैटो, स्विगी यहित दूसरे नाम आगे आएंगे। संभवत: शीर्ष 10 कंपनियों की सूची में ये शामिल हो सकते हैं। हालांकि इसका मतलब ये नहीं कि ये कंपनियां बंद हो जाएंगी। लेकिन डिजिटल युग में ऊपर दी गई कंपनियां बाजार में अपनी पैठ पारंपरिक रूप से संचालित कंपनियों की तुलना में आगे बढ़ जाएंगी। इंटरनेट आधारिक कंपनियां नए ग्राहकों को अपने साथ जुड़ने के लिए प्रेरित करेंगे। जो उनकी सफलता का मूल मंत्र होगा।

टाटा स्टील की तुलना में बायजूस

टाटा स्टील अपने ग्रीन फील्ड प्रोजेक्ट सहित कलिंगनगर में विस्तारीकरण प्रोजेक्ट में 40 हजार करोड़ रुपये का निवेश करती है और कंपनी को कमीशन करने और वाणिज्यिक उत्पादन करने में तीन से पांच साल का समय लगता है। उसके अनुरूप इतने समय में बायजूस जैसी कंपनी लाखों छात्रों को न सिर्फ अपने साथ जोड़ सकती है बल्कि एक वर्ष में ही अपने टर्नओवर को दोगुना कर सकती है। यह डिजिटल युग की खूबसूरती का एक उदाहरण है।

मुकेश अंबानी इसलिए कर रहे हैं भारी-भरकम निवेश

रिलाइंस जियो मार्ट के चेयरमैन मुकेश अंबानी ने पहले भी भविष्य का अनुमान लगा लिया है। इसलिए वे जियो मार्ट लेकर आ रहे हैं इसके लिए वे अरबों रुपये निवेश कर रहे हैं। क्योंकि वे भविष्य को देख रहे हैं और उन्हें पता चल गया है कि भविष्य तेल या पेट्रो कैमिकल्स नहीं बल्कि डिजिटल का है। वहीं, देश के सबसे बड़े औद्योगिक समूह टाटा संस भी स्टील या सॉफ्टवेयर के बजाए ई-कॉमर्स पर निवेश कर रही है और जल्द ही सुपर एप की घोषणा करने वाली है।

जोमैटो के प्रमोटर के पास मात्र पांच प्रतिशत की हिस्सेदारी

भविष्य के बाजार में अभी से तेजी से बदलाव आ रहे हैं। पहले अधिकतर कंपनियों में मालिक के 51 प्रतिशत की हिस्सेदारी होती थी ताकि उनका कंपनी पर पूर्ण नियंत्रण रहे। लेकिन वर्तमान परिस्थिति में इसमें भी बदलाव हुए हैं। क्योंकि पहले मार्केट शेयर में 50 प्रतिशत से कम होकर 26 प्रतिशत की गिरावट हुई। जो इक्विटी वाले निवेशकों के लिए आक्सीजन का काम किया। अब डिजिटल युग में कंपनी अपने हिस्सेदारी काे कम करने में संकोच नहीं करते। जोमेटो जैसी कंपनी का वर्तमान मार्केट वैल्यू एक लाख करोड रुपये है। जबकि इसके प्रमोटर दीपिंदर गोयल के पास कंपनी का केवल पांच प्रतिशत ही हिस्सेदारी है। ऐसे में हम कह सकते हैं कि कंपनी मालिकों की मानसिकता में यह बड़ा बदलाव आया है।

इन कंपनियों का रहेगा भविष्य

आपको बता दें कि भारत में रिटले, हेल्थ सर्विस, ट्रांसपोटेशन, एजुकेशन, इकोनॉमी एनालिस्ट जैसी कंपनियों का भविष्य रहेगा। पिछले पांच वर्षो में अमेजन और फ्लिपकार्ट जैसी कंपनियों ने भारतीय रिटेल सेक्टर को बदल कर रख दिया है। वहीं, ओला जैसी कंपनी ने ट्रांसपोटेशन के क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन लेकर आए है। इसके अलावा कोविड 19 में गूगल पे और पेटीए कंपनियों ने वित्तीय लेन-देन में जो बदलाव किए हैं, वह अपने आप में काबिलेतारीफ है। इसके अलावा इंश्योरेंस सेक्टर भी भविष्य की परिस्थिति के अनुरुप खुद को बदल रहा है।


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