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सौ रुपये की पूंजी से शुरू,अब लाखों का कारोबार, जानिए इन महिलाओं की सफलता की कहानी Jamshedpur News

इन महिलाओं की आर्थिक स्थिति ऐसी थी कि कभी एक-एक रुपये के लिए उन्हें दूसरों का मुंह ताकना पड़ता था। आज ये महिलाएं लाखों की मालकिन बन चुकी हैं।

By Rakesh RanjanEdited By: Published: Tue, 07 Jan 2020 12:07 PM (IST)Updated: Tue, 07 Jan 2020 03:13 PM (IST)
सौ रुपये की पूंजी से शुरू,अब लाखों का कारोबार, जानिए इन महिलाओं की सफलता की कहानी Jamshedpur News
सौ रुपये की पूंजी से शुरू,अब लाखों का कारोबार, जानिए इन महिलाओं की सफलता की कहानी Jamshedpur News

जमशेदपुर, मनोज सिंह।  यह कहानी है पूर्वी सिंहभूम जिले के पटमदा प्रखंड के बांगुड़दा की सरस्वती महतो और उनकी सहेलियों की। इन महिलाओं की आर्थिक स्थिति ऐसी थी कि कभी एक-एक रुपये के लिए उन्हें दूसरों का मुंह ताकना पड़ता था। आज ये महिलाएं लाखों की मालकिन बन चुकी हैं। यही नहीं, दूसरी महिलाओं को भी रोजगार दे रही हैं। सबकुछ संभव हुआ महिला स्वयं सहायता समूह के बूते। आठ वर्ष पूर्व इस समूह ने दस-दस रुपये जोड़कर गरीबी उन्मूलन की कहानी लिखनी शुरू की थी।

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समूह की सरस्वती कहती हैं कि समझ में नहीं आ रहा था कि परिवार चलाने के लिए क्या करें। चिंता में दिन गुजर रहे थे कि वर्ष 2012 में किस्मत ने यू टर्न लिया। नाबार्ड  ने टैगोर सोसायटी में महिला सशक्तीकरण के लिए एक बैठक बुलाई थी। संयोग से सहेली निरूपमा के साथ पहुंची। नाबार्ड के जिला प्रबंधक सिद्धार्थ शंकर ने महिलाओं को स्वयं सहायता समूह गठित करने की सलाह दी। टैगोर सोसायटी के बख्शी साहब की मदद से दस महिलाओं ने एक समूह बनाया। सभी को सप्ताह में 10-10 रुपये जमा करने को कहा गया। पहले हफ्ते 100 रुपये जमा हुए। यह सिलसिला चल पड़ा। फिर एक दिन पता चला कि टैगोर सोसायटी के माध्यम से कृषि कार्य के लिए सस्ता कर्ज संभव है। पहली बार 11000 रुपये कर्ज लेकर महिलाओं ने बांट लिए।

एक हजार की पूंजी से बकरी और मुर्गी पालन

सरस्वती ने एक हजार रुपये की पूंजी से बकरी और मुर्गी पालन शुरू कर दिया।  खैर, महिलाओं ने कर्ज समय पर ब्याज सहित लौटा दिया। इसके बाद समूह की हिम्मत बढ़ गई। समूह ने 50 हजार रुपये पुन: कर्ज लिया। महिलाओं ने गांव में ही मुर्गी पालन का व्यवसाय शुरू कर दिया। इस सामूहिक व्यवसाय से सभी महिलाओं की आर्थिक हालत सुधरने लगी। गांव की दूसरी महिलाएं भी मुर्गी पालन में जुट गईं। फिर समूह ने डेढ़ लाख कर्ज लिया। उसे भी चुकता कर दिया। आज इस समूह को कारोबार करने के लिए बैंक ने पांच लाख रुपये कर्ज दे रखा है। समिति की सचिव निरूपमा कहती हैं कि उनके पति सुमित कुमार और सरस्वती महतो के पति उत्तम भी उनके काम में हाथ बंटाते हैं। समूह की महिलाएं बच्चों को बेहतर शिक्षा दिला रही हैं। इस समिति का नाम है- हरिजन पिछड़ी महिला समिति, बांगुड़दा।

समिति से जुड़ीं महिलाएं

इस समिति की अध्यक्ष सरस्वती महतो हैं। निरूपमा महतो सचिव हैं। वहीं अष्टमी राजवार, गुलाबी राजवार, निलमनी राजवार, मंगली राजवार, गंगा राजवार व जीता रानी महतो सदस्य हैं।


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